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UP Cabinet Decision : उत्तर प्रदेश में थर्ड जेंडर के व्यक्ति को भी मिलेगा संपत्ति में उत्तराधिकार

UP Cabinet Decision उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में थर्ड जेंडर के व्यक्तियों को भूमि के स्वामित्व का अधिकार और उत्तराधिकार देने का फैसला किया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 18 Aug 2020 09:57 PM (IST)Updated: Wed, 19 Aug 2020 09:29 AM (IST)
UP Cabinet Decision : उत्तर प्रदेश में थर्ड जेंडर के व्यक्ति को भी मिलेगा संपत्ति में उत्तराधिकार
UP Cabinet Decision : उत्तर प्रदेश में थर्ड जेंडर के व्यक्ति को भी मिलेगा संपत्ति में उत्तराधिकार

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में थर्ड जेंडर के व्यक्तियों को भूमि के स्वामित्व का अधिकार और उत्तराधिकार देने का फैसला किया है। इसके लिए थर्ड जेंडर के व्यक्ति को भू-खातेदार के परिवार के सदस्य के रूप में शामिल करने का निर्णय किया गया है। मंशा है कि थर्ड जेंडर के व्यक्तियों को भी अन्य लोगों के समान अधिकार और सामाजिक मान्यता मिल सके। इस मकसद से सरकार ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक-2020 को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी है। सरकार विधानमंडल के मानसून सत्र में यह विधेयक पेश करेगी।

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उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक-2020 के माध्यम से औद्योगिक और अवस्थापना परियोजनाओं के लिए सहजता से भूमि सुलभ कराने, कृषि भूमि को गैर कृषिक कार्यों के लिए उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भू-उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया को सरल बनाने तथा निजी उद्योगों के लिए जमीन के विनिमय की प्रक्रिया को सहज बनाने की खातिर उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता में संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं। थर्ड जेंडर के व्यक्ति को भू-खातेदार के परिवार के सदस्य के रूप में शामिल किए जाने और उसे भौमिक अधिकार व उत्तराधिकार देने के मकसद से राजस्व संहिता की धारा-4(10), 108(2) 109 और 110 में संशोधन प्रस्तावित हैं। अभी तक सिर्फ स्त्री और पुुरुषों को ही संपत्ति में उत्तराधिकार प्राप्त था।

दूसरी तरफ अनारक्षित श्रेणी की जमीनों को खेल के मैदान, चरागाह व श्मशान स्थल जैसे सार्वजनिक उपयोगों के लिए आरक्षित करने और बची हुई जमीन को वापस ग्राम सभा में निहित करने के लिए धारा-59(4)(क) में संशोधन किया गया है। पूर्व में जारी पुनग्र्रहण आदेश में संशोधन और पुनग्र्रहण की अधिसूचना को डीनोटिफाई करने के लिए धारा-594(ग) में संशोधन किया गया है। चरागाहों के कुछ हिस्से पर पशुओं के लिए ट्यूबवेल, चरही बनाने, भूसा चारा आदि रखने के लिए अस्थायी टिन शेड आदि का विकास ग्राम पंचायत द्वारा किए जाने के लिए धारा 60(2) में संशोधन किया गया है। शैक्षणिक संस्थाओं, अस्पतालों और उद्योगों के लिए जमीन का विनिमय सुगमता से हो सके, इसके लिए धारा-77(2) में संशोधन किया गया है।

औद्योगिकीकरण को गति देने के लिए कृषि भूमि को गैर कृषिक उपयोग में लाए जाने की घोषणा 45 दिन में की जा सकेगी, इसके लिए धारा 80(1) में संशोधन किया गया है। उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम के समय खरीदी गई जिन जमीनों का विनियमितीकरण नहीं हो पाया था, जुर्माने के साथ उनका भी नियमितीकरण करने के लिए धारा 89(3) में संशोधन किया गया है। इससे बिना अनुमति के 12.5 एकड़ से अधिक जमीन खरीदने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा और सरकार को आमदनी भी होगी। धारा 101(2) (ख) और (ग) में प्रस्तावित संशोधन से विनिमय प्रक्रिया में भूमि के मूल्यांकन में 10 प्रतिशत और क्षेत्रफल में 25 प्रतिशत से अधिक अंतर होने पर भी यदि सरकार को अधिक मूल्य व क्षेत्रफल की भूमि प्राप्त हो रही है तो विनिमय करने का प्राविधान किया गया है। 


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