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रोजगार दिखे तो युवा ही बदल देंगे उत्तर प्रदेश का नक्शा : योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भरोसा है कि अब प्रदेश के कायापलट की शुरुआत हो रही है। यह पहला अवसर है जबकि देश के जाने-माने उद्यमियों का जमावड़ा यहां होने जा रहा है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 19 Feb 2018 06:01 PM (IST)Updated: Tue, 20 Feb 2018 11:19 AM (IST)
रोजगार दिखे तो युवा ही बदल देंगे उत्तर प्रदेश का नक्शा : योगी आदित्यनाथ

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ का मानना है कि लखनऊ में 21 और 22 फरवरी को होने जा रही इन्वेस्टर्स समिट ने प्रदेश में नई उम्मीदों को हवा दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भरोसा है कि अब प्रदेश के कायापलट की शुरुआत हो रही है।

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यह पहला अवसर है जबकि देश के जाने-माने उद्यमियों का जमावड़ा यहां होने जा रहा है। आयोजन में जुड़े अधिकारी और मंत्री इस समिट में बड़ी संभावना देख रहे हैं और खुद आत्मविश्वास से भरे योगी इसे लोगों की आकांक्षाओं और इच्छाओं से भी जोड़ते हैं कि प्रदेश अब खुद भी बीमारू राज्य के दाग को धोना चाहता है, इसलिए उनमें भी विकास की ललक बढ़ी है। लोग रोजगार के आकांक्षी हैं और हम उनके लिए अवसर पैदा करना चाहते हैं।

दैनिक जागरण से अपने आवास पर विस्तृत बातचीत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पूरे आयोजन का श्रेय केंद्र सरकार को देने में भी संकोच नहीं करते। वह कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश की छवि बदली है और इसका लाभ उत्तर प्रदेश को भी मिल रहा है। आखिर दोनों जगह भाजपा की ही सरकार है, इसलिए उद्यमियों का भरोसा प्रदेश के लिए बढ़ रहा है। वह सरकार की कार्यशैली को सांस्कारिक परिवर्तन के रूप में देखते हैं और साथ ही कहते भी हैं कि नौकरशाही सरकार की मंशा देखती है।

उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा साफ है इसलिए अधिकारियों की भी टीम प्रदेश के बदलाव में तत्पर नजर आती है। 'एक जिला-एक उत्पाद योजना' को प्रदेश के बुनियादी परिवर्तन के रूप में देखते हुए योगी दावा करते हैैं कि यह युवाओं के लिए संजीवनी साबित होगी। यहां के युवाओं में जोश है, उत्साह है और जब उन्हें बीस लाख से अधिक रोजगार के अवसर दिखेंगे तो वह खुद प्रदेश की कायापलट कर देंगे।

पूरे प्रदेश की आंख 21 और 22 फरवर को लखनऊ में होने वाली इन्वेस्टर्स समिट पर लगी है। अरसे से बीमारू राज्य का दाग झेलते आ रहे यहां के लोग चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश भी विकसित प्रदेशों में गिना जाए जिससे यहां भी रोजगार के अवसर उपलब्ध हों और उन्हें घर छोडऩे के दंश से मुक्ति मिले। इसी कारण राज्य सरकार ने इस समिट के आयोजन को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ा है और इसके लिए वो कोई कसर नहीं छोड़ रही।

इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, गोमतीनगर में होने जा रहे इस आयोजन की तैयारियों के हर पक्ष पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं दृष्टि रख रहे हैं। उन्होंने दैनिक जागरण से समिट के आयोजन और उसके उद्देश्य पर बात की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश

इस समिट से पहले देश के छह महानगरों में रोड शो किए गए। आप खुद भी एक जगह गए और अब आपको लगता है कि सारे बड़े निवेशक उत्तर प्रदेश आने लगेंगे। लेकिन, इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी मुंबई में बड़े उद्योगपतियों से भेंट की थी। तब भी निवेश आने के वादे हुए थे और एमओ यू भी साइन हुए पर जमीन पर कुछ न उतरा। अब अचानक ऐसा क्या हो गया है जो माना जाए कि उत्तर प्रदेश में निवेशकों की रुचि जाग जाएगी।

- माहौल बदला है। सरकार बदली है। उद्योगों के प्रति दृष्टिकोण बदला है। अधिकारियों का व्यवहार बदला है। केंद्र-राज्य के रिश्ते बदले हैं। दफ्तरों का हाल बदला है और सबसे बढ़कर यह कि जनहित के विषयों पर सरकार के स्तर पर ध्यान दिया जाने लगा है। अब सबको बराबरी से देखने वाली सरकार है। अब उत्तर प्रदेश में कानून का राज्य है।

मेरा प्रश्न वही है। ढेर सारे एमओयू पर हस्ताक्षर तो हो जाएंगे पर उसके बाद क्या? क्या योजनाएं और उनके धन उत्तर प्रदेश आएंगे?

