Move to Jagran APP

बुलंदशहर में 'मौत के जाम' पर योगी सरकार सख्‍त, पंचायत चुनाव से पहले दी चेतावनी

बुलंदशहर की घटना से सचेत होकर जहरीली और अवैध शराब के धंधेबाजों पर रणनीति बनाकर धावा बोलने से ही दुर्घटनाओं के खतरे को टाला जा सकता है। सिकंदराबाद के निकट गांव जीतगढ़ी में जहरीली शराब पीने से हुई पन्ना लाल की मौत के बाद विलाप करते स्वजन। जागरण आर्काइव

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2021 11:20 AM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2021 11:49 AM (IST)
बुलंदशहर में 'मौत के जाम' पर योगी सरकार सख्‍त, पंचायत चुनाव से पहले दी चेतावनी
पन्ना लाल की मौत के बाद विलाप करते स्वजन। जागरण आर्काइव

लखनऊ, राजू मिश्र। राज्य के बुलंदशहर जिले के सिकंदराबाद में जहरीली शराब पीने से छह लोगों की मौत की घटना दुखद तो है ही, इसके कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलू भी हैं जिन पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। सात जनवरी की रात रेक्टिफाइड केमिकल से बनाई गई जहरीली शराब पीने से जीतगढ़ी गांव के छह लोगों की मौत हो गई। करीब दर्जन भर लोग अब भी बीमार हैं। रेक्टिफाइड केमिकल में सौ फीसद अल्कोहल होता है। जरा सी मात्र इधर-उधर हुई कि इससे बनी शराब जानलेवा हो जाती है। प्रदेश की योगी सरकार ने इस पर सख्त कदम उठाए हैं। आबकारी और पुलिस विभाग के कई अधिकारियों को निलंबित किया गया और दोषियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई हुई।

loksabha election banner

बुलंदशहर की यह घटना सरकारी तंत्र को सचेत करने वाली है। आसन्न पंचायत चुनावों के दृष्टिगत यह और भी अहम है। यह किसी से छिपा तथ्य नहीं है कि उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में कई गांवों में दो-ढाई दशक में शराब कुटीर उद्योग की तरह पनपा है। यह उद्योग कहीं ढके-छिपे स्वरूप में नहीं चल रहा, बल्कि स्थानीय पुलिस व आबकारी अधिकारियों के बाकायदा संरक्षण में चलता है। आबकारी अधिकारियों को इससे हफ्ता मिलता है तो पुलिस के लिए हफ्तावसूली के अलावा गुडवर्क का कोटा पूरा करने का बड़ा माध्यम भी है। अवैध रूप से शराब बनाना और बेचना आबकारी अधिनियम के तहत बड़ा अपराध नहीं। आज पकड़े जाओ और कल जमानत। इसी का फायदा पेशेवर लोग उठाते हैं और पुलिस व आबकारी अधिकारी उन्हें संरक्षण देते हैं। वर्ष 2017 में आजमगढ़ में शराब से मौतों के बाद सरकार ने आबकारी अधिनियम में संशोधन कर सख्त प्रविधान किए थे। नई धारा 60 (क) जोड़ी गई थी। इसके तहत किसी की मौत हो जाने पर जहरीली शराब बनाने और बेचने वाले को उम्र कैद या मृत्युदंड की सजा, दस लाख रुपये के जुर्माने का प्रविधान किया गया था। माना गया था कि आबकारी अधिनियम में सख्त प्रविधान से अवैध शराब का कारोबार करने वाले भयभीत होंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

बुलंदशहर जिले के सिकंदराबाद के निकट गांव जीतगढ़ी में जहरीली शराब पीने से हुई पन्ना लाल की मौत के बाद विलाप करते स्वजन। जागरण आर्काइव

दरअसल, दो-ढाई दशकों में इस कुटीर उद्योग की जड़ें इतनी गहरी हो गई हैं कि इन्हें हिलाने के लिए अभियान के रूप में काम करने की जरूरत है। पुलिस और आबकारी अधिकारियों के साथ ही इन्हें मिलने वाले स्थानीय राजनीतिक संरक्षण के धागों की पहचान भी करनी होगी। गांवों में नकली, मिलावटी या जहरीली शराब के चलन के बीज चुनावी राजनीति ने ज्यादा बोए हैं। खास तौर पर पंचायत चुनाव के समय कई गांवों में प्रत्याशी प्रसाद की तरह शराब परोसते हैं। बड़ी खपत के लिए शराब की भट्ठियां गांवों के छोटे मजरों में कारखाने की तरह सजा दी जाती हैं। इनमें से कुछ चुनाव बाद बंद हो जाती हैं तो कुछ स्थायी हो जाती हैं।

पंचायत-प्रधानी के वोट मैनेज करने में शराब की महिमा ऑफ द रिकार्ड बातचीत में मध्य उत्तर प्रदेश के एक कद्दावर राजनेता ने बखानी थी। अपने कार्यकर्ता को तो थोड़ी-थोड़ी पीने की हिदायत दी जाती है, लेकिन विरोधी के समर्थकों को जमकर छकाई जाती है। अपनों के लिए ब्रांड भी अलग कर लिए जाते हैं। मतदान के पहले वाली रात तो कोशिश होती है कि विरोधी प्रत्याशी के कार्यकर्ता को पिला-पिलाकर इतना पस्त कर दिया जाए कि वह अगले दिन जब हैंगओवर से उठे तब तक उसका वोट पड़ चुका हो। कई बार तो टोटी लगे ड्रम में शराब भरकर पीने-पिलाने का दौर चलता है। यह वही शराब होती है जिसके बनाने और पिलाने का घातक तरीका ही मौत का कारण बन जाता है।

आबकारी अधिनियम में संशोधन कर जो सख्त प्रविधान किए गए हैं, वे अपनी जगह सही हैं। हादसा होने के बाद ये बेहद सख्ती का संदेश तो देते हैं, लेकिन ऐसे उपाय करने की जरूरत ज्यादा है जो हादसा होने से बचाएं। ज्यादातर अवैध शराब के अड्डे पुलिस और आबकारी अधिकारियों की जानकारी में चल रहे हैं। प्रधान, पूर्व प्रधान अथवा बीडीसी सदस्य के स्तर पर इन्हें राजनीतिक संरक्षण मिलता है। इन कड़ियों को चिह्न्ति कर इनके विरुद्ध गंभीर अभियान चलाने की जरूरत है। बुलंदशहर की घटना से सचेत होकर जहरीली और अवैध शराब के धंधेबाजों पर रणनीति बनाकर धावा बोलने से ही दुर्घटनाओं के खतरे को टाला जा सकता है।

[वरिष्ठ समाचार संपादक, उत्तर प्रदेश]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.