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BJP के समर्थन से नितिन अग्रवाल ने जीता विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव, SP के नरेन्द्र सिंह वर्मा को 244 वोट से शिकस्त दी

विधान भवन प्रांगण में दिन में 11 बजे से शुरू हुई मतदान प्रक्रिया दिन में तीन बजे तक चली। विधान सभा उपाध्यक्ष निर्वाचन के लिए कुल 368 वोट पड़े। इसमें से चार मत को अवैध घोषित किया गया। इसमें मतगणना कुल 364 वोट की हुई।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 04:22 PM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 07:17 AM (IST)
नितिन अग्रवाल को 304 और नरेन्द्र सिंह वर्मा को 60 वोट मिले।

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए सोमवार को विधानसभा सत्र के दौरान आरोप-प्रत्यारोप के बीच संपन्न हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) समर्थित समाजवादी पार्टी (एसपी) के बागी विधायक नितिन अग्रवाल निर्वाचित हुए। उन्होंने सपा प्रत्याशी नरेंद्र सिंह वर्मा को 244 मतों से हराया। नितिन अग्रवाल को 304 और नरेन्द्र सिंह वर्मा को 60 वोट मिले। वह उत्तर प्रदेश विधानसभा के 18वें उपाध्यक्ष बने हैं। पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल के पुत्र नितिन हरदोई सदर सीट और वर्मा सीतापुर के महमूदाबाद क्षेत्र के विधायक हैं।

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विधान भवन प्रांगण में दिन में 11 बजे से शुरू हुई मतदान प्रक्रिया दिन में तीन बजे तक चली। विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव के लिए डाले गए 368 वोटों में से नितिन अग्रवाल को 304 और नरेन्द्र सिंह वर्मा को 60 वोट मिले जबकि चार मत अवैध घोषित किये गए। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने चुनाव का बहिष्कार किया लेकिन उनके बागी विधायकों ने मतदान में हिस्सा लिया। चुनाव में विभिन्न दलों की ओर से क्रास वोटिंग भी हुई।

मतदान में शामिल होने के लिए सदन में भाजपा के 304 में से 295 विधायक मौजूद थे जबकि सत्ता में उसके सहयोगी अपना दल (एस) के नौ में से सात विधायक उपस्थित थे। चुनाव का बहिष्कार करने वाली कांग्रेस के सात सदस्यों में से दो बागी विधायकों ने मतदान में हिस्सा लिया। भाजपा से नाता तोड़ने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को छोड़कर पार्टी के बाकी तीन सदस्यों ने भी मतदान किया। तीन निर्दल सदस्यों और सपा से गठजोड़ करने वाली रालोद के इकलौते सदस्य ने भी मतदान में भाग लिया।

वहीं, चुनाव बहिष्कार की घोषणा कर सदन से बहिर्गमन करने वाली बसपा के छह बागी विधायक और असंबद्ध किये गए दो सदस्य भी सदन में मौजूद थे। इस तरह 396 निर्वाचित सदस्यों में से 28 ने चुनाव में हिस्सा नहीं लिया।

चुनाव को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में जमकर नोकझोंक भी हुई। सुबह 11 बजे विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उपाध्यक्ष मुख्य विपक्षी दल का होता है लेकिन सत्ता पक्ष ने इस पद के लिए उम्मीदवार को मैदान में उतार कर चुनाव की स्थिति पैदा कर दी है। सत्ता पक्ष ने संसदीय परंपरा को कलंकित किया है। उन्होंने चुनाव को टालने और सत्ता पक्ष व विपक्ष की बैठक कर सर्वसम्मति से उपाध्यक्ष घोषित करने की मांग की।

जवाब में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि हम साढ़े चार साल तक इंतजार करते रहे लेकिन मुख्य विपक्षी दल कोई उम्मीदवार तय नहीं कर सका। 2007 से 2012 तक बसपा राज और 2012-17 तक सपा शासनकाल में भी यही हुआ। परंपरा विपक्ष ने तोड़ी है। नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा कि 'जरा बड़ा दिल दिखाइए, छाती चौड़ी करिए, सिर्फ 56 इंच का सीना कहने से क्या होगा?' सपा प्रत्याशी नरेंद्र वर्मा ने सदन के सदस्यों से अंतरात्मा की आवाज पर वोट देने की अपील की।

दोपहर लगभग 12 बजे विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने मतदान प्रक्रिया शुरू करने का एलान किया। मतदान के लिए तीन घंटे का समय निर्धारित किया गया था। विधानसभा क्रमवार सदस्यों के नाम पुकारे जाते रहे और वे बारी-बारी से अध्यक्ष के आसन के पीछे की ओर रखी मतपेटी में मतपत्र डालते रहे।

विधानसभा का सदस्य न होने के कारण मुख्यमंत्री ने वोट तो नहीं डाला लेकिन मतदान शुरू होने के बाद तकरीबन सवा घंटे तक वह सदन में मौजूद रहे। दोपहर तीन बजे मतदान समाप्ति की घोषणा हुई और 3.20 बजे मतपेटी खोलकर वोटों की गिनती शुरू हुई। 3.49 बजे योगी सदन में वापस आए और 3.53 बजे विधानसभा अध्यक्ष ने चुनाव परिणाम घोषित किया। उपाध्यक्ष के निर्वाचन और एजेंडे का कामकाज निपटाकर विधानसभा सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।


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