- बिल्कुल आएंगे। हमने इसकी चिंता की है। समिट के बाद अधिकारियों की दो टीमें बनाई जाएंगी। एक टीम इस बात का ध्यान रखेगी कि समिट में होने वाले सभी एमओयू एक निश्चित समय में अमल में भी आ जाएं। हम कहने में नहीं, करने में भरोसा करते हैं। इसीलिए पूरी तरह व्यावहारिक योजनाएं बनाई जा रही हैं। लखनऊ में उद्यमियों के साथ होने वाला हर समझौता जमीन पर उतरेगा।

...और दूसरी टीम?

- दूसरी टीम एक जिला, एक उत्पाद योजना की समीक्षा करेगी। समिट के दौरान प्रदेश भर के हमारे उत्पादों और कारीगरों के विकास के बारे में जो कुछ भी तय होगा, उसको यही टीम लागू करेगी। इसके पहले कभी इतने योजनाबद्ध ढंग से काम नहीं हुआ।

एक जिला-एक उत्पाद योजना पर आपकी सरकार बहुत जोर दे रही है। इसके क्या लाभ देखते हैं आप।

- उत्तर प्रदेश के कोने-कोने में फनकार भरे पड़े हैं। लखनऊ में अगर चिकन की कारीगरी होती है तो पीलीभीत में बांसुरी बनती है। अमरोहा की ढोलक और खुर्जा की क्राकरी मशहूर है। फिरोजाबाद का कांच का काम और मेरठ का खेल का सामान दुनिया भर में जाना जाता है। बनारस की साड़ी, गोरखपुर का टेराकोटा और सहारनपुर का फर्नीचर भी जग प्रसिद्ध है। मुझे आश्चर्य है इस सबके बाद भी इनके कारीगरों की बेहतरी के उपाय नहीं हुए। वे आज भी बदहाल हैं। उनका बनाया सामान बड़े शहरों में बहुत महंगे दामों पर बिकता है पर इन्हें कुछ नहीं मिलता। अब हमारी कोशिश है ऐसी प्रचुर संभावनओं वाले उत्पादों को सरकार का समर्थन दिया जाए। कारीगरों के घर में ही खरीदार पहुंचने लगेंगे तो उनका और उनके क्षेत्र दोनों का भला होगा। पिछले पंद्रह वर्षों में उत्तर प्रदेश का यह हुनर मृतप्राय हो गया था। अब हम इसे बहुत बढ़ाना चाहते हैं।

आप इसमें कितनी संभावना देखते हैं।

- बहुत। अगले तीन वर्षों में हम इस योजना से प्रदेश के बीस लाख से अधिक युवाओं को रोजगार दे सकेंगे। कोई नौकरी करेगा तो कोई अपना खुद का व्यापार आरंभ कर सकेगा। यदि जिले-जिले का कोई उत्पाद बाजार में अच्छे दाम पाने लगे तो प्रदेश का चतुर्दिक विकास होगा।

आप बहुत आशावान हैं परंतु क्या आपके अधिकारियों की जमात भी इतने ही उत्साह से काम करेगी।

- अधिकारी सरकार की मंशा देखते हैं। सरकार काम करती दिखती है तो वे भी जुट जाते हैं। यदि सरकार का कोई गलत एजेंडा नहीं है तो लालफीताशाही भी कमजोर पड़ जाती है। अधिकारी तब निरंकुश होते हैं जब वे गलत लोगों को प्रश्रय मिलता देखते हैं।

अपने पहले सवाल पर लौटता हूं। आपको उत्तर प्रदेश का माहौल बदला हुआ कैसे दिखता है।

- हमने किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिया है। 37 लाख मीट्रिक टन गेहूं क्रय हुआ और अभी तक 42 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा जा चुका है। गन्ना किसानों का 25 हजार करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है। एक दो मिलों के तीन सौ करोड़ बचे हैं, उनका भी भुगतान शीघ्र ही होने जा रहा है। लोगों को लगा कि उत्तर प्रदेश में भी भरपूर बिजली मिल सकती है। कानून का राज हुआ है। अपराधियों में भय आया है। उत्तर प्रदेश के बारे में सबका नजरिया बदला है। लोग अब हमारे राज्य के प्रति सकारात्मक भाव रखने लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश-विदेश में भारत की छवि बेहतर की है और अब जबकि केंद्र और राज्य दोनों जगह एक ही दल की सरकार है तो निवेशक भी मानने लगे हैं कि अब यहां बेहतर काम हो सकता है।

उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दल और सरकार दो अलग बातें हैं। हर नई सरकार आते ही पिछली सरकार के कामों को तत्काल खारिज कर देती है। तब यह नहीं सोचा जाता कि सरकार बदलने से जनहित के काम बंद नहीं हो जाने चाहिए।

