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World Orthodontic Day : टेढ़े-मेढ़े दांतों से सांस लेने में तकलीफ

पायरिया होने के साथ सेहत पर बुरा असर डालते हैं टेढ़े-मेढ़े दांत। 10-15 साल के बच्चों का इलाज कर सही किए जा सकते हैं दांत।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 13 May 2019 09:13 PM (IST)Updated: Tue, 14 May 2019 07:34 AM (IST)
World Orthodontic Day : टेढ़े-मेढ़े दांतों से सांस लेने में तकलीफ
World Orthodontic Day : टेढ़े-मेढ़े दांतों से सांस लेने में तकलीफ

लखनऊ, जेएनएन। टेढ़े-मेढ़े और उभरे हुए दांत न केवल देखने में बुरे लगते हैं, बल्कि यह स्वास्थ्य पर भी असर डालते हैं। टेढ़े-मेढ़े दांतों से बच्चों को बोलने और सांस लेने में भी दिक्कत होती है। इसके अलावा दांतों में सडऩ और पायरिया की संभावना भी बढ़ जाती है। विश्व आर्थोडॉन्टिक दिवस (15 मई) को लेकर केजीएमयू के आर्थोडॉन्टिक विभाग के प्रो. अमित नागर ने मरीजों को सजग किया। 

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डॉ.नागर ने बताया कि टेढ़े-मेढ़े दांतों से बच्चों में हीन भावना आ जाती है। ऐसे में उनमें आत्मविश्वास की कमी हो जाती है। 10 से 15 वर्ष की उम्र तक के बच्चों में टेढ़े-मेढ़े दांतों का इलाज कर ठीक किया जा सकता है। हालांकि उम्र बढऩे पर भी इलाज संभव है, लेकिन उपचार की अवधि बढ़ सकती है। उम्र के हिसाब से कई तरह के अप्लायंस लगाए जाते हैं। इसका चुनाव मरीज की समस्या के हिसाब से किया जाता है। रिमूवेबल और स्थाई या इंवीजिबल। स्थाई ब्रेसस में भी चुनाव की संभावना होती है। इसमें स्टेलनेस स्टील या सिरेमिक होते हैं। 

इससे करें परहेज

इलाज से बच्चों की पढ़ाई और प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ता है। कुछ खेल जैसे, बाक्सिंग, हॉकी, वालीबॉल, फुटबाल और क्रिकेट जैसे गेम नहीं खेलने चाहिए। इससे चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं खाने में चिपचिपे पदार्थ जैसे चॉकलेट, चीविंग गम, कड़े फल, मेवे और पॉपकॉर्न आदि नहीं खाना चाहिए। 

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