उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा- किसानों के लिए वरदान है सहजन की खेती
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के वेबिनार में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि सहजन अब केवल दक्षिण भारत की फसल नहीं रह गई बल्कि पूरे देश में तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि पोषक तत्वों व औषधीय गुणों के कारण सजहन (मोरिंगा) की विश्व बाजार में अत्याधिक मांग है, इसलिए सहजन की खेेती को बढ़ावा देने को विशेष अभियान चलाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों की आय वृद्धि के लिए सहजन की खेती वरदान सिद्ध हो सकती है। सहजन की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण देना चाहिए ताकि वे इसका बेहतर उपयोग कर सकें।
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के वेबिनार में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने मंगलवार को कहा कि सहजन अब केवल दक्षिण भारत की फसल नहीं रह गई, बल्कि पूरे देश में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। उन्नाव, गाजीपुर, चित्रकूट व लखनऊ में इसे लेकर खास ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बंजर भूमि में सहजन आसानी से पैदा हो जाता है। कृषि विभाग ने अपने सभी फार्मों पर सहजन के एक-एक हजार पौधे लगाए हैं। शाही ने कहा कि सहजन की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण देना चाहिए ताकि वे इसका बेहतर उपयोग कर सकें।
डीआरडीओ के पूर्व निदेशक डॉ.ब्रह्मा सिंह ने कहा कि सहजन कई रूपों में उपयोगी है। पशुओं के चारे में भी इसे प्रयोग किया जाता है। निदेशक भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी डॉ.जगदीश सिंह ने बताया कि सहजन में लगभग 30 प्रतिशत प्रोटीन व तीन प्रतिशत तेल के अलावा फोलिक एसिड, विटामिन बी और एंटीआक्सीडेप्टस भी प्रचुर मात्रा मेें पाए जाते है। यह हृदय संबंधी एसीडिटी और अल्सर जैसे रोगों में प्रभावी दवा का काम करता है। डॉ.एल पुगालेंडी ने बताया कि सहजन भारतीय मूल का पौधा है और विश्व की अस्सी प्रतिशत मांग को भारत ही पूरा करता है।
वैज्ञानिक डॉ.आर. स्वर्णप्रिया ने बताया कि सजहन की 13 विभिन्न प्रजातियों की खेती होती है। इसकी पत्ती, फली व तेल उपयोगी है। इसकी खेती 25-30 डिग्री तापमान व अच्छी जल निकासी वाली भूमि में होती है। उपकार महानिदेशक डॉ.विजेंद्र सिंह ने कोरोना संकट के दौरान इम्युनिटी बढ़ाने में सहजन की उपयोगिता बताई। कैप्टन विकास गुप्ता ने अध्यक्षीय संबोधन में सहजन की खेती व इसकी उपयोगिता का लाभ उठाने पर बल दिया। इस अवसर पर डॉ.सुधीर सिंह, डॉ.एबी राय, डॉ.यूबी चौधरी व डॉ.विजय बहादुर द्विवेदी ने भी विचार रखे।