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गौतमबुद्धनगर में जेवर के पास बनेगा देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट, 894 करोड़ रुपये मंजूर

योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक में नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट की स्थापना के लिए बिड डॉक्युमेंट और ड्राफ्ट कन्सेशन एग्रीमेंट दस्तावेज को मंजूरी दे दी गई।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 28 May 2019 09:03 PM (IST)Updated: Thu, 30 May 2019 08:10 AM (IST)
गौतमबुद्धनगर में जेवर के पास बनेगा देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट, 894 करोड़ रुपये मंजूर

लखनऊ, जेएनएन। गौतमबुद्धनगर में जेवर के पास नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के निर्माण के लिए विकासकर्ता का चयन जनवरी 2020 तक कर लिया जाएगा। इसके लिए ग्लोबल टेंडर 30 मई को जारी होगा।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट की स्थापना के लिए बिड डॉक्युमेंट (रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशन और रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) और ड्राफ्ट कन्सेशन एग्रीमेंट दस्तावेज को मंजूरी दे दी गई। कैबिनेट ने परियोजना से प्रभावित और विस्थापित परिवारों के पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन के लिए 894.53 करोड़ रुपये की रकम मंजूर कर दी है। पूर्व में जारी 275 करोड़ रुपये की धनराशि की प्रशासकीय और वित्तीय स्वीकृति पर कार्योत्तर अनुमोदन भी दिया है।

कैबिनेट बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता व स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि एयरपोर्ट परियोजना की निगरानी और क्रियान्वयन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित प्रोजेक्ट मॉनिटरग एंड इम्प्लीमेंटेशन कमेटी (पीएमआइसी) विकासकर्ता चयन के लिए बिड डॉक्युमेंट और ड्राफ्ट कन्सेशन एग्रीमेंट दस्तावेज को पहले ही अनुमोदित कर चुकी है। कैबिनेट ने बीती 21 मई को पीएमआइसी की बैठक में परियोजना के लिए निर्धारित समयसारिणी के अनुसार, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एनआइएएल) को ग्लोबल टेंडर की कार्रवाई  करने की मंजूरी भी दे दी है। परियोजना का सोशल इम्पैक्ट एसेसमेंट करने के बाद उसके आधार पर प्रभावित और विस्थापित होने वाले परिवारों के पुनर्वासन व पुनर्व्यवस्थापन के लिए 894.530 करोड़ रुपये की रकम स्वीकृत की गई है। 30 मई को ग्लोबल टेंडर जारी करने के बाद छह महीने में टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी और उसके आधार पर जनवरी 2020 तक विकासकर्ता का चयन कर लिया जाएगा।

चार चरणों में होगा निर्माण, दो रनवे बनेंगे

विशेष सचिव नागरिक उड्डयन सूर्यपाल गंगवार ने बताया कि सार्वजनिक निजी सहभागिता (पीपीपी) आधार पर क्रियान्वित की जाने वाली परियोजना का निर्माण चार चरणों में होगा। पहले चरण में एयरपोर्ट का पहला रनवे बनाया जाएगा। दूसरे चरण में दूसरे रनवे का निर्माण होगा। दोनों रनवे के निर्माण की टाइमलाइन भी कैबिनेट ने अनुमोदित कर दी है। जेवर एयरपोर्ट पर आठ रनवे होंगे। यह देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा। एयरपोर्ट की शुरुआत दो रनवे से होगी। यात्रियों की संख्या बढ़ने के साथ जेवर एयरपोर्ट पर रनवे की संख्या बढ़ाई जाएगी। शुरुआत में एक करोड़ बीस लाख सालाना यात्री जेवर एयरपोर्ट से हवाई सेवाओं का उपयोग करेंगे। प्रदेश सरकार ने एयरपोर्ट के लिए नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट कंपनी लिमिटेड (निआल) का गठन किया है। इस कंपनी में प्रदेश सरकार व नोएडा प्राधिकरण 37.5-37.5 फीसद व ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण 12.5-12.5 फीसद के हिस्सेदार हैं। जमीन अधिग्रहण के लिए तीनों प्राधिकरण व प्रदेश सरकार ने 2850 करोड़ रुपये जुटाए हैं। पुनर्वास पर 1500 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

1200 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि की जा रही अधिग्रहीत
गंगवार ने बताया कि परियोजना के लिए कुल 1426 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जानी है जिसमें से छह गांवों की 1200 हेक्टेयर से ज्यादा निजी भूमि के अर्जन की कार्रवाई जारी है। इन छह गांवों में अर्जित की जा रही जमीन के मुआवजे के वितरण की कार्रवाई चल रही है। इसके बाद दाखिल-खारिज की कार्रवाई होगी। जमीन के मुआवजे के वितरण के समानांतर पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन का मुआवजा बांटा जाएगा।

