उन्नाव कांड : CBI ने तत्कालीन DM, SP व ASP को माना लापरवाही का दोषी, जल्द हो सकती कार्रवाई
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बहुचर्चित और सनसनीखेज माखी दुष्कर्म केस में अब तीन आइएएस और आइपीएस अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक गई है।
लखनऊ, जेएनएन। प्रदेश के उन्नाव जिले के बहुचॢचत और सनसनीखेज माखी दुष्कर्म केस में भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर तो सलाखों के पीछे पहुंच गए, अब तीन आइएएस और आइपीएस अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक गई है। इस प्रकरण की जांच कर रही सीबीआइ ने तत्कालीन डीएम, एसपी और एएसपी को लापरवाही का दोषी माना है। जल्द ही उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखने की तैयारी है।
उन्नाव दुष्कर्म मामले में सीबीआइ ने एक आइएएस अफसर तथा दो आइपीएस अफसर को दोषी माना है। सीबीआई ने तत्कालीन डीएम अदिति सिंह, एसपी नेहा पांडेय व पुष्पांजलि सिंह को दोषी माना है। अदिति सिंह मौजूदा समय हापुड़ की डीएम हैं जबकि नेहा पाण्डेय केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। नेहा पाण्डेय के बाद उन्नाव की एसपी रहीं पुष्पांजलि एसपी रेलवे गोरखपुर हैं।
उन्नाव जिले में छात्रा से दुष्कर्म और फिर उसके परिवार के साथ हुई ज्यादती ने सियासत को गरमा दिया था। कई दलों में रहते हुए भाजपा विधायक बने आरोपित कुलदीप सिंह सेंगर को इस मामले में उम्रकैद की सजा हुई और वह जेल में बंद हैं। इस हाईप्रोफाइल प्रकरण में पुलिस-प्रशासन पर संलिप्तता और लापरवाही के गंभीर आरोप लगे थे। सीबीआइ ने इस दिशा में भी जांच करते हुए तत्कालीन दो पुलिस अधीक्षकों और अन्य अधिकारियों से पूछताछ की थी। सूत्रों ने बताया कि सीबीआइ जांच में उक्त तीनों ही अधिकारी लापरवाही के दोषी पाए गए हैं। अब सीबीआइ इन तीनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जल्द ही शासन को पत्र लिखने जा रही है।
वर्ष 2017 में हुई दुष्कर्म की घटना के बाद पुलिस ने छात्रा के पिता को भी तत्कालीन आरोपित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के दबाव में झूठे मुकदमे में जेल भेजा था। न्यायिक हिरासत में ही उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद छात्रा ने न्याय के लिए कई अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हुई थी। हालांकि एसआइटी और फिर सीबीआइ जांच में राज खुलते गए। पूर्व में माखी थाना के तत्कालीन एसओ समेत कुछ पुलिसकर्मी जेल भेजे जा चुके हैं। अब इन जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की भी बात सामने आ रही है।
बता दें कि पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर उस समय चर्चा में आए, जब उन पर और उनके भाइयों पर 11 से 20 जून 2017 के बीच सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगा। जब मामले ने तूल पकड़ा तो केस दर्ज कर जांच एसआईटी को सौंपी गई। इस बीच पीडि़ता ने मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह करने की कोशिश की तो मामले ने पूरे देश का ध्यान खींचा। जब इस मामले पर राजनीति गरमाई और सीबीआई जांच की मांग उठी तो 12 अप्रैल 2018 को केंद्र ने उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश मंजूर करते हुए सीबीआई जांच को मंजूरी दे दी। सीबीआई ने उसी दिन विधायक को हिरासत में ले लिया।