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पड़ोस में पर्यटन : 5000 साल पुराना पेड़ देखना है तो यहां आएं Lucknow news

हिंंदू धर्मावलंबियों के साथ सूफी और सतनामी संप्रदाय के अनुयायियों की आमद से गुलजार रहते हैं बाराबंकी के धर्मस्‍थल।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 12:00 PM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 12:00 PM (IST)
पड़ोस में पर्यटन : 5000 साल पुराना पेड़ देखना है तो यहां आएं Lucknow news
पड़ोस में पर्यटन : 5000 साल पुराना पेड़ देखना है तो यहां आएं Lucknow news

बाराबंकी, (जगदीप शुक्ल)। राजधानी की गंगा-जमुनी तहजीब पड़ोसी जिले बाराबंकी भी संभाले है। यहां महाभारतकालीन लोधेश्वर महादेव का मंदिर है तो यहीं 'जो रब हैं वही राम है' कहकर दुनिया को सौहार्द का संदेश देने वाली हाजी वारिस अली शाह की दरगाह भी है। सिरौलीगौसपुर तहसील के बरौलिया में सतनामी संप्रदाय के प्रवर्तक बाबा जगजीवन साहब का दरबार है। इन स्थानों पर सालभर श्रद्धालु-अनुयायियोंका आवागमन रहता है। यहां आकर पांच हजार साल से ज्यादा पुराना देववृक्ष पारिजात का दर्शन किया जा सकता है तो वहीं, खेती से खुशहाली की राह दिखाने वाले पद्मश्री रामसरन वर्मा के खेत-खलिहान से रूबरू भी हुआ जा सकता है।

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देववृक्ष पारिजात

कुंतेश्वर महादेव मंदिर से करीब चार किलोमीटर की दूरी पर देववृक्ष पारिजात है। मान्यता है कि कुंतेश्वर महादेव की स्थापना के बाद पारिजात पुष्प से इसकी पूजा के लिए अर्जुन इंद्रलोक से पारिजात वृक्ष लेकर आए थे। वनस्पति विभाग के अनुमान के मुताबिक पारिजात वृक्ष की आयु करीब पांच हजार वर्ष है। इसके नीचे मांगी गई मनौती पूरी होती है।

देवा

जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर नगर पंचायत देवा में सूफी संत हाजी वारिस अली शाह और उनके पिता सैयद कुर्बान अली शाह की मजार है। हाजी वारिस ने अपने पिता की याद में 10 दिवसीय मेला का आयोजन शुरू किया था जो अनवरत है। अब जिला प्रशासन की देखरेख में यह मेला लगता है। इसमें राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों की प्रस्तुतियां होती हैं। दूरदराज से लोग इसमें शामिल होने आते हैं। इस बार 15 से 24 अक्टूबर तक देवा मेला लगेगा। पूर्णिमा के बाद पडऩे वाले गुरुवार को नौचंदी में भी काफी संख्या में लोग चादर चढ़ाने पहुंचते हैं।

लोधेश्वर महादेवा : जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर रामनगर तहसील क्षेत्र में लोधौरा गांव में भगवान लोधेश्वर महादेव का मंदिर है। यहां महाशिवरात्रि व कजरीतीज के मौके पर लाखों की संख्या में कावंडि़ए प्रदेश के विभिन्न जिलों से आते हैं। यहां स्थित शिवङ्क्षलग महाभारत कालीन बताया जाता है। अज्ञातवास के दौरान धर्मराज युधिष्ठिर ने इसकी स्थापना की थी। करीब तीन सौ साल पहले लोधेराम अवस्थी नामक किसान ने अपने खेत में शिवङ्क्षलग देखा और वहीं पूजा-अर्चना शुरू कर दी। धीरे-धीरे मंदिर का निर्माण हुआ।

