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यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सरकार की बड़ी तैयारी, सत्रह अतिपिछड़ी जातियों को म‍िल सकता है आरक्षण

लोकसभा चुनाव में भाजपा की सहयोगी रही निषाद पार्टी के अध्यक्ष का मन पिछले दिनों भाजपा से कुछ खट्टा हुआ था। मगर उसके बाद से प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर के भाजपा नेताओं से कई दौर की वार्ता इसी प्रयास में हुई कि यह सियासी नाता टूटे नहीं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 14 Aug 2021 09:58 PM (IST)Updated: Sun, 15 Aug 2021 11:31 AM (IST)
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सरकार की बड़ी तैयारी, सत्रह अतिपिछड़ी जातियों को म‍िल सकता है आरक्षण
नड्डा और शाह से संजय निषाद की मुलाकात के साथ मजबूत हुई संभावनाएं।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। पिछड़े और अतिपिछड़ों को अपने पाले में लामबंद करने के विपक्षी दलों के प्रयासों को करारा झटका लग सकता है। अब पूरी संभावना है कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार निषाद की उपजातियों सहित सत्रह अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूर कर दें। शनिवार को दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात में निषाद पार्टी के अध्यक्ष डा. संजय निषाद और उनके बेटे सांसद प्रवीण निषाद को यह आश्वासन मिल चुका है।

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विधानसभा चुनाव करीब आते ही अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग तमाम छोटे दलों ने तेज कर दी। विपक्ष इस मुद्दे को हवा देकर ऐसी सत्रह अतिपिछड़ी जातियों में से खास तौर पर निषादों को अपने पाले में खींचने के प्रयास शुरू कर दिए। दरअसल, इन सत्रह में तेरह उपजातियां निषाद समाज की हैं। इस समाज के नेता दावा करते हैं कि उनकी आबादी उत्तर प्रदेश में लगभग 13 फीसद है और करीब 160 विधानसभा सीटों पर अच्छा-खास प्रभाव है। ऐसे में कोई पार्टी इस जाति-वर्ग को छोडऩा नहीं चाहता।

लोकसभा चुनाव में भाजपा की सहयोगी रही निषाद पार्टी के अध्यक्ष का मन पिछले दिनों भाजपा से कुछ खट्टा हुआ था। मगर, उसके बाद से प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर के भाजपा नेताओं से कई दौर की वार्ता इसी प्रयास में हुई कि यह सियासी नाता टूटे नहीं। इसी क्रम में डा. संजय निषाद और प्रवीण निषाद की बैठक गृह मंत्री के आवास पर जेपी नड्डा और अमित शाह के साथ हुई। करीब एक घंटे चली इस बैठक के बाद यह संभावना मजबूत हो गई है कि जल्द ही योगी सरकार सत्रह अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का आरक्षण प्रस्ताव विधानमंडल से पारित करा कर केंद्र को भेज दे। चूंकि, वहां भी भाजपा सरकार है और इस दिशा में समन्वय के साथ काम चल रहा है, इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्र सरकार भी प्रस्ताव को हरी झंडी देने में देर न लगाए। ऐसे में पिछड़ी जातियों को एकजुट करने का यह बड़ा दांव भाजपा का होगा।

बैठक के बाद फोन पर हुई बातचीत में संजय निषाद ने बताया कि आरक्षण की मांग पर सकारात्मक आश्वासन मिला है। डबल इंजन की सरकार है, इसलिए बाधा की कोई आशंका नहीं है। कुछ समय इसलिए लग रहा है, क्योंकि व्यवस्थित ढंग से काम चल रहा है। वहीं, चुनाव में सीटों के बंटवारे के सवाल पर बोले कि निषाद पार्टी को सम्मानजनक सीटें मिलेंगी। राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव और वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) के प्रदेश अध्यक्ष लौटन राम निषाद ने कहा कि उनके समाज को अनुसूचित जाति का लाभ मिल जाए तो भाजपा के साथ उनका गठबंधन निश्चित है। 

यह हैं निषादों की तेरह उपजातियां : मछुआ, मल्लाह, केवट, ङ्क्षबद, मांझी, धीवर, धीमर, तुरहा, रैकवार, बाथम, कहार, कश्यप, गोडिय़ा।


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