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अटल बिहारी बाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय समेत पांच विधेयक पारित

विधान मंडल के दोनों सदनों में गुरुवार को पांच विधेयक पारित हो गये। काम निबटाने के बाद विधान परिषद की कार्रवाई तीन दिन में ही स्थगित कर दी गई।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 20 Dec 2018 08:38 PM (IST)Updated: Thu, 20 Dec 2018 08:38 PM (IST)
अटल बिहारी बाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय समेत पांच विधेयक पारित
अटल बिहारी बाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय समेत पांच विधेयक पारित

जेएनएन, लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान मंडल के दोनों सदनों में गुरुवार को पांच विधेयक पारित हो गये। इनमें उत्तर प्रदेश विनियोग (2018-2019 का द्वितीय अनुपूरक) विधेयक, 2018, अटल बिहारी बाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश विधेयक, 2018, उत्तर प्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2018, उत्तर प्रदेश शीरा नियंत्रण (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2018 और उत्तर प्रदेश जल संभरण तथा सीवर व्यवस्था (संशोधन) विधेयक, 2018 हैं। चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने अटल बिहारी चिकित्सा विश्वविद्यालय उप्र विधेयक, 2018 पेश किया।

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समान एकेडमिक कैलेंडर होगा

बसपा दल नेता लालजी वर्मा ने इसका औचित्य पूछा तो टंडन का कहना था कि यह लखनऊ के रहमान खेड़ा में बनेगा और इससे चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा और समान एकेडमिक कैलेंडर होगा। वर्मा का कहना था कि वह इस विश्वविद्यालय का विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन, यह सरकार के नियंत्रणाधीन रहे और अध्यक्ष चिकित्सा शिक्षा मंत्री को बनाया जाए। वह एम्स की तर्ज पर इसकी नियमावली बनाने की बात कर रहे थे। टंडन ने इसके उद्देश्य स्पष्ट किये। ससंदीय कार्य मंत्री खन्ना का कहना था कि ऐसी संस्थाओं में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए इसलिए राज्यपाल को कुलाधिपति बनाया जाता है। इस पर लालजी वर्मा ने कहा कि राजनीतिक हस्तक्षेप जरूरी है। उन्होंने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जब राज्यपाल एक राजनीतिक दल  के लोगों को भोज देने लगे तो फिर ऐसी बात बेमानी हो जाती है। उनका इशारा राज्यपाल द्वारा बुधवार को भाजपा पदाधिकारियों को भोज दिये जाने की ओर था। 

सपा सदस्य उत्तर प्रदेश शीरा नियंत्रण (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2018 और उत्तर प्रदेश जल संभरण तथा सीवर व्यवस्था (संशोधन) विधेयक, 2018 विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने की मांग की थी। जल संभरण विधेयक लागू होने से जल निगम अध्यक्ष का पद अब लाभ का पद हो गया है। सपा के उज्ज्वल रमण सिंह का कहना था कि तात्कालिक जरूरत के हिसाब से विधेयक लाना ठीक नहीं है। ऐसा विधेयक हो जो दस-बीस वर्ष के लिए उपयोगी हो। इस पर संसदीय कार्य और नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने तर्क दिया कि यह संशोधन आपकी पार्टी के वरिष्ठ सदस्य द्वारा लाया गया था और आज इसकी प्रासंगिकता है। शीरा नियंत्रण संशोधन पर सपा के नरेंद्र वर्मा ने तर्क दिए।

विधान परिषद अनिश्चतकाल के लिए स्थगित

उत्तर प्रदेश विधान परिषद का वर्ष 2018 का तीसरा सत्र गुरुवार को समाप्त हो गया। 18 दिसंबर से शुरू हुआ सत्र केवल तीन दिन चला। गुरुवार को भोजनावकाश के बाद शाम 5:25 बजे शुरू हुए सत्र में नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा ने अनुपूरक बजट सहित पांच विधेयक पास कराए। इसके बाद विधान परिषद अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई। हालांकि सपा सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई कि कार्य मंत्रणा समिति में चार दिन सदन चलाए जाने की बात तय हुई थी, इसका कार्यक्रम भी जारी हुआ था। फिर अचानक तीसरे ही दिन सारे विधेयक बगैर चर्चा के पास करा लिए गए। 


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