AQI रिपोर्ट: प्रदूषण की गिरफ्त में UP, तैयारियां बेदम-अब धुंध फुलाएगी दम Lucknow News
सूबे के ज्यादातर शहर प्रदूषण की जबर्दस्त गिरफ्त में। जिम्मेदार विभागों की सक्रियता बैठकों व कागजों तक सिमटी।
लखनऊ [रूमा सिन्हा]। ठंड की आहट के साथ ही एक बार फिर प्रदेशवासियों को स्मॉग का डर सताने लगा है। कारण यह है कि वायु प्रदूषण की रोकथाम की अब तक की सारी कोशिशें बेनतीजा रही है। केवल लखनऊ ही नहीं सूबे के ज्यादातर शहरों पर जहरीली हवाओं का कब्जा है। प्रदूषण रोकने के जिम्मेदार विभागों की सक्रियता बैठकों व कागजों तक सिमटी दिखाई देती है। एक बार फिर स्मॉग को लेकर बैठकें शुरू हो चुकी हैं। पहली बार स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वायु प्रदूषण के मसले पर गंभीर हैं, लेकिन जिम्मेदार विभागों का रवैया देख लगता है कि धुंध इस बार फिर जनजीवन प्रभावित करेगी।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के बीते तीन सालों के एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) के नवंबर माह के आंकड़ों पर नजर डालें तो स्थितियां एकसमान बनी हुई हैं। दरअसल, अक्टूबर-नवंबर में धुंध सर्वाधिक परेशान करती है। तापमान कम होने के साथ हवा की गति धीमी होने लगती है। ऐसे में नीचे ही ठहरा रहता है। प्रदूषकों का घनत्व बढऩे से धुंध की चादर पसर जाती है।
रोकथाम की कोशिशें हाशिए पर
सूबे के ज्यादातर शहरों में पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) 10 मानक के मुकाबले तीन से छह गुना अधिक है। बीती वर्ष की रिपोर्ट देखें तो नवंबर में कानपुर में एक्यूआइ अत्यंत खतरनाक 400 से अधिक के स्तर में रिपोर्ट हुआ था। नोएडा, वाराणसी, गाजियाबाद, हापुड़, गोरखपुर सभी जगह एक्यूआइ गंभीर से अति गंभीर स्तर में मिला था। वहीं कानपुर, नोएडा, वाराणसी, गोरखपुर, गाजियाबाद, प्रयागराज, हापुड़ में नाइट्रोजन आक्साइड मानक से अधिक पाया गया।
राजधानी में कुछ राहत रही
राजधानी लखनऊ के विगत तीन वर्षों के आंकड़ों को देखें तो बीते नवंबर में वर्ष 2016 व 2017 के मुकाबले प्रदूषण में कुछ कमी तो आई लेकिन एक्यूआइ फिर भी खराब स्थिति में ही रहा।
यह थीं सिफारिशें
- ऐसे वाहन जिनके प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट उपलब्ध न हों सीज किया जाएं
- महत्वपूर्ण चौराहों पर बस, टैम्पों, ऑटो, ई-रिक्शा व रिक्शा इत्यादि चौराहे से 50 मीटर दूर खड़े हों।
- ई-रिक्शे का संचालन मुख्य मार्ग पर न किया जाए।
- आवास विकास एवं एलडीए सुनिश्चित करें कि कंस्ट्रक्शन साइट एवं आरएमसी प्लांट पर प्रयुक्त सामग्री को ग्रीन नेट से ढका जाए।
- निर्माण सामग्री खुले में न डाली जाए। बालू, मौरंग ट्रैक्टर ट्राली में बगैर ढके न ले जाई जाए। पानी का निरंतर छिड़काव हो जिससे धूल न उड़े।
- लोक निर्माण विभाग द्वारा सभी हॉट मिक्स प्लांटों पर नजर रखी जाए।
- ढाबों, रेस्टोरेंट में कोयले या लकड़ी का प्रयोग न हो, सभी को गैस उपलब्ध कराई जाए।
- कूड़ा या कृषि अवशेष न जलाया जाए।
- सड़कों पर यांत्रिक सफाई को बढ़ाया जाए एवं धूल वाली सड़कों पर पानी का निरंतर छिड़काव कराया जाए।
- टूटी सड़कों की मरम्मत कराई जाए जिससे धूल न उड़े।
- सड़कों को अतिक्रमण मुक्त किया जाए जिससे जाम न लगे।