Climate change: मौसम में अप्रत्याशित बदलाव जलवायु परिवर्तन की चेतावनी तो नहीं
तापमान 45 डिग्री से ऊपर है। तूफान तबाह कर रहे हैं। बारिश कम हैं। ठंडक में स्मॉग समस्या है। यह उठापटक कहीं जलवायु परिवर्तन की चेतावनी तो नहीं।
लखनऊ (रूमा सिन्हा)। जून में जब आसमान पर काले बादलों को घुमडऩा चाहिए, धूल की मोटी चादर तनी है। तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच रहा है। आंधी-तूफान बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान कर रहे हैं। बारिश के दिन लगातार कम हो रहे हैं। ठंडक शुरू होते ही स्मॉग एक बड़ी समस्या बन जाता है। मौसम में हो रही यह उठापटक कहीं जलवायु परिवर्तन की चेतावनी तो नहीं। यदि ऐसा है तो कम से कम देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश तो इसके लिए कतई तैयार नहीं है।
मिशन सात, तैयारी शून्य
- राज्य सौर मिशन
- राज्य सतत पर्यावास मिशन
- राज्य सतत कृषि मिशन
- राज्य जल मिशन
- राज्य हरित भारत मिशन
- राज्य सामरिक ज्ञान मिशन
- राज्य ऊर्जा कुशलता मिशन
अहम मुद्दा हाशिए पर
बताते चलें कि केंद्र सरकार ने मौसम में बदलाव के भावी खतरों को भांपकर जलवायु परिवर्तन का पृथक मंत्रालय बनाया था। वहीं प्रदेश में जलवायु परिवर्तन जैसा अहम मुद्दा फिलहाल हाशिए पर है। केंद्र की पहल पर वर्ष 2009 में बनाई गई राज्य जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना को पर्यावरण विभाग ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। कहने को तो राज्य सरकार ने इसके तहत सात मिशन बनाकर उनके तहत महत्वपूर्ण कार्यबिंदुओं की फेहरिस्त सभी विभागों को सौंप दी थी जिससे उसे अमल में लाया जा सके। पर्यावरण विभाग को नोडल विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी लेकिन, यह पूरा मामला चंद बैठकों तक सिमट कर रह गया है।
संजीदा नहीं है विभाग
महत्वपूर्ण यह है कि यदि पर्यावरण संरक्षण के प्रति संजीदगी होती तो इन सातों मिशन में जो गतिविधियां संचालित की जानी थीं, उन्हें विभाग अपनी विभागीय योजनाओं में शामिल कर सकते थे। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकताओं में शामिल इस महत्वाकांक्षी योजना को न तो राज्य सरकार और न ही जिम्मेदार विभागों ने कोई तरजीह दी है।
प्राधिकरण बनाने की तैयारी
बीते एक दशक से कागजों तक सीमित कार्रवाई में अब पर्यावरण विभाग जलवायु परिवर्तन प्राधिकरण बनाने की तैयारी में है। बताते हैं कि इसका जल्द नोटिफिकेशन होगा।
इनकी थी जिम्मेदारी
पर्यावरण, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, आवास एवं शहरी नियोजन, नगर विकास, कृषि, सिंचाई, लघु सिंचाई, भूगर्भ जल विभाग, वन, ऊर्जा, औद्योगिक विकास, नेडा आदि।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ.अनिल सिंह की मानें तो प्रदेश में मौसम में संभावित परिवर्तन के कारण कृषि, जल संसाधनों व वन संपदा की सुरक्षा को लेकर खतरे बहुत ज्यादा आंके गए हैं लेकिन, इन चुनौतियों से निपटने की तैयारी न के बराबर है। बीते एक दशक से राज्य का पर्यावरण महकमा गंभीर प्रयास तक नहीं कर सका है।