लखनऊ, राज्य ब्यूरो: ऊर्जा मंत्री अरविन्द कुमार शर्मा और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बीच रविवार दोपहर हुई वार्ता के बाद बिजली कर्मियों की हड़ताल खत्म हो गई। वार्ता के बाद दोपहर तीन बजे संघर्ष समिति ने हड़ताल को समय से सात घंटे पहले वापस लेने की घोषणा की। 

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर बिजली कर्मियों की 72 घंटे की यह सांकेतिक हड़ताल 16 मार्च की रात 10 बजे से शुरू हुई थी। 65 घंटे चली इस हड़ताल के खत्म होने से राज्य सरकार के साथ प्रदेशवासियों ने भी राहत की सांस ली है।

दोनों पक्षों में दो बार हुई वार्ता

हड़ताल खत्म कराने के संबंध में शनिवार रात ऊर्जा मंत्री और संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के बीच हुई वार्ता बेनतीजा साबित होने के बाद रविवार सुबह 11 बजे जल निगम के फील्ड हास्टल में फिर दोनों पक्षों के बीच बातचीत होनी थी, लेकिन तय समय पर बैठक नहीं हो सकी। इसके बाद दोपहर दो बजे दोनों पक्षों के बीच वार्ता हुई। 

दमनात्मक कार्रवाई को वापस लेने की मांग

बातचीत के दौरान संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने ऊर्जा मंत्री के साथ बीती तीन दिसंबर को हुए समझौते पर अमल किए जाने की अपनी मांग दोहराई। साथ ही, इस आंदोलन के दौरान बिजली कर्मियों के विरुद्ध हुई दमनात्मक कार्रवाई को वापस लेने की मांग की।

ऊर्जा मंत्री ने दिया आश्वासन

ऊर्जा मंत्री ने संघर्ष समिति को आश्वस्त किया कि कार्य बहिष्कार और हड़ताल के दौरान विद्युत कर्मियों द्वारा आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) के उल्लंघन, बिजली आपूर्ति बाधित व क्षतिग्रस्त करने पर उनके खिलाफ दर्ज ऐसे सभी मुकदमों को वापस लिया जाएगा। इस दौरान बर्खास्त किये गए सभी कर्मचारियों को पुन: बहाल किया जाएगा। 

चेयरमैन एम. देवराज को मिले निर्देश 

उन्होंने उप्र पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज को निर्देश दिए कि हड़ताल के दौरान बिजली कर्मियों पर की गई संपूर्ण कार्रवाई को स्थगित करने की प्रक्रिया पूरी की जाए। ऊर्जा मंत्री ने वार्ता के दौरान विद्युत कर्मियों को यह भी आश्वासन दिया कि पिछले वर्ष तीन दिसंबर को उनके साथ किये गए समझौते की मांगों को वार्ता के माध्यम से सुलझाने का प्रयास किया जाएगा। यह भी कहा कि इस समझौते में से कुछ मांगों को पूरा कर लिया गया है तथा कुछ अन्य पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।

शैलेन्द्र दुबे ने की हड़ताल खत्म की घोषणा

वार्ता के बाद संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि ऊर्जा मंत्री ने दिसंबर 2022 में हुए समझौते को क्रियान्वित करने का भरोसा दिलाने के साथ इस आंदोलन के दौरान बिजलीकर्मियों के विरुद्ध निष्कासन, निलंबन और दर्ज किये गए मुकदमों को वापस लेने का आश्वासन दिया है। इसलिए संघर्ष समिति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व ऊर्जा मंत्री के प्रति आभार प्रकट करते हुए और हाई कोर्ट के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए हड़ताल को समय से पहले खत्म करने की घोषणा करती है। 

आपूर्ति को सुचारू करने की अपील

वहीं ऊर्जा मंत्री ने हड़ताल खत्म होते ही बिजली कर्मचारियों से तत्काल काम पर वापस लौटने और बाधित विद्युत आपूर्ति को सुचारू करने की अपील की। वार्ता के दौरान यूपीपीसीएल के चेयरमैन एम. देवराज, प्रबंध निदेशक पंकज कुमार और उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम और पारेषण निगम के प्रबंध निदेशक पी.गुरुप्रसाद और संघर्ष समिति के अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे।

गौरतलब है कि हड़ताल के दौरान विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के 22 नेताओं के विरुद्ध एस्मा (आवश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम) के तहत मुकदमा दर्ज कर सरकार ने उनकी गिरफ्तारी के निर्देश दिए थे। इनमें से छह नेताओं को निलंबित करने के साथ ही उन्हें लखनऊ के बाहर भेजने के आदेश दिये गए हैं। बिजली आपूर्ति को बाधित करने वाले 29 कार्मिकों के विरुद्ध भी एफआईआर दर्ज की गई है। इसके अलावा हड़ताल पर गए 1332 संविदा व आउटसोर्सिंग कर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं।

Edited By: Shivam Yadav