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UP PF Scam : पांच फर्जी फर्मों के संचालक तलब, अब कई बैंक खातों पर टिकी है ईओडब्ल्यू की निगाह

ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन सचिव पीके गुप्ता के बेटे अभिनव व फर्जी कंपनी के संचालक आशीष चौधरी को शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 10:52 PM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 10:53 PM (IST)
UP PF Scam : पांच फर्जी फर्मों के संचालक तलब, अब कई बैंक खातों पर टिकी है ईओडब्ल्यू की निगाह
UP PF Scam : पांच फर्जी फर्मों के संचालक तलब, अब कई बैंक खातों पर टिकी है ईओडब्ल्यू की निगाह

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन की भविष्य निधि की रकम निजी कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में निवेश कराने में शामिल रहीं फर्जी ब्रोकर फर्मों की पोल भी लगातार खुल रही है। ईओडब्ल्यू ने पांच फर्जी ब्रोकर कंपनियों के संचालकों को सोमवार को पूछताछ के लिए तलब किया है। सूत्रों का कहना है कि इनमें तीन संचालक दिल्ली व दो संचालक हरियाणा के हैं। ईओडब्ल्यू कमीशन के लेनदेन में इस्तेमाल हुए बैंक खातों की भी सिलसिलेवार पड़ताल कर रही है। कई अहम साक्ष्य हाथ लगे हैं।

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ईओडब्ल्यू ने गुरुवार को गिरफ्तार तत्कालीन सचिव पीके गुप्ता के बेटे अभिनव व फर्जी कंपनी के संचालक आशीष चौधरी को शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। बताया गया कि 17 नवंबर को आरोपित तत्कालीन निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी व सचिव ट्रस्ट पीके गुप्ता की न्यायिक अभिरक्षा की अवधि पूरी हो रही है। ईओडब्ल्यू शनिवार को कोर्ट में प्रार्थनापत्र देकर दोनों आरोपितों की 15 दिनों की न्यायिक अभिरक्षा बढ़ाने की सिफारिश करेगी। ईओडब्ल्यू जांच में सामने आए कुछ नए तथ्यों से जुड़ी पूछताछ करने के लिए आरोपित अभिनव को पुलिस कस्टडी रिमांड पर भी ले सकती है।

उल्लेखनीय है कि बिजलीकर्मियों के भविष्य निधि घोटाले में अब तक पांच आरोपितों की गिरफ्तारी हो चुकी है। डीएचएफएल से मिले बैंक ट्रांजेक्शन की डिटेल खंगाली जा रही है। भविष्य निधि घोटाले की जांच में 14 ब्रोकर फर्मों की भूमिका सामने आ चुकी है। ईओडब्ल्यू इन सभी बैंक खातों के संचालकों के बारे में भी छानबीन कर रही है। जिन 14 फर्मों के जरिये निवेश किया गया था, वे मार्च 2017 से पावर कारपोरेशन के अधिकारियों के संपर्क में थीं। 4122.70 करोड़ के भविष्य निधि घोटाले में हजरतगंज कोतवाली में एफआइआर दर्ज कराये जाने के बाद ही शासन ने इस मामले की विवेचना ईओडब्ल्यू को सौंप दी थी।


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