प्रदेश सरकार की नौकरी की भर्ती प्रक्रिया के बदलाव करने में समर्थन में देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी
UP Government Job राजनीतिक दलों के विरोध के बीच देवबंद के उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने योगी आदित्यनाथ सरकार फैसले का स्वागत किया है।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरी में नियुक्ति प्रक्रिया में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को सहारनपुर के देवबंद का समर्थन मिला है। विपक्षी दल भले ही प्रदेश सरकार के फैसले का जमकर विरोध कर रहे हैं, लेकिन देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। उनका मानना है कि इस प्रक्रिया से सरकारी नौकरी पाने वाले पांच वर्ष में परिपक्व होने के साथ ईमानदारी से काम करेंगे।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने सरकारी नौकरी की भर्ती प्रक्रिया में बड़े बदलाव का मसौदा तैयार किया है। सरकार की इस तैयारी की भनक लगते ही कांग्रेस व समाजवादी पार्टी के साथ आम आदमी पार्टी ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। राजनीतिक दलों के विरोध के बीच देवबंद के उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने योगी आदित्यनाथ सरकार फैसले का स्वागत किया है।
उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि इस फैसले से प्रदेश के हालात अच्छे होंगे और नौकरी करने वाला ईमानदारी और मेहनत से नौकरी करेगा। मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि देखिए जिस तरीके से मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश में एक कानून लाने के बारे में बात की है और कहा है कि कैबिनेट में प्रस्ताव को पास करेंगे यह जो सरकारी नौकरी होती है उसमें पांच साल तक पहले प्राइवेट तरीके से रखा जाएगा और छठे साल अगर उनका कार्य प्रदर्शन सही होता है तो सही तौर पर यानी हमेशा के तौर पर सरकारी मुलाजिम बनाया जाएगा तो यह अच्छा कदम है। जिसमें कहा गया है कि अब सीधे तौर पर सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। एक वर्ष नौकरी के बाद चरित्र अच्छा रहा तो पांच साल के बाद सरकारी नौकरी मिलेगी।
कासमी ने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार के इस फैसले से प्रदेश के अंदर सुधार आएगा। इसके साथ अधिकारी या सरकारी जितने भी कर्मचारी हैं पांच साल तक और उसके बाद भी वो कोशिश करेंगे कि उनका कार्य प्रदर्शन ठीक रहे और कार्य प्रदर्शन अगर ठीक रहेगा तो प्रदेश ठीक रहेगा। सरकार ने जो फैसला लिया है वो अच्छा है। हम इससे सहमत हैं।
गारैतलब है कि उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरियों में भर्ती को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार बड़े बदलाव की तैयारी पर विचार कर रही है। इसके तहत समूह 'ख' व 'ग' की भर्ती में चयन के बाद पांच वर्ष तक संविदा कर्मचारी के तौर पर काम करना होगा। इस दौरान उन्हेंं नियमित सरकारी सेवकों को मिलने वाले अनुमन्य सेवा संबंधी लाभ नहीं मिलेंगे। पांच वर्ष की कठिन संविदा सेवा के दौरान जो छंटनी से बच पाएंगे उन्हेंं ही मौलिक नियुक्ति मिल सकेगी। इसके पीछे का तर्क यह है कि इस व्यवस्था से कर्मचारियों की दक्षता बढ़ेगी। इसके साथ ही नैतिकता देशभक्ति और कर्तव्यपरायणता के मूल्यों का विकास होगा। इतना ही नहीं सरकार पर वेतन का खर्च भी कम होगा।
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