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बिजली के तार की चिंगारी से झोपड़ी में लगी आग, चाचा-भतीजा जिंदा जले

होली की खुशियां मातम में बदलीं अधिकारी नहीं पहुंचे घटनास्‍थल पर। अग्निकांड से ग्रामीणों में आक्रोश।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 07:52 PM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 08:37 AM (IST)
बिजली के तार की चिंगारी से झोपड़ी में लगी आग, चाचा-भतीजा जिंदा जले
बिजली के तार की चिंगारी से झोपड़ी में लगी आग, चाचा-भतीजा जिंदा जले

लखनऊ, जेएनएन। गोसाईगंज थाना क्षेत्र में बिजली विभाग की लापरवाही से झोपड़ी में चाचा-भतीजा जिंदा जल गए। झोपड़ी पर तारों से चिंगारी गिरी और थोड़ी ही देर में सबकुछ जलकर राख हो गया। दमकल जब तक पहुंची, सब खाक हो चुका था। चाचा-भतीजे का शव एक-दूसरे से लिपटा मिला। ऐसा लग रहा था कि चाचा ने भतीजे को गोद में लेकर बाहर निकलने का भरसक प्रयास किया, लेकिन आग की लपटों के बीच उसकी एक न चली। होली की खुशियां पलभर में मातम में बदल गईं। 

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शिवलर गांव के मजरा रघिकापुर रज्जाकपुर में शिवचरन रावत के बेटे वीपेन्द्र का परिवार रहता है। शनिवार दोपहर 12 बजे जब वीपेन्द्र मजदूरी के लिए घर से निकला था और उसकी पत्नी नीलम एक साल की बेटी पल्लवी, करीब साड़े तीन साल के बेटे निशांत के साथ घर पर थी। तभी बिजली के तार से निकली चिंगारी से झोपड़ी में अचानक आग लग गई।

घटना के समय नीलम बेटी के साथ बाहर थी, लेकिन बेटा निशांत झोपड़ी के अंदर था। वहां मौजूद नीलम का देवर जितेन्द्र भतीजे को आग से बचाने के लिए झोपड़ी में घुस गया, लेकिन उसे बचाकर वापस नहीं आ सका। घटना के बाद गांव में कोहराम मच गया। आसपास के गांवों से ग्रामीण मौके पर पहुंच गए। झोपड़ी में जितेन्द्र अपने भतीजे निशांत को सीने से लगाए हुए झुलसा पड़ा मिला।

घटना की जानकारी पाकर क्षेत्रीय विधायक अंबरीश पुष्कर, किसान नेता दिनेश यादव, सांसद के मीडिया प्रभारी भानू सिंह, ब्लाक प्रमुख नारेन्द्र रावत सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे और घटना पर शोक व्यक्त किया। एसडीएम सूर्यकांत त्रिपाठी, तहसीलदार उमेश कुमार, नायब तहसीलदार व राजस्व निरीक्षक सहित गोसाईगंज थाना प्रभारी विजय कुमार सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने दोनो शवों को परीक्षण के लिए भेज दिया।

ग्रामीणों का कहना था कि बिजली के तारों की वजह से आग लगने की घटना हुई इसके बावजूद बिजली विभाग का कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा, जिसको लेकर उनमें आक्रोश था। ग्रामीणों के अनुसार अगर जलता तार टूट न जाता तो कई घरों में आग लग सकती थी, क्योंकि आग लगने के बाद भी विद्युत आपूर्ति जारी थी, जिससे कई खंभों से शॉर्ट सर्किट हो रहा था। गांव का आशीष भी 18 मार्च को तार की विद्युत चपेट में आकर झुलस गया था।  घटना के बाद बिजली विभाग का एक भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा, जिसको लेकर ग्रामीणों ने आक्रोश प्रकट किया और प्रदर्शन भी किया। क्षेत्रीय विधायक और सामाजिक संगठनों ने घटना पर अपनी संवेदना व्यक्त की।


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