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उत्तर प्रदेश में बने 'टॉयलेट यूनिवर्सिटी'

भारत को अगले दस साल में हर हाल में खुले में शौच से मुक्त होना होगा, अन्यथा हम दुनिया के सामने खड़े नहीं हो पाएंगे। आज 'जागरण पहल' और 'रेकेट बेंकिजर' के संयुक्त प्रयास 'डेटॉल बनेगा स्वच्छ इंडिया' के अंतर्गत स्वच्छता दूतों के सृजन अभियान की शुरुआत के दौरान वक्ताओं

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2015 12:06 AM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2015 09:25 AM (IST)
उत्तर प्रदेश में बने 'टॉयलेट यूनिवर्सिटी'

लखनऊ। भारत को अगले दस साल में हर हाल में खुले में शौच से मुक्त होना होगा, अन्यथा हम दुनिया के सामने खड़े नहीं हो पाएंगे। आज 'जागरण पहल' और 'रेकेट बेंकिजर' के संयुक्त प्रयास 'डेटॉल बनेगा स्वच्छ इंडिया' के अंतर्गत स्वच्छता दूतों के सृजन अभियान की शुरुआत के दौरान वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया। बिहार और उत्तर प्रदेश के दो सौ गांवों में चलने वाले इस अभियान के दौरान पूरी प्रक्रिया पर 'डिजिटल नजर' रहेगी।

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परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के संस्थापक स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि ऋषिकेश में देश के पहले 'टॉयलेट कालेज' की शुरुआत का प्रस्ताव है, किन्तु उत्तर प्रदेश को दुनिया की पहली 'टॉयलेट यूनिवर्सिटी' की पहल करनी चाहिए। 'पहले शौचालय, फिर देवालय' के भाव का समर्थन करते हुए कहा कि जब तक देश के हर घर में शौचालय नहीं बन जाए तब तक एक भी मंदिर नहीं बनना चाहिए। लोग भंडारे व प्रसाद पर इतना धन खर्च करते हैं लेकिन उसी खर्च से शौचालय बनवाने की पहल होनी चाहिए। दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक स्व.नरेन्द्र मोहन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र में कोफी अन्नान के समक्ष शाकाहार के एक प्रयास से तीन दिन तक शाकाहारी भोजन हुआ। इस पर स्व.नरेन्द्र मोहन ने कहा था कि एक सोच बदलाव ला सकती है और उनकी यह बात आज भी सही उतर रही है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 52 हजार ग्र्राम पंचायतें हैं, किन्तु उन्हें खुले में शौचमुक्त करने में सफलता नहीं मिल रही है। सिक्किम इस काम में सफलता पाने वाला देश का पहला राज्य बना है फिर केरल और हिमाचल प्रदेश। जिन नरेन्द्र मोदी ने तीन साल पहले मेरी आलोचना की थी, आज प्रधानमंत्री बनने के बाद स्वच्छ भारत अभियान को जन आंदोलन के रूप में नेतृत्व दे रहे हैं। शौचालय निर्माण की मुहिम के साथ मैला ढोने की प्रथा को भी सही अर्थों में इतिहास बनाने की पहल करनी होगी। फिल्म अभिनेत्री व अभियान की 'गुडविल एम्बेसडर' विद्या बालन ने कहा कि वह 2011 में स्वच्छता दूत बनी थीं। उस समय 60 करोड़ लोग खुले में शौच करते थे। आज भी आंकड़े वही हैं, बस अब लोग जागरूक हुए हैं। जागरूकता के साथ स्वास्थ्य, सुरक्षा व सम्मान भी जुड़ा है और इन सबके लिए शौचालय जरूरी है। उत्तर प्रदेश को उम्मीदों का प्रदेश कहा जाता है और बदलाव की उम्मीद यहीं से शुरू होगी। पूरी दुनिया में 'मिस्टर टॉयलेट' के नाम से प्रसिद्ध वल्र्ड टॉयलेट आर्गनाइजेशन के संस्थापक प्रोफेसर जैक सिम ने कहा कि टॉयलेट ऐसा स्थान होता है, जो खुशियां उत्पन्न करता है। टॉयलेट को घर का सबसे खुशियों भरा कक्ष होना चाहिए।

दैनिक जागरण के प्रधान संपादक संजय गुप्त ने कहा कि आजादी के सत्तर वर्ष होने वाले हैं किन्तु अब तक आधी से ज्यादा आबादी का शौच के लिए खुले में जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह समस्या अनियोजित विकास के कारण बढ़ी है। विकास के दौरान सरकारों ने शौचालय निर्माण पर ध्यान ही नहीं दिया। खुले में शौच के कारण भूजल भी प्रदूषित हो रहा है। हम बीमार देश नहीं बनना चाहते और हमें सरकार के सहारे नहीं रहना चाहिए। जिस तरह बांग्लादेश ने खुले में शौच न करने के मामले में 98 प्रतिशत सफलता पाई है, हमें भी मिलजुलकर इस ओर प्रयास करने होंगे।

'पहल-द इनीशिएटिव' के अध्यक्ष एसएम शर्मा ने कहा कि हर घर में शौचालय समाज की आवश्यकता है। इसके लिए मन में परिवर्तन जरूरी है। पूरे अभियान में सहभागी 'रेकेट बेंकिजर' के दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय निदेशक नीतीश कपूर ने कहा कि जागरण पहल के साथ मिलकर यह कोशिश निश्चित सफल होगी। हम व्यवहार में बदलाव लाने की मुहिम चला रहे हैं। जागरण पहल के मुख्य अधिशासी अधिकारी आनंद माधव ने कहा कि अभियान का 50 प्रतिशत हिस्सा डिजिटल होगा। 500 परिवर्तन दूत चुने जाएंगे, जिन्हें टैब देने के साथ प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। उन्हें स्वच्छता से संबंधित जानकारी के अलावा 'स्वच्छता चौपाल' लगाई जाएंगी।

73वां संविधान संशोधन पर विचार

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार 73वां संविधान संशोधन लागू करने पर विचार कर रही है। इसके लिए एक बार कैबिनेट में भी इस आशय का प्रस्ताव ला चुके हैं। जागरण पहल के कार्यक्रम में भाग लेने आए मुख्यमंत्री ने यह बात बनारस, कन्नौज और इटावा के पंचायत प्रतिनिधियों से संवाद में कही। वाराणसी से आए संजय पाण्डेय ने पंचायतों को मजबूत करने के लिए 73वां संविधान संशोधन के वर्षों से लंबित होने के बाद भी उत्तर प्रदेश में इसे लागू नहीं करने का मुद्दा उठाया था। वाराणसी के इन्द्रवार ग्र्राम पंचायत के प्रधान रहे हरिशंकर विश्वकर्मा ने लोहिया आवास सामान्य गांवों को नहीं दिये जाने का मसला उठाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार एक लाख लोहिया आवास बनाने जा रही है। इनमें सामान्य गांवों के गरीबों को भी लोहिया आवास दिये जाएंगे। इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने भी 73वें संविधान संशोधन को लागू करने की पैरोकारी की। कहा कि राज्यों के मुख्यमंत्री केंद्र से सहायता मांगते समय अधिकार न देने की बात करते हैं। जब पंचायतों व नगर पालिकाओं सहित स्थानीय निकायों को अधिकार देने की बात आती है तो पीछे हट जाते हैं।


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