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पीजीआई में संभव होगा मूवमेंट डिसऑर्डर का इलाज Lucknow News

अंगों को नियंत्रित करने वाले दिमागी हिस्से को किया जाएगा नियंत्रित। पार्किंसंस डिस्टोनिया मूवमेंट हैं डिसऑर्डर की परेशानी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 08 Sep 2019 07:26 AM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 07:26 AM (IST)
पीजीआई में संभव होगा मूवमेंट डिसऑर्डर का इलाज Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। शरीर के अंगों की कार्यप्रणाली दिमाग से नियंत्रित होती है। कई बार दिमाग के एक हिस्से में परेशानी होने पर उससे नियंत्रित होने वाले अन्य अंगों की गति कम या अधिक हो जाती है, जिसे डॉक्टरी भाषा में मूवमेंट डिसऑर्डर कहते हैं। इन परेशानियों को कम करने के लिए दवाएं दी जाती हैं, लेकिन अब दिमाग के उस अंग को क्रियाशील कर काफी हद तक यह परेशानी लंबे समय के लिए कम की जा सकती है।  

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ये हैं लक्षण

न्यूरो सर्जन प्रो. संजय बिहारी, प्रो. पवन वर्मा, प्रो. वेद प्रकाश, प्रो. कुंतल दास के मुताबिक शरीर का कोई अंग पहले से अधिक तेज चले, हिलने, कांपने या फड़कने लगा है या फिर अचानक टेढ़ा या शिथिल होने लगता है तो यह मूवमेंट डिसऑर्डर है। विशेषज्ञों का कहना है पार्किंसंस, डिस्टोनिया जैसी बीमारियां आम मूवमेंट डिसऑर्डर हैं। 

ब्रेन स्टिमुलेशन है कारगर

ब्रेन स्टिमुलेशन से एपीलेप्सी व मूवमेंट डिसऑर्डर यानी पार्किंसंस जैसी बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। इस तकनीक में डेप्थ इलेक्ट्रोड रिकॉर्डिंग सिस्टम व इलेक्ट्रोकॉर्टिकोग्राफी जैसे आधुनिक उपकरणों से युक्त न्यूरोनेविगेशन के जरिये मस्तिष्क की सामान्य संरचना को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए इलेक्ट्रोड (डिवाइस) को मस्तिष्क में प्रत्यारोपित किया जाता है। न्यूरोसर्जन व टेक्नीशियन तालमेल के साथ मरीज के ब्रेन की सर्जरी करते हैं। इसमें आयु वर्ग के हिसाब से मरीज में डिवाइस लगाई जाती है। 

ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान

बात करते हुए आंख या मुंह का टेढ़ा होना, काम करते हुए हाथ, पैर या गर्दन का टेढ़ा होना, बिना वजह अंग हिलते रहना, किसी अंग का अचानक शिथिल हो जाना, तेजी खत्म हो जाना, स्वयं करवट न ले पाना, उठने-बैठने, चलने में परेशानी होना। 

 

इंडो सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस मनाया

पीजीआइ में इंडो सर्जरी विभाग का 30वां स्थापना दिवस समारोह शनिवार को मनाया गया। इसमें विभाग की प्रगति के बारे में जानकारी दी गई। विभाग के प्रमुख प्रो. एसके मिश्रा, सीएमएस और सर्जन प्रो. अमित अग्रवाल, प्रो. ज्ञान चंद ने बताया कि हम लोग थायराइड के आलावा शरीर की अन्य ग्रंथियों की सर्जरी स्थापित करने के साथ ही इसके प्रसार के लिए लगातार वर्कशॉप का आयोजन कर रहे हैं। इसके अलावा स्तन कैंसर के इलाज और सर्जरी की सभी तकनीक स्थापित की हैं।


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