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यूपी में अब वाट्सएप के जरिए किसानों से होंगी खेती की बातें, कृषि विभाग ने तैयार की यह योजना...

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने बताया कि ब्लॉक स्तर पर गांव-गांव में बनाए गए वाट्सएप समूहों की सक्रियता बढ़ाई जा रही है। जिला कृषि अधिकारी के अलावा कृषि विज्ञान केंद्रों एवं कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों को भी वाट्सएप समूहों से जोड़ा जा रहा है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 18 May 2021 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 18 May 2021 07:26 AM (IST)
यूपी में अब वाट्सएप के जरिए किसानों से होंगी खेती की बातें, कृषि विभाग ने तैयार की यह योजना...
उत्तर प्रदेश में कृषि विभाग किसानों से वाट्सएप समूहों के जरिए खेती की समस्याओं का समाधान करेगा।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी का प्रकोप ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ने से सतर्क हुए कृषि विभाग ने किसानों से वर्चुअल संवाद बढ़ाने की कार्ययोजना तैयार की है। किसानों से वाट्सएप समूहों के जरिए खेती की बातें होंगी और उनकी समस्याओं का समाधान भी बताया जाएगा। राज्य और मंडल स्तरीय खरीफ गोष्ठियां भी ऑनलाइन ही की जाएंगी।

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उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने बताया कि ब्लॉक स्तर पर गांव-गांव में बनाए गए वाट्सएप समूहों की सक्रियता बढ़ाई जा रही है। जिला कृषि अधिकारी के अलावा कृषि विज्ञान केंद्रों एवं कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों को भी वाट्सएप समूहों से जोड़ा जा रहा है। किसानों को स्थानीय स्तर पर फसलों से संबंधित जानकारी दी जाएगी। फसलों में लगने वाले रोगों व कीट आदि से बचाव के उपाय भी सुझाए जाएंगे। किसानों से संबंधित योजनाओं के बारे में भी बताया जाएगा। नवीनतम शोध के अलावा मौसम की सूचनाएं भी किसानों को उनके मोबाइल फोन पर उपलब्ध कराई जा रही हैं।

धान का क्षेत्रफल घटाने व उत्पादकता बढ़ाने की रणनीति : किसानों की आय बढ़ाने के लिए धान बोआई का क्षेत्रफल घटाने और उत्पादकता वृद्धि पर जोर रहेगा। निदेशक कृषि एपी श्रीवास्तव ने बताया कि खरीफ सीजन में पांच महत्वपूर्ण संकल्प सूत्रों पर कार्य किया जाएगा। प्रदेश में लगभग 59 लाख हेक्टेयर में धान की बोआई होती है। किसान यदि एक प्रतिशत धान का क्षेत्रफल कम कर लें और उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान दें तो दलहन आदि अन्य फसलों को भी बढ़ावा मिल सकता है। मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, कोदो व सावां जैसी फसलों का रकबा बढ़ाया जाएगा।

एफपीओ के जरिए सामूहिक खेती को प्रोत्साहन : प्रदेश के 92 प्रतिशत लघु व सीमांत किसानों के लिए छोटी जोत घाटे का सौदा बनती जा रही है। ऐसे में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन करके सामूहिक खेती को बढावा दिया जाएगा। इससे कम लागत से छोटी जोत की खेती भी लाभकारी हो सकेगी। खेतों की मिट्टी के स्वास्थ्य पर ध्यान देते हुए ध्यान देते हुए हरी खाद के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा। ढैंचा बीज अनुदान पर उपलब्ध कराया जा रहा है।

खेत तालाब निर्माण पंजीकरण शुरू : प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन को भी व्यवस्थित किया जाएगा। ड्रिप सिंचाई, खेत समतलीकरण, मेड़बंदी व ऊसर सुधार अभियान चलाए जा रहे हैं। खेत तालाब निर्माण के लिए 18 मई से पंजीकरण आरंभ होगा।


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