हार्ट अटैक का कारगर इलाज अब योग से संभव
उत्तर प्रदेश में योग के जरिये हार्ट अटैक के मरीजों का इलाज किया जाएगा।
कानपुर [ऋषि दीक्षित]। हार्ट अटैक के मरीजों के लिए एक खुशखबरी है। अब उत्तर प्रदेश में योग के जरिये उनका इलाज किया जाएगा।
सुनने में भले अटपटा लगे, लेकिन सौ फीसदी सत्य है। पहले मरीजों की स्थिति दवाओं से नियंत्रित की जाएगी। फिर हृदय रोग विशेषज्ञ एवं योगाचार्य की निगरानी में योग-प्राणायाम करेंगे।
फिलहाल इसको प्रयोग के तौर पर इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने देश के 20 चुनिंदा संस्थानों में इस प्रोजेक्ट को शुरू किया है। ïपहले इसको लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) व लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान (कार्डियोलाजी) में शुरू किया गया है।
हार्ट अटैक पडऩे पर अभी मरीज के समक्ष दो विकल्प हैं। हार्ट अत्याधिक डैमेज होने पर बाइपास सर्जरी और इसके 75 फीसद से अधिक ब्लाकेज पर एंजियोप्लास्टी की जाती है। बावजूद इसके मरीज का जीवन पर्यंत दवाओं से पीछा नहीं छूटता है। सर्जरी के बाद भी सामान्य जीवन नहीं जी पाते हैं, इससे कई मरीज तो डिप्रेशन में चले जाते हैं।
अमेरिका एवं इंग्लैंड में हार्ट अटैक के मरीजों के इलाज के अलावा योग कराने के सकारात्मक परिणाम मिले। खासकर एंजियोप्लास्टी एवं बाईपास सर्जरी कराने वालों की दवाओं पर निर्भरता कम करने पर भी सफलता मिली। विदेशों में इसके बेहतर परिणाम को देखते हुए आईसीएमआर ने वृहत रूप में ट्रायल के लिए देश के बीस सेंटर चुने हैं।
इसमें उत्तर प्रदेश के दो सेंटर हैं। यहां हार्ट अटैक के मरीज शोध के लिए चिह्नित करने का कार्य शुरू है। पहले मरीजों को एंजियोप्लास्टी, बाईपास एवं दवाओं से कंट्रोल किया जाएगा। उसके बाद योग एवं प्राणायाम की यौगिक क्रियाओं के जरिये दवाएं कम की जाएंगी।
लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान में फरवरी 2016 से कार्डियोलाजी के निदेशक डॉ. विनय कृष्णा एवं लेक्चरर डॉ. संतोष कुमार सिन्हा की निगरानी में मरीज चिह्नित किए जा रहे हैं।
अब तक 35 मरीज चिह्नित
कार्डियोलाजी की इमरजेंसी तथा ओपीडी के अब तक हार्ट अटैक के 35 मरीज चिह्नित हुए हैं। इलाज के साथ-साथ उन्हें योग एवं प्राणायाम की जानकारी देंगे। उसके बाद योगाचार्य डॉ. रविंद्र पोरवाल उन्हें योग के गुर सिखाएंगे। प्रत्येक ग्रुप में 25-25 मरीजों को रखा जाएगा। मरीजों की स्थिति के हिसाब से उन्हें योग व प्राणायाम कराएंगे। प्रत्येक मरीज की साल भर तक मानीटङ्क्षरग करेंगे। मरीजों की पूरी रिपोर्ट तैयार कर आईसीएमआर मुख्यालय दिल्ली भेजी जाएगी।
यह सेंटर हैं
एम्स दिल्ली, एसजीपीजीआई चंडीगढ़, मुंबई, जयदेवा हास्पिटल व श्री सत्य साईं हास्पिटल बंगलूरू, श्री चित्रा मेडिकल कालेज, त्रिनाल, जिप्मर पांडुचेरी, केजीएमयू, कार्डियोलाजी कानपुर आदि।
विशेषज्ञ बोले
योगाचार्य डॉ. रविंद्र पोरवल ने बताया योग के जरिये जीवन शैली को संयमित व बेहतर बनाया जाएगा। यौगिक क्रियाओं का हार्ट अटैक के उपरांत मरीज पर क्या पड़ रहा है। उसका अध्ययन किया जाएगा। मरीजों की लगातार निगरानी, दवाओं की डोज पर भी नजर रखी जाएगी।
गाइडलाइन तय होगी
लेक्चरर, कार्डियोलाजी विभाग, लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान, डॉ. संतोष कुमार सिन्हा ने बताया कि हार्ट अटैक के कौन से मरीज चिह्नित किए जाने हैं। उनकी स्थिति व योग के उपरांत फायदे की निगरानी करते हुए रिपोर्ट तैयार की जाएगी। सभी सेंटरों से मिले प्रभाव के आधार पर आईसीएमआर गाइडलाइन तय करेगा।