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एटीएस ने अवैध इंटरनेट कॉलिंग कराने के आरोप में दो को दबोचा

आतंकी नेटवर्क से तार जुड़े होने की आशंका। कई बिंदुओं पर और गहनता से छानबीन की जा रही है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 05 Apr 2019 11:55 AM (IST)Updated: Fri, 05 Apr 2019 11:55 AM (IST)
एटीएस ने अवैध इंटरनेट कॉलिंग कराने के आरोप में दो को दबोचा
एटीएस ने अवैध इंटरनेट कॉलिंग कराने के आरोप में दो को दबोचा

लखनऊ, जेएनएन। अयोध्या के एक साधु के फोन पर आई कॉल में पटना व गोरखपुर में ब्लास्ट किये जाने की बात कही गई थी। साधु ने इसकी रिपोर्ट दर्ज कराई। जांच शुरू हुई तो नंबर लखनऊ का निकला। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने जब छानबीन की तो अवैध इंटरनेट कालिंग रैकेट का संचालन कर रहे दो आरोपित लखनऊ के विभूतिखंड क्षेत्र से पकड़े गये हैं। दोनों से गहनता से पूछताछ की जा रही है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि साधु के नंबर आई कॉल किसकी थी और किस देश से की गई थी। इन बिंदुओं पर और गहनता से छानबीन की जा रही है।  

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अयोध्या निवासी एक साधु के पास दो अप्रैल को आई कॉल उनके मोबाइल में रिकार्ड हो गई है। आइजी एटीएस असीम अरुण ने बताया कि कॉल करने वाले शख्स ने साधु से कहा था कि तुम्हारे पास दो एके-47 हैं। ग्रेनेड व असलहे लेकर पटना जाओ। दो और नाम भी लिये और कहा कि उनकी मदद से पटना व गोरखपुर में ब्लास्ट करो। यह सुनकर साधु घबरा गये।

माना जा रहा है कि यह कॉल किसी और शख्स के लिए थी, जो गलती से साधु के नंबर पर चली गई। इस मामले को लेकर अयोध्या में दर्ज कराई गई रिपोर्ट के बाद छानबीन शुरू की गई। पता चला कि जिस नंबर से कॉल आई थी, उस पर अंशु यादव ने लखनऊ में एयरटेल की पीआरआइ लाइन ले रखी है। एटीएस ने गुरुवार को डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम फील्ड यूनिट के साथ अंशू यादव के विभूतिखंड स्थित घर पर जाकर छानबीन की। पाया गया कि पीआरआइ लाइन व सर्वर के जरिये फेक कालिंग कराई जा रही थी।

इंटरनेशनल गेटवे को बाइपास कर विदेश से आने वाली अवैध इंटरनेट कॉलिंग का रैकेट संचालित हो रहा था। एटीएस ने सीतापुर के ग्राम गौरियाखुर्द निवासी अंशू यादव व जौनपुर के ग्राम देहुआ निवासी अनिल कुमार यादव उर्फ आशीष को गिरफ्तार किया है। आरोपित विभूतिखंड में तीन मकान किराये पर लेकर वहां अलग-अलग कंपनियों के नाम से यह रैकेट संचालित कर रहे थे।

आइजी ने बताया कि आरोपित विदेश की इंटरनेट कॉलों को वाइस कॉल में बदलकर देश के किसी भी नंबर बात कराते हैं। जिसमें डिस्प्ले पर विदेशी नंबर की बजाये भारत का नंबर नजर आता है। ऐसी कॉल गेटवे के जरिये नहीं आती। यह रैकेट कब से संचालित हो रहा था। इसमें और कौन-कौन लोग जुड़े हैं। ऐसे कई बिंदुओं पर छानबीन की जा रही है।


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