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यूपी एटीएस ने बांग्लादेश व म्यांमार के नागरिकों को भारत लाने वाले गिरोह के दो और सदस्यों को किया गिरफ्तार

यूपी एटीएस ने बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों को अवैध रूप से भारत में लाकर मानव तस्करी के माध्यम से भारत में भेजने वाले गिरोह के दो और सदस्यों को गिरफ्तार किया है। समीर मंडल को पश्चिम बंगाल से और विक्रम सिंह गाजियाबाद से गिरफ्तार किया गया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 11 Nov 2021 06:37 PM (IST)Updated: Thu, 11 Nov 2021 10:50 PM (IST)
यूपी एटीएस ने बांग्लादेश व म्यांमार के नागरिकों को भारत लाने वाले गिरोह के दो और सदस्यों को किया गिरफ्तार
यूपी एटीएस ने बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों को भारत लाने वाले गिरोह के दो और सदस्यों को गिरफ्तार किया।

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ता (यूपी एटीएस) ने बांग्लादेश व म्यांमार के नागरिकों की घुसपैठ कराकर उन्हें फर्जी दस्तावेजों के जरिए विदेश भेजने वाले गिरोह के दो और सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इनमें समीर मंडल को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया गया है, जो एक ट्रेवल एजेंसी का संचालन करता है। इसके अलावा फर्जी दस्तावेजों के जरिए वीजा तैयार करवाकर घुसपैठियों को विदेश भेजने वाले एजेंट पंजाब के होशियारपुर निवासी विक्रम सिंह को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया गया है। समीर के कब्जे से विभिन्न नाम-पतों पर बने पासपोर्ट, आधार कार्ड, राशन कार्ड व अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं। विक्रम के पास से 44 हजार रुपये व मोबाइल बरामद किया गया है।

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एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि गिरोह के सरगना मिथुन मंडल के भाई रतन समेत कुछ अन्य सक्रिय सदस्यों की भी तलाश कराई जा रही है। पकड़े गए दोनों आरोपितों को पुलिस रिमांड पर लेकर आगे की छानबीन की जाएगी। आरोपित विक्रम लंदन के पासपोर्ट कार्यालय में काम करने वाले गुरप्रीत सिंह के भी सीधे संपर्क में था। गिरोह के संपर्क में भारत के कुछ एयरपोर्ट कर्मियों के भी होने की बात सामने आई है।

समीर ने पूछताछ में बताया कि बांग्लादेश का निवासी सईद उसके संपर्क में है। साउथ अफ्रीका की नागरिकता हासिल कर चुका सईद ही बांग्लादेशी नागरिकों से समीर का संपर्क कराता था। वाट्सएप व मैसेज के जरिए बांग्लादेशी नागरिकों की सूचना दी जाती थी, जिन्हें गिरोह सीमा पार कराकर भारत ले आते थे। समीर घुसपैठियों को अपने भाई सुभाष के घर पर ठहराता था और हिंदू नाम से उनके फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर पहचान बदल दी जाती थी। इसके बाद फर्जी दस्तावेजों के जरिए आधार कार्ड व मतदाता पहचानपत्र पत्र बनवाए जाते थे। इसके बाद फर्जी नाम-पतों पर पासपोर्ट तैयार कराये जाते थे। गिरोह घुसपैठियों की पहचान बदलकर विदेश भेजने के लिए आरटीपीसीआर जांच की फर्जी रिपोर्ट व जाली वैक्सीनेशन रिपोर्ट भी तैयार कराई जाती थी।

उल्लेखनीय है कि एटीएस 26 अक्टूबर को पश्चिम बंगाल के निवासी मिथुन मंडल व तीन बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार कर घुसपैठियों को फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारत का नागरिक बनाकर विदेश भेजने वाले गिरोह का राजफाश किया था। चारों से पूछताछ में ही गिरोह के अन्य सदस्यों की जानकारी सामने आई थी। मिथुन का भाई रतन मंडल भी पश्चिम बंगाल में ट्रेवल एजेंसी का संचालन करता है।


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