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By-Election Result: भाजपा का बूथ प्रबंधन पहली परीक्षा में ही पास, सांसदों-विधायकों व मंत्रियों ने भी संभाला उपचुनाव में मोर्चा

UP By-Polls Result 2022 यादव बहुल आजमगढ़ और मुस्लिम मतों की बहुतायत वाले रामपुर में सपा की हार के कई कारण हो सकते हैं लेकिन भाजपा के दृष्टिकोण से जीत का कारण है उसकी सटीक रणनीति जीतने की ललक और भरपूर संघर्ष।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2022 08:54 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 05:11 PM (IST)
UP By-Polls Result 2022: हारी सीटों पर बूथ सशक्तीकरण अभियान ने लिखी विजयगाथा।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। जिस दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की 80 में से 75 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया था, उसी दिन संगठन ने इस बड़ी जीत की रूपरेखा भी तय कर ली थी। रणनीति बनी कि कमजोर बूथों पर पसीना बहाना है। बूथ सशक्तीकरण अभियान के तहत सांसदों और विधायकों को बूथ मजबूत करने का जिम्मा सौंपा जाएगा और मंत्रियों सहित संगठन के बड़े पदाधिकारी भी पसीना बहाएंगे। भाजपा ने वही रणनीति रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में अपनाई और बूथ प्रबंधन का यह फार्मूला जीत दिलाकर पहली ही परीक्षा में पास हो गया।

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यादव बहुल आजमगढ़ और मुस्लिम मतों की बहुतायत वाले रामपुर में सपा की हार के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन भाजपा के दृष्टिकोण से जीत का कारण है उसकी सटीक रणनीति, जीतने की ललक और भरपूर संघर्ष। जातीय समीकरण की धुंध ऐसी कि भाजपा के पाले में खड़े होकर जीत आसानी से दिखाई ही नहीं दे रही थी, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल की नजर लक्ष्य पर थी, तरकश में भरपूर तीर और लड़ने-जूझने का भरपूर माद्दा भी।

इसी बीच पार्टी के रणनीतिकार 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बूथ सशक्तीकरण अभियान की रूपरेखा बना चुके थे। इसके तहत प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में सौ बूथ सांसद और 25-25 कमजोर बूथों पर मेहनत करने की जिम्मेदारी विधायकों को सौंपी जानी थी। विडंबना यह कि भाजपा के पास दोनों सीटों पर सांसद नहीं थे।

रामपुर की पांच विधानसभा सीटों में से तीन में सपा के विधायक हैं और आजमगढ़ की सभी दस सीटों पर भाजपा को विधानसभा चुनाव में हार मिली। ऐसे में भाजपा ने अपने दो अनुभवी नेता संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना को रामपुर और कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही को आजमगढ़ का प्रभारी बनाया। उनके साथ संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी, प्रदेश सरकार के मंत्रियों के अलावा केंद्रीय मंत्रियों को भी बूथ स्तर पर सक्रिय कर दिया।

पार्टी की एक-एक गतिविधि बूथ स्तर पर की गई। योजनाओं के लाभार्थियों से संपर्क किया। क्षेत्र की जनता से जुड़ाव बढ़ाया और अपनी बात पहुंचाई। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोनों क्षेत्रों में जनसभाएं कीं। अखिलेश जातीय समीकरणों के भरोसे दोनों सीटों को अभेद्य किला मानकर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे और भाजपा के रणबांकुरों ने सूखी जमीन को पसीने से सींचकर ऐसा कमल खिलाया, जिसकी सुगंध 2024 के लोकसभा चुनाव तक कमल दल वालों का उत्साह बढ़ाती रहेगी।


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