CM को बदनाम करने की साजिश रचने वाले का सुराग नहीं, PFI व संगठनों की भूमिका की भी हो रही पड़ताल
लखनऊ में एक बड़े राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल के स्क्रीन शॉट में छेड़खानी कर मुख्यमंत्री योगी का फर्जी बयान जारी करने वाले मुन्ना यादव नामक व्यक्ति का साइबर क्राइम सेल की टीम दूसरे दिन भी पता नहीं लगा सकी। इसमें पीएफआइ व अन्य संगठनों की भूमिका तलाशी जा रही है।
लखनऊ, जेएनएन। एक बड़े राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल के स्क्रीन शॉट में छेड़खानी कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का फर्जी बयान जारी करने वाले मुन्ना यादव नामक व्यक्ति का पुलिस और साइबर क्राइम सेल की टीम दूसरे दिन भी पता नहीं लगा सकी है। पीएफआई समेत अन्य संगठनों की भूमिका की भी पड़ताल जारी है। इस संबंध में शुक्रवार देर रात हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
डीसीपी मध्य सोमेन वर्मा ने बताया कि अभी छानबीन में लगी टीमों का पूरा फोकस फर्जी पोस्ट वायरल करने वाले मुन्ना यादव की गिरफ्तारी को लेकर है। इस दिशा में साइबर क्राइम सेल की टीम भी काम कर रही है। मुन्ना की गिरफ्तारी के बाद ही पता चल सकेगा कि पीएफआई समेत अन्य संगठनों की क्या भूमिका है।
गौरतलब है कि हाथरस दुष्कर्म व हत्या के मामले में सोशल मीडिया पर एक न्यूज चैनल के फर्जी स्क्रीन शॉट में ब्रेकिंग न्यूज लिखकर मुख्यमंत्री की फोटो के साथ बकायदा उनका फर्जी बयान जारी किया गया था, जिसमें एक जाति विशेष को लेकर टिप्पणी थी। ये स्क्रीन शॉट वाट्सएप समेत अन्य सोशल मीडिया के अकाउंट पर शनिवार को तेजी से वायरल किया गया। जिसपर नरही चौकी प्रभारी भूपेंद्र सिंह की नजर गई तो उन्होंने अपने अफसरों को सूचना दी। डीसीपी मध्य सोमेन वर्मा ने बताया कि चौकी प्रभारी नरही भूपेंद्र सिंह की तहरीर पर हजरतगंज कोतवाली में इस संबंध में एफआइआर दर्जकर आरोपितों की तलाश की जा रही है। इसके लिये पुलिस और साइबर क्राइम सेल की टीमों को लगाया गया है। स्क्रीन शॉट की खबर को सबंधित चैनल के बेवसाइट पर चेक किया गया, इसका न्यूज चैनल ने भी खंडन किया। पुलिस जांच में भी यह पाया गया कि संबंधित स्क्रीन शॉट वाला मैसेज सिर्फ मुख्यमंत्री की छवि धूमिल करने के इरादे से किया गया था, जो पुलिस जांच में भी फर्जी पाया गया। इस स्क्रीन शॉट में जातिगत टिप्पणी के साथ बड़े न्यूज चैनल का लोगों भी लगा था, जिसकी संबंधित न्यूज चैनल से पुष्टि की गई तो वह फर्जी निकला।
मुन्ना यादव के खिलाफ अफवाह फैलाने, धोखाधड़ी, कूट रचना, सूचना प्रौद्योगिकी संसोधन अधिनियम, कॉपीराइट अधिनियम, सीएम की तस्वीर का गलत प्रयोग करने के साथ-साथ आईटी एक्ट और काॅपीराइट एक्ट के तहत केस दर्ज है।