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रोहिंग्या व बांग्लादेशी घुसपैठियों के कदम रोकने को यूपी एटीएस ने बिछाया जाल, दिल्ली में पत्थरबाजी की घटना के बाद जांच तेज

दिल्ली की जहांगीरपुर में हनुमान जयंती की शोभायात्रा के दौरान पथराव की घटनाओं के बाद उत्तर प्रदेश में आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरे बने रोहिंग्या व बांग्लादेशी घुसपैठियों की पड़ताल तेज की गई है। यूपी एटीएस ने एक बार फिर नये सिरे से उनकी छानबीन तेज कर दी है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 22 Apr 2022 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 22 Apr 2022 04:47 PM (IST)
रोहिंग्या व बांग्लादेशी घुसपैठियों के कदम रोकने को यूपी एटीएस ने बिछाया जाल, दिल्ली में पत्थरबाजी की घटना के बाद जांच तेज
यूपी में आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे घुसपैठियों की छानबीन फिर हुई तेज।

लखनऊ [आलोक मिश्र]। रोहिंग्या व बांग्लादेशी घुसपैठियों पर नकेल कसने के लिए उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ता (यूपी एटीएस) ने एक बार फिर नये सिरे से उनकी छानबीन तेज कर दी है। पूर्व में पकड़े गये घुसपैठियों से मिली सूचनाओं के आधार पर अन्य की तलाश के लिए जाल बिछाया गया है। फर्जी दस्तावेजों के जरिए अपनी पहचान बदलकर अलीगढ़, उन्नाव, कानपुर व अन्य जिलों में अपनी जड़ें जमा चुके रोहिंग्या के बारे में जुटाई गई सूचनाओं के आधार पर खुफिया इकाइयां भी अपने कदम बढ़ा रही हैं।

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दिल्ली की जहांगीरपुर में हनुमान जयंती की शोभायात्रा के दौरान पथराव की घटनाओं के बाद उत्तर प्रदेश में आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरे बने तत्वों की पड़ताल तेज की गई है। एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि एटीएस व पुलिस कई जिलों में कई बिंदुओं पर छानबीन कर रही हैं। जल्द ही अन्य घुसपैठियों को भी बेनकाब किया जाएगा।

उत्तर में लगभग दो साल पहले मिलेट्री इंटेलीजेंस से मिली सूचनाओं के आधार पर एटीएस ने रोहिंग्या की छानबीन तेज की थी। जिसका परिणाम रहा है कि प्रदेश में पहली बार छह जनवरी, 2021 को पहचान बदलकर रह रहा अजीजुल हक संतकबीरगनर से पकड़ा गया था। जिसके बाद अलीगढ़ व उन्नाव में पहचान बदलकर रह रहे रोहिंग्या भाई हसन व शाहिद पकड़े गए थे।

पूछताछ में तब ठेके पर रोहिंग्या को बांग्लादेश सीमा से घुसपैठ कराने से लेकर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में ठिकाना दिलाने व फर्जी दस्तावेजों के जरिए उनकी पहचान बदले जाने का बड़ा खेल सामने आया था। इसी के साथ एटीएस ने घुसपैठ कर आ रहे बांग्लादेशी नागरिकों की भी छानबीन तेज की थी।

एटीएस अब तक 17 रोहिग्या को गिफ्तार कर चुकी है, जो लखनऊ जेल में निरुद्ध हैं। खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि प्रदेश में 1700 से अधिक रोहिंग्या अपनी जड़े जमा चुके हैं। पहचान बदलकर रह रहे इन घुसपैठियों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध कानूनी शिकंजा कसने की कसरत लगातार चल रही है।

रोहिंग्या के आसानी से देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की आशंका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। वहीं एटीएस 2017 से अब तक फर्जी दस्तावेजों के जरिए पहचान बदलकर यहां रह रहे 33 बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें चार बांग्लादेशी नागरिकों को डिपार्ट करने की कार्रवाई भी हुई।

सबसे अधिक 19 बांग्लादेशी वर्ष 2021 में पकड़े गये। घुसपैठियों के भारत से फर्जी नाम-पते पर अपने पासपोर्ट बनवाने व भारतीय पहचान पर खाड़ी देशों में जाने के मामले भी पकड़े जा चुके हैं। रोहिंग्या महिलाओं की तस्करी का मामला भी सामने आया था। इन सभी मामलों में एक बार फिर पड़ताल तेज की गई है।

इन जिलों में जमाए हैं डेरा : उत्तर प्रदेश में रोहिंग्या संतकबीरनगर, अलीगढ़, मेरठ, सिद्धार्थनगर, उन्नाव, कानपुर व अन्य जिलों में जड़ें जमा चुके हैं। रोहिंग्या को ठेके पर मीट कारखानों में काम दिलाया जाता है।


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