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UP News: अब रेलकर्मी की मृत्‍यु पर गारंटर और परिवारीजन नहीं चुकाएंगे लाेन, ऋण पर भी इंश्योरेंस लागू

नार्दर्न रेलवे मल्टी स्टेट प्राइमरी कोआपरेटिव बैंक अपने कर्मचारियों को लोन देने पर उसका इंश्योरेंस भी करेगा। राशि का दो प्रतिशत इंश्योरेंस कवर पर खर्च होगा। इससे कर्मचारी की मृत्यु होने या उसके न देने पाने की दशा में बकाया राशि इंश्योरेंस के माध्यम से प्राप्त की जा सकेगी।

By Vrinda SrivastavaEdited By: Published: Wed, 10 Aug 2022 11:22 AM (IST)Updated: Wed, 10 Aug 2022 11:22 AM (IST)
UP News: अब रेलकर्मी की मृत्‍यु पर गारंटर और परिवारीजन नहीं चुकाएंगे लाेन, ऋण पर भी इंश्योरेंस लागू
लोन लेने पर उसका इंश्योरेंस भी करेगा नार्दर्न रेलवे मल्टी स्टेट प्राइमरी कोआपरेटिव बैंक।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। ब्रिटिशकालीन रेलवे बैंक से कर्जा लेने वाले कर्मचारी की मृत्यु होने या उनके भाग जाने की दशा में अब उसका बकाया गारंटर को नहीं देना हाेगा। नार्दर्न रेलवे मल्टी स्टेट प्राइमरी कोआपरेटिव बैंक अब अपने कर्मचारियों को लोन देने के साथ उसका इंश्योरेंस भी करेगा। लोन की राशि का दो प्रतिशत इंश्योरेंस कवर पर खर्च होगा। इससे कर्मचारी की मृत्यु होने या उसके न देने पाने की दशा में बकाया राशि इंश्योरेंस के माध्यम से प्राप्त की जा सकेगी।

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यह व्यवस्था नार्दर्न रेलवे मल्टी स्टेट प्राइमरी कोआपरेटिव बैंक की लखनऊ सहित प्रयागराज, मुरादाबाद, कानपुर, बीएलडब्ल्यू वाराणसी की शाखाओं में लागू कर दी गई है। नार्दर्न रेलवे मल्टी स्टेट प्राइमरी कोआपरेटिव बैंक की स्थापना 104 वर्ष पहले की गई थी। ब्रिटिशकालीन रेलवे में कर्मचारियों को अचानक पड़ने वाली जरूरतों को पूरा करने के लिए उनको ऋण की सुविधा इसी बैंक से दी जाती थी। इस बैंक में जमा धनराशि पर कर्मचारियों के अलावा आम जनता को भी ब्याज मिलता है।

बैंक की मौजूदा सावधि जमा पर ब्याज दर आठ प्रतिशत है जो कि अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों से ज्यादा है। बैंक से ऋण रेलवे में तैनात वह कर्मचारी ले सकते हैं जो यहां के शेयरधारक होते हैं। अब तक ऋण लेने पर उनके शेयर का हिस्सा काटने के बाद धनराशि दी जाती थी। जो कि पहले 12 प्रतिशत थी। अब पांच प्रतिशत ही शेयर का अंश लोन लेते समय कट जाता है। जिसका भुगतान हर साल मिलने वाले लाभांश सहित कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के समय किया जाता है।

अब तक दो गारंटर होने पर ही कर्मचारियों को ऋण मिल पाता था। कई बार कर्मचारी अपने बकाया ऋण को नहीं दे पाते थे तो उसकी वसूली गारंटर से हो जाती थी। इसे देखते हुए आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के केंद्रीय महामंत्री शिवगोपाल मिश्र ने गारंटर प्रथा को ही समाप्त करने की मांग उठायी थी। बैंक के सभापति राकेश कुमार कनौजिया ने दो की जगह एक गारंटर की व्यवस्था शुरू करते हुए अब लोन पर भी इंश्योरेंस को लागू कर दिया है।

अब ऋण की नई व्यवस्था : इस बैंक से कर्मचारियों को 40 लाख रुपये तक का ऋण मिल सकता है। जिसमें 20 लाख रुपये तक का वेतन ऋण 10 प्रतिशत की ब्याज दर पर मिलता है। ऋण देने से पहले अब सिबिल स्कोर को भी देखा जाता है। 850 से अधिक सिबिल स्कोर पर 10 प्रतिशत जबकि 751 से 800 सिबिल स्कोर पर 10.50 प्रतिशत व 700 से अधिक सिबिल स्कोर होने पर 11 प्रतिशत की वार्षिक दर से लोन मिलता है। वहीं 700 से कम सिबिल स्कोर होने पर ब्याज दर 12 प्रतिशत हाे जाती है।


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