उत्तर प्रदेश से ही खुलेगा देश के विकास का रास्ता : राज्यपाल
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने ग्रेटर नोएडा में वैश्विक सेवा प्रदर्शनी में अलग ही अंदाज में दिखे। 17 देशों के प्रतिनिधियों के सामने मंचासीन राष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्रियों ने अंग्रेजी में भाषण दिया। राज्यपाल ने हिंदी में संबोधन कर सबका ध्यान खींचा।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज ग्रेटर नोएडा में वैश्विक सेवा प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर पर अलग ही अंदाज में दिखे। 17 देशों के प्रतिनिधियों के सामने मंचासीन राष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्रियों ने जहां अंग्रेजी में भाषण दिया, वहीं राज्यपाल ने हिंदी में संबोधन कर सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा। अकसर कानून व्यवस्था के मुद्दे पर प्रदेश के मुख्यमंत्री को घेरने वाले राज्यपाल ने आज राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मौजूदगी में तीन केंद्रीय मंत्रियों को हकीकत का आइना दिखाया। यह भी अहसास करा दिया कि उत्तर प्रदेश के बिना देश का विकास संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश देश में सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। मेक इन इंडिया के लिए मेक इन उत्तर प्रदेश जरूरी है। यहीं से देश के विकास का रास्ता खुलेगा। उन्होंने कहा कि मैं मुंबई का रहने वाला हूं। मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है। इसे आर्थिक राजधानी बनाने में उत्तर प्रदेश के लोगों का बहुत बड़ा योगदान है।
उन्होंने मंचासीन केंद्रीय दूर संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद, पर्यटन मंत्री महेश शर्मा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीता रमण को जमीनी हकीकत के बारे में बताते हुए कहा कि एक तरफ देश में डिजिटल इंडिया की बात हो रही है तो दूसरी तरफ लोग कॉल ड्राप की समस्या से परेशान हैं। सरकार को इस समस्या की तरफ भी ध्यान देना चाहिए। देश में मेडिकल टूरिज्म बढ़ाने की बात तो हो रही है, जबकि साथ में बुनियादी ढांचे को भी मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि देश में बिजली की समस्या लगातार बढ़ रही है। अगर किसी मरीज का आपरेशन करते समय बिजली चल गई तो डाक्टर और मरीज की क्या हालात होगी, इसकी तरफ भी ध्यान देने की जरूरत है। राज्यपाल ने देश में बढ़ती बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि प्रशिक्षित लोगों को तो रोजगार मिल रहा है, लेकिन देश में बड़ी संख्या में अप्रशिक्षित युवा भी हैं। उन्हें भी रोजगार मिलना चाहिए। उन्होंने नोएडा, ग्रेटर नोएडा में हुए विकास की तारीफ की। नोएडा और ग्र्रेटर नोएडा को यूपी का सिरमौर बताया। साथ ही उद्यमियों को ग्रेटर नोएडा में औद्योगिक पूंजी निवेश के लिए आमंत्रित किया।
राष्ट्रपति की अगवानी के लिए नहीं आए मुख्यमंत्री
कुर्सी जाने के भय से एक बार फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की अगवानी के लिए ग्रेटर नोएडा नहीं आए। उनकी जगह राज्यपाल के साथ प्रदेश के श्रम एवं रोजगार मंत्री शाहिद मंजूर ने राष्ट्रपति की अगवानी की। अंधविश्वास के चलते मुख्यमंत्री पूर्व में भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की अगवाई करने नोएडा व ग्रेटर नोएडा नहीं आए थे। प्रदेश के नेताओं में यह अंधविश्वास है कि जो भी मुख्यमंत्री नोएडा व ग्रेटर नोएडा आता है, एक वर्ष के अंदर उसकी कुर्सी चली जाती है। पूर्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, मुलायम सिंह यादव, वीर बहादुर सिंह की कुर्सी यहां का दौरा करने के एक वर्ष के अंदर चली गई थी। इसी डर से तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने डीएनडी का उद्घाटन नोएडा की तरफ से करने के बजाय दिल्ली की तरफ से किया था। हालांकि, इस मिथ्या को बसपा सुप्रीमो मायावती ने तोड़ा। वह 2007 से 2012 तक अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में कई बार नोएडा आईं और नोएडा दौरे के एक वर्ष के अंदर उनकी कुर्सी