ट्रेन चले तो यात्रियों को मिले एसी की ठंडी हवा
कूलिंग न होने के 60 प्रतिशत मामले ट्रेन के खड़े होने से सामने आ रहे 40 प्रतिशत में विद्युत
कूलिंग न होने के 60 प्रतिशत मामले ट्रेन के खड़े होने से सामने आ रहे
40 प्रतिशत में विद्युत अनुभाग की लापरवाही जिम्मेदार
जागरण संवाददाता, लखनऊ :
बीती रविवार की शाम लखनऊ आ रही उत्सर्ग एक्सप्रेस का इंजन मोहम्मदाबाद के पास फेल हो गया। चार घंटे तक ट्रेन खड़ी रही और एसी की कूलिंग ठप हो गई। इसी तरह रविवार को ही फरक्का एक्सप्रेस की कूलिंग ठप होने से यात्री बेहाल हो गए। इस साल गर्मी में एसी फेल होने की घटनाओं ने रेलवे के होश उड़ा दिए। रेलवे ने जांच की तो पता चला कि जिन ट्रेनों को वह चार से छह घंटे तक बीच रास्ते खड़ा कर रहा है, उन ट्रेनों में ही सबसे अधिक एसी फेल हो रहे हैं। दरअसल, पिछले एक महीने के दौरान 350 से अधिक ट्रेनों में एसी फेल हुए हैं। इनमें अधिकांश ट्रेनों में बीच सफर तक एसी ने ठीक तरीके से कूलिंग की, लेकिन जब उनको तीन से चार घंटे तक रोके रखा गया तो यात्री गर्मी से बेहाल हो गए। इसकी शिकायत यात्रियों ने रेल मंत्री के ट्विटर पर कर दी। रेलवे ने भी इस साल इतनी अधिक संख्या में एसी फेल होने के मामले की जांच शुरू की। जांच में पता चला कि करीब 40 प्रतिशत मामलों में रेलवे के विद्युत अनुभाग की लापरवाही और बोगियों के एसी प्लांट की नियमित जांच सही तरीके से न होने के कारण एसी फेल हुए हैं। जबकि करीब 60 प्रतिशत मामले में ट्रेनों के अधिक देर तक खड़ा रहने के कारण ही एसी फेल होने की शिकायतें सामने आई हैं। यह शिकायत कनवेंशनल बोगियों वाली ट्रेनों में आ रही हैं। जबकि लिंक हॉफमैन बुश (एलएचबी) बोगियों वाली ट्रेनों में दोनो छोर पर जनरेटर यान रहता है। जो एसी बोगियों के प्लांट को विद्युत आपूर्ति जारी रखता है। जबकि कनवेंशनल बोगियों में एसी प्लांट को बैटरी की मदद से ऊर्जा मिलती है। बैट्री को चार्ज करने के लिए डायोमीटर लगे होते हैं जो बेल्ट के जरिए ऊर्जा तैयार करते हैं। ट्रेन यदि चलती रहती है तो ही बेल्ट के घूमने पर बैट्री को चार्ज हो पाती है। यदि यह ट्रेनें तीन से चार घंटे तक खड़ी रहती है तो बैट्री डिस्चार्ज हो जाती है। फिलहाल रेलवे बोर्ड को भेजी गई रिपोर्ट में अवध आसाम एक्सप्रेस सहित करीब एक दर्जन ट्रेनों का जिक्र किया गया है।