- हम इस बार ऐसा ही कर रहे हैं। नए बजट में हमने पांच सौ करोड़ रुपये नई योजनाओं के लिए रखे हैं जबकि छह सौ करोड़ रुपये पिछली सरकारों के उन कामों के लिए छोड़े गए हैं जो थे तो जनहित के लेकिन, पैसे के अभाव में जिनकी रफ्तार धीमी हो गई थी। हमारे लिए हर काम महत्वपूर्ण है, दल नहीं। हम भेद नहीं करेंगे। मैं आपको एक और बताता हूं। कुछ समय पहले मुंबई रोड शो के बाद रतन टाटा से बात हुई तो उन्होंने खुलकर प्रशंसा की। उनका कहना था कि आज के यूपी को देखकर बहुत खुशी हो रही है। पहले तो वे लोग टीसीएस को लखनऊ से हटाना चाह रहे थे पर अब नोएडा में और भी बड़ी इकाई लगाना चाहते हैं। टाटा की तरह दूसरे लोगों ने भी उत्तर प्रदेश के बदल रहे वातावरण की सराहना की। एचसीएल हमारे यहां विस्तार कर रही है। सैमसंग पांच हजार करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है।

आपको क्या लगता है समिट में कितना निवेश हो सकेगा।

- हमारे अधिकारी तो पहले पचास हजार करोड़ रुपये की बात कह रहे थे लेकिन, मैंने कहा कि इससे बहुत अधिक होगा। अब वे भी मान गए हैं।

कितना अधिक। एक लाख, दो लाख करोड़? या अधिक?

- देखियेगा। सात हजार से अधिक डेलीगेट्स का अब तक पंजीकरण हो गया है। सात सौ से अधिक एमओयू हो चुके हैं और निजी क्षेत्र हमारा सहयोग करने के लिए तैयार है। उत्तर प्रदेश आने वाले उïïद्यमियों को आकर्षित करने के लिए हम 21 फरवरी को कई सुविधाएं देने जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश की 22 करोड़ की आबादी है। यहां की भूमि उर्वर है, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना यहां भरपूर है। गन्ना और अनाज उत्पादन में हम पहले नंबर पर हैं, जल संसाधन और डेयरी में नंबर एक हैं। यहां का युवा अत्यधिक शिक्षित और चेतन है। दोनों फ्रेट कॉरीडोर इसी प्रदेश से होकर जाते हैं। सभी बड़े शहरों से लखनऊ और अन्य शहरों की कनेक्टिविटी है। जब इतनी सारी बातें हमारे पक्ष में हैं तो उत्तर प्रदेश की प्रगति न होने का अर्थ केवल यह है कि अब तक की सरकारों ने कभी इस दिशा में गंभीरता से सोचा ही नहीं। उनके लिए राजनीति अहम रही। यूपी के बिना भारत का विकास नहीं हो सकता।

किन क्षेत्रों में आप निवेश की उम्मीद अधिक कर रहे हैं।

- फूड प्रोसेसिंग, कपड़ा, आईटी, रक्षा, बायोफ्यूल और आईटी मैन्यूफक्चरिंग, ई-वीकल आदि।

पिछले कुछ समय से आपके बारे में ऐसा माना जा रहा है कि केंद्र सरकार जो भी योजना सभी राज्यों के लिए बनाती है, आप फौरन दिल्ली जाकर उसे यूपी के लिए ले आते हैं।

- मैं सभी मंत्रियों और अधिकारियों से कहता हूं कि उन्हें पंद्रह बीस दिन में एक बार दिल्ली अवश्य जाना चाहिए। वहां जाकर अपने विभाग के समकक्षों के साथ बैठक करनी चाहिए। इससे परिचय बढ़ेगा और नई योजनाओं की जानकारी भी मिलेगी। मैंने खुद भी यही किया। केंद्र सरकार का पिछला बजट आते ही मैं दिल्ली जाकर रक्षामंत्री से मिला और रक्षा क्षेत्र का एक प्रोजेक्ट मांग लाया। यह आगरा और चित्रकूट के बीच लगेगा। वहां डिफेंस के दो सौ से अधिक उत्पाद निजी क्षेत्र बनाएगा। आप देखियेगा इससे कितना अधिक रोजगार सृजन होगा। इसी तरह अयोध्या, गोरखपुर और कुंभ के लिए एक-एक म्यूजियम मांग लाया।

आपको सत्ता संभाले अब करीब 11 महीने हो रहे। क्या अपने में कोई बदलाव अनुभव करते हैं।

- विश्वास पहले से बहुत बढ़ा है। उत्तर प्रदेश को हम बहुत आगे ले जाएंगे। इसके बारे में प्रचलित सारी धारणाएं समाप्त करेंगे। 


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