सोहेलवा जंगल में गुम हो गई जंगल के राजा की गर्जना Balrampur News
सोहेलवा में दशक भर पहले थी बाघ की चहल-पहल कैमरा ट्रैप सेल से हुई गणना में बाघ के न मिलने की हुई पुष्टि।
बलरामपुर, (रमन मिश्र)। सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग में कभी राजा की गर्जना से आसपास गांवों के लोग सहम जाते थे, लेकिन अब गर्जना गुम हो गई है। वन विभाग ने कैमरा ट्रैप सेल से जंगल में वन्य जीवों की मौजूदगी की गणना कराई है, जिसमें इसकी पुष्टि हुई।
452 वर्ग किलोमीटर में फैले सोहेलवा जंगल में हिरन, तेंदुआ, भालू, लकड़बग्घा, फिशिंंग कैट समेत अन्य वन्यजीवों का आश्रय होने के साक्ष्य मिले हैं। जबकि टाइगर की मौजूदगी नहीं मिली। खास बात यह है कि सोहेलवा को टाइगर रिजर्व घोषित करने की मांग वर्षों से की जा रही है। इस रिपोर्ट के बाद अब इस मांग पर विराम लगना तय है। इससे वन्यजीव प्रेमियों में निराशा है।
बलरामपुर जिला भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 452 वर्ग किलोमीटर में फैला सोहेलवा वन्य जीव विहार रॉयल बंगाल टाइगर का एक महत्वपूर्ण प्राकृतवास था। इसकी स्थापना 1988 में की गई थी। इसके साथ 220 वर्ग किलोमीटर बफर जोन भी है। वन्य जीव विहार में तुलसीपुर, बरहवा, बनकटवा, पूर्वी सोहेलवा व पश्चिमी सोहेलवा रेंज हैं। यहां कई झीलें व पहाड़ी नाले हैं। जिसमें कई ऐसे नाले हैं जिनका पानी कभी नहीं सूखता है। इसका वातावरण पशु-पक्षियों को रास आता है।
दशक भर पहले यहां बाघों की संख्या करीब 30 थी। इसके बाद बाघ गिनती के रह गए। पांच माह पूर्व वन विभाग ने वन्यजीवों की गणना कराई। डीएफओ रजनीकांत मित्तल का कहना है कि गणना में बाघ नहीं दिखे हैं। जबकि अन्य वन्यजीवों की उपलब्धता मिली है।
तेंदुआ की संख्या अधिक
तेंदुआ -60, हिरन 153, चीतल 1047, सुअर1160, फिङ्क्षशग कैट नौ, नीलगाय 819, घुरल 17, सांभर 103, बंदर 3385, लंगूर 2413, लकड़बग्घा 61, लोमड़ी, 94, सियार 393, बिज्जू 32, जंगली बिल्ली 20, सेही 92, गोह आठ, मोर 176, खरगोश 18 व पांच भालुओं के जंगल में होने की पुष्टि कैमरा सेल से हुई है।