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CoronaVirus LockDown 4 News: परदेश से आए दो भाई खेत की मचान में हुए क्वारंटाइन, शारीरिक दूरी का ऐसे कर रहे पालन

CoronaVirus LockDown 4 News घर से 600 मीटर दूर अपने खेत में बने मचान पर खुद को किया क्वारंटाइन। फसलों की रखवाली के साथ निपटा रहे खेतीबाड़ी का काम।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 10:44 AM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 10:44 AM (IST)
CoronaVirus LockDown 4 News: परदेश से आए दो भाई खेत की मचान में हुए क्वारंटाइन, शारीरिक दूरी का ऐसे कर रहे पालन
CoronaVirus LockDown 4 News: परदेश से आए दो भाई खेत की मचान में हुए क्वारंटाइन, शारीरिक दूरी का ऐसे कर रहे पालन

सुल्तानपुर, जेएनएन। CoronaVirus LockDown 4 News: कोरोना महामारी से बचाव के लिए लॉकडाउन अपने चौथे चरण में जा चुका है। इसी बीच  परदेश से अपने गांव पहुंचे दो सगे भाई  घर से करीब 600 मीटर दूर खेत में बने मचान पर खुद को क्वारंटाइन करके खेतों की रखवाली में जुट गये हैं। गैर प्रांत से ट्रक में सवार हो अयोध्या और वहां से रिश्तेदार की बाइक लेकर गांव पहुंचे। दोनों सगे भाई पीएम मोदी की अपील पर खुद को परिवार व समाज से अलग-थलग रखकर कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने समाज को एक संदेश देकर कोरोना को हराने की ठान लिया है। 

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ये है मामला 

दरअसल, मोतिगरपुर गांव निवासी सत्येंद्र कुमार परिवार के भरण पोषण के लिए दिल्ली में रहकर छोटे भाई श्रवण कुमार के साथ बदरपुर में कांस्ट्रक्शन कंपनी में काम करते थे। कोरोना के प्रभाव से 24 मार्च को लॉकडाउन के चलते सतेंद्र अपने भाई व करीब 15 मजदूरों के साथ दिल्ली में फंस गए। काम ठप होने से भोजन के लाले पड़े तो सांसद मेनका गांधी की मदद से डेढ़ माह तक भोजन मिला। हालात जब और बिगड़ने लगे तो सत्येंद्र 12 मई को अपने भाई के साथ ट्रक से अयोध्या पहुंचे। वहां अपने रिश्तेदार की बाइक लेकर गांव पहुंचे और घर से  600 मीटर  दूर अपने खेत में बने मचान पर खुद को क्वारंटाइन कर लिया।  मचान के ऊपरी हिस्से में श्रवण रहता है तो सत्येंद्र मचान के नीचे तखत पर रहकर खुद भी शारीरिक दूरी का पालन कर रहे हैं। दिन में खेतों के काम तो रात फसल की रखवाली भी कर रहे हैं।

घर से आता है  भोजन 

दोनों भाई को परिजन घर से भोजन पकाकर पत्तल पर खिलाते हैं। साथ ही परिवारजन उनके दैनिक उपयोग की सभी वस्तुएं वहीं पर उपलब्ध करा रहे हैं। रात में अंधेरे से निपटने के लिए लालटेन उनका सहारा बना है। परदेश से लौटने के अगले दिन दोनों भाईयों ने सीएचसी मोतिगरपुर पर जाकर स्वयं थर्मल स्क्रीनिंग व जांच करवाई थी।


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