कुंतेश्वर महादेव

कुंतेश्वर महादेव की स्थापना पांडवों की माता कुंती ने अज्ञातवास के दौरान की थी। मान्यता है कि आज भी माता कुंती जलाभिषेक के लिए आती हैं। पिछले साल एक टीवी चैनल ने मंदिर में कैमरे रखकर निगरानी की थी तो शिवङ्क्षलग पूजित मिला था। रामनगर के लोधेश्वर महादेवा से कुंतेश्वर की दूरी करीब 15 किलोमीटर है।

बाबा जगजीवन साहेब की समाधि

सतनामी संप्रदाय के आदि प्रवर्तक रहे जगजीवन साहेब ने 'अलह अलख दोऊ एक हैं दूजा और न कोय' का संदेश देकर साम्प्रदायिक सौहार्द की अलख जगाई। सिरौलीगौसपुर तहसील के कोटवाधम में जगजीवन साहेब की समाधि है। इनके अनुयायी छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब व बिहारी प्रांत में भी हैं। वर्ष में दो बार विशाल मेला लगता है। गुरु पूर्णिमा पर दूर दराज से लोग आते हैं। किसान अपनी फसल की अंजूरी चढ़ाते हैं।

दौलतपुर कृषि फार्म

जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर दौलतपुर गांव के किसान पद्मश्री रामसरन वर्मा ने केला, टमाटर, आलू व मेंथा जैसी फसलों को आधुनिक तरीके से उपजाकर किसानों की आय दोगुनी करने का मार्ग दिखाया। इसके लिए उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया है। इनका कृषि फार्म अब किसी पर्यटन स्थल से कम नहीं।

अन्य दर्शनीय स्थल:

नगर पंचायत सिद्धौर स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, बीबीपुर स्थित मां दुर्गा शक्तिपीठ, मसौली क्षेत्र में अंबौर स्थित मां ज्वाला मुखी मंदिर, सिरौलीगौसपुर क्षेत्र में अमरादेवी धाम, बंकी ब्लॉक में गोमती नदी के किनारे डल्लूखेड़ा गांव स्थित शैलानी देवी मंदिर, प्राकृतिक जलकुंड, जिला मुख्यालय पर नागेश्वर नाथ मंदिर व सरोवर, श्रीराम वन कुटीर आश्रम हडिय़ाकोल (जहां विशाल ऑपरेशन शिविर लगता है)।

ऐसे पहुंचे

लखनऊ जंक्शन से बाराबंकी की दूरी 36 किलोमीटर। देवा के लिए लखनऊ से बाराबंकी रेलवे स्टेशन और महादेवा के लिए बुढ़वल रेलवे स्टेशन

सड़क मार्ग : लखनऊ के कैसरबाग से बाराबंकी जिला मुख्यालय की दूरी 27 किलोमीटर। यहां से पर्यटन स्थलों की दूरी 50 किलोमीटर की परिधि में। देवा के लिए लखनऊ से बाराबंकी तक के लिए परिवहन निगम की बस सेवा उपलब्ध है। यहां से देवा के लिए रोडवेज बस, टेंपो आदि की व्यवस्था। महादेवा के लिए लखनऊ से रामनगर तक लिए सीधी बस सेवा है। क‍िंतूर और पारिजात के लिए रामनगर से बस सेवा उपलब्ध है। पद्मश्री रामसरन वर्मा के दौलतपुर स्थित कृषि फार्म पर जाने के लिए लखनऊ-अयोध्या मार्ग पर दादरा तक के लिए बस सेवा है।

किराया- लखनऊ से बाराबंकी 32 रुपये

लोकल किराया-प्रमुख स्थानों पर टैक्सी से एक हजार रुपये।

ठहरने की व्यवस्था और किराया : जिला मुख्यालय पर पांच सौ रुपये से ढाई हजार रुपये तक कमरे उपलब्ध। देवा में जायरीन के लिए धर्मशाला।

खानपान की व्यवस्था : पर्यटन स्थलों पर रेस्टोरेंट व ढाबा


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