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यूपी बोर्ड में पढ़ाई जाएगी उप्र के स्थानीय महापुरुषों की गौरवशाली गाथा

इतिहास विषय के विशेषज्ञों के निर्देशन में तैयार होने वाली यह किताब यूपी बोर्ड की कक्षा 12 में इतिहास विषय के साथ पढ़ाई जाएगी।

By Ashish MishraEdited By: Published: Tue, 09 Jan 2018 03:14 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jan 2018 03:19 PM (IST)
यूपी बोर्ड में पढ़ाई जाएगी उप्र के स्थानीय महापुरुषों की गौरवशाली गाथा
यूपी बोर्ड में पढ़ाई जाएगी उप्र के स्थानीय महापुरुषों की गौरवशाली गाथा

इलाहाबाद [धर्मेश अवस्थी]। चंद दिन पहले लखनऊ में राज्यपाल रामनाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस ने समवेत स्वर में यूपी की जिस महिमा का गौरव गान किया, वह जल्द ही किताब का आकार लेने जा रहा है। इतिहास विषय के विशेषज्ञों के निर्देशन में तैयार होने वाली यह किताब यूपी बोर्ड की कक्षा 12 में इतिहास विषय के साथ पढ़ाई जाएगी। सरकार इसके लिए एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में परिवर्तन न करके इतिहास विषय में इसे बुकलेट के रूप में जोड़ेगी।

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गौरतलब है कि माध्यमिक कालेजों में नए सत्र से एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू हो रहा है। सत्र शुरू होने से पहले बाजार में किताबें उपलब्ध कराने की तैयारी है। इसके साथ ही प्रदेश सरकार का जोर अपनी संस्कृति और स्वर्णिम इतिहास को अक्षुण्ण बनाए रखने पर है। इसीलिए सरकार ने बोर्ड प्रशासन को निर्देश दिया है कि एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के साथ ही स्थानीय महापुरुष व गौरवशाली इतिहास पढ़ाने का इंतजाम जरूर हो। इसी को ध्यान में रखकर बोर्ड प्रशासन कक्षा 12 के इतिहास विषय में अलग बुकलेट जोडऩे जा रहा है। उस पुस्तक का शीर्षक 'स्वतंत्रता आंदोलन और संविधान निर्माण में उप्र का योगदान होगा। इसको लेकर बोर्ड मुख्यालय पर सोमवार से ही कार्यशाला शुरू हो गई है।


बुकलेट में उत्तर प्रदेश के आजादी के रणबांकुरों का जिक्र होगा। 1857 से लेकर 1947 तक के कालखंड में मंगल पांडेय, चंद्रशेखर आजाद, झांसी की रानी जैसे अनगिनत नाम होंगे। वहीं, 1916 के लखनऊ अधिवेशन में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के बीज मंत्र के उद्घोष का भी जिक्र होगा। इसी तरह से आजादी के आंदोलन में जेल गईं और उप्र की पहली मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी, जो 1946 में संविधान सभा की सदस्य चुनी गई के भी उल्लेखनीय कार्यों से छात्र-छात्राएं अवगत होंगे। इसके अलावा सुचेता कृपलानी के पति जेबी कृपलानी, देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, गोविंद बल्लभ पंत, पुरुषोत्तम दास टंडन आदि का योगदान भी पढ़ाया जाएगा। 


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