दिल्ली-एनसीआर को करीब लाएगा जेवर एयरपोर्ट

जेवर एयरपोर्ट दिल्ली-एनसीआर को भी करीब लाएगा। एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी के लिए मेट्रो का डीपीआर तैयार हो चुका है। 2025 तक एयरपोर्ट मेट्रो दौड़ने लगेगी। ग्रेटर नोएडा नॉलेज पार्क दो से एयरपोर्ट तक करीब 35 किमी लंबे मेट्रो ट्रैक का निर्माण होगा। इस पर 5708 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है। एयरपोर्ट टर्मिनल तक मेट्रो रूट पर 25 स्टेशन होंगे। एक अनुमान के अनुसार, पहले दिन से मेट्रो को हजारों की संख्या में यात्री मिलने का अनुमान लगाया गया है। आइजीआई (इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा) से जेवर एयरपोर्ट को कनेक्टिविटी के लिए प्रदेश सरकार केंद्र को पहले ही प्रस्ताव भेज चुकी है। एलिवेटिड रोड से दोनों एयरपोर्ट को जोड़ने की योजना है। एयरपोर्ट की बिड तैयार करने वाली एजेंसी प्राइस वाटर हाउस कूपर (पीडब्ल्यूसी) के अनुसार, पश्चिम उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान से एयरपोर्ट को यात्री मिलेंगे।

बदल जाएगी नोएडा तथा के पास के जिलों की तस्वीर

जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण के साथ गौतमबुद्ध नगर व आसपास के इलाके की तस्वीर बदल जाएगी। पांच हेक्टेयर क्षेत्रफल व आठ रनवे के साथ जेवर एयरपोर्ट देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा। पहले फेज में दो रनवे का ही निर्माण होगा। 2022-23 से एयरपोर्ट से हवाई सेवा की शुरुआत का लक्ष्य है। प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने जेवर एयरपोर्ट प्रोजेक्ट में रुचि दिखाई। जून 2017 में जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट को केंद्र ने सैद्धांतिक मंजूरी दी। करीब एक वर्ष के अंदर एयरपोर्ट को केंद्र के सभी संबंधित मंत्रालयों से एनओसी भी मिल गई। 2018 में एयरपोर्ट की जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई।

एक लाख लोगों को मिलेगा रोजगार

जेवर एयरपोर्ट से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है। एयरपोर्ट के नजदीक एयरोसिटी विकसित करने की योजना है। इसमें मल्टीप्लेक्स, मॉल, पब, कन्वेंशन सेंटर, मंडी आदि विकसित की जाएगी। इससे किसानों की फसल भी विश्व मार्केट तक पहुंचेगी।

जेवर बांगर गांव के पास बसेंगे विस्थापित परिवार

जेवर एयरपोर्ट के लिए रोही, दयानतपुर व किशोरपुर के 3627 परिवारों का विस्थापन होगा। इन परिवार को जेवर नगर पंचायत के करीब आधा किमी दूर जेवर बांगर में बसाया जाएगा। यहां सड़क, बिजली, सीवर, स्कूल, सामुदायिक भवन, धार्मिक स्थल समेत सभी ढांचागत सुविधाएं विकसित होंगी। प्रदेश सरकार ने इन परिवारों पनुर्वास के लिए मंगलवार को 894 करोड़ के बजट को भी स्वीकृति दे दी है। विस्थापित परिवार को गांव में कवर्ड एरिया के क्षेत्रफल का पचास फीसद भूखंड मिलेगा। इसकी रजिस्ट्री नि:शुल्क होगी। परिसंपत्ति के मूल्य का दो गुना मुआवजा, नौकरी के एवज में पांच लाख 85 हजार रुपये एक मुश्त धनराशि, व्यापार, रोजगार के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी।  

कब-क्या हुआ

  • छह जुलाई 2017 को केंद्र सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एयरपोर्ट के लिए साइट क्लियरेंस दी।
  • आठ सितंबर 2017 को जमीन खरीदने के लिए राज्य सरकार ने 1800 करोड़ रुपये की रकम मंजूर की। 
  • पांच अक्टूबर 2017 को गृह मंत्रालय ने परियोजना के लिए अनापत्ति दी।
  • नौ मई 2018 को केंद्र सरकार ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के माध्यम से परियोजना के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति दी।
  • 28 अक्टूबर 2018 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पीएमआइसी गठित।
  • 21 मई 2019 को पीएमआइसी ने परियोजना के लिए समयसारिणी तय की।

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