थियेटर करने वाला हर प्लेटफॉर्म पर कर सकता है अभिनय
टीवी शो हम पांच में मिनाक्षी के किरदार से अपनी पारी शुरू करने वाली मशहूर टीवी अभिनेत्री वंदना पाठक लखनऊ पहुंची तो कई अनुभव भ्ाी साझा किए।
लखनऊ, जेएनएन। एक अभिनेता वह होता है, जो जन्म ही लेता है अभिनय करने के लिए और दूसरा वह जो सीख-सीख अभिनय करता है। पहले वालों की गिनती कम है, लेकिन सीखने वालों की गिनती बहुत है। अभिनय सीख कर ही इंडस्ट्री में आना चाहिए। खास कर थियेटर से अभिनय सीखना चाहिए, थियेटर करने वाला हर प्लेटफॉर्म पर अभिनय कर सकता है। यह बातें लोगों को अपने अभिनय से हंसाने वाली मशहूर टीवी अभिनेत्री वंदना पाठक ने कहीं।
वंदना पहली बार टीवी शो हम पांच में मिनाक्षी के किरदार में नजर आई। इसमें उनके अभिनय की खूब चर्चा हुई। उसके बाद धारावाहिक खिचड़ी में जयाश्री का किरदार उनके लिए वरदान साबित हुआ। आज भी लोग उन्हें जयाश्री नाम से याद करते हैं। लगभग 25 साल के करियर में उन्होंने कई धारावाहिक जैसे एक महल हो सपनों का, यह मेरी लाइफ है, मैं कब सास बनूंगी, मिस्टर एंड मिसेज शर्मा इलाहबाद वाले, बड़ी दूर से आएं हैं, साथ निभाना साथिया, यह तेरी गलियां, मनमोहनी में अभिनय करके अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। शुक्रवार को राजधानी पहुंची वंदना पाठक ने अपने जिंदगी के बारे में भी चर्चा की।
बचपन से ही अभिनय देखती आ रही हूं
वंदना ने बताया मेरा बचपन अभिनय, नाटक, थियेटर के इर्द-गिर्द बीता है। पिता अरविंद वैद्य थियेटर में काम करते थे। घर में भी फिल्म और थियेटर की बातें होती थी। तो धीरे-धीरे मेरा भी झुकाव अभिनय की ओर हो गया। तब से लेकर अब तक अभिनय का सिलसिला चल रहा है।
किरदार में सबसे अहम भाषा होती है
कभी गुजराती, मराठी, राजस्थानी किरदार निभाने वाली वंदना पाठक ने बताया कि किसी भी किरदार के लिए भाषा सबसे अहम होती है। भाषा से ही दर्शकों को आकर्षित किया जा सकता है।
रियल लोकेशन में शूट करना मुश्किल
वंदना ने बताया कि किसी भी फिल्म और धारावाहिक में रियल लोकेशन में शूट करने में मुश्किल आती है। खासकर राजस्थान या शिमला जैसी लोकेशन जहां पर नेचर बदलता रहता है। कभी रेत उडऩें लगती है, तो कभी बर्फ पिघलने लगती है। ऐसे में सेट लगाना और शूट करना मुश्किल होता है।
सोशल मीडिया से टेलीविजन पर असर नहीं
सोशल मीडिया और वेब सिरीज पर शो आने के बाद टीवी पर असर के बारे में वंदना कहती हैं कि टीवी की दायरा बहुत बड़ा है। डिजीटल के दौर में भी इसपर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, हां टीवी और उनके कंटेंट में कुछ बदलाव जरूर हो सकते है। जो हर दौर में होते आए हैं।
लखनऊ की जबान है खास
लखनऊ के बारे में वंदना ने कहाकि यह शहर अपने आप में बहुत खास है। मैं यहां तीसरी बार आई हूं। इस शहर में बहुत तेजी से विकास हुआ है। यहां पर ऐतिहासिक धरोहरों को देखना बहुत अच्छा लगता है। यहां की जबान सबसे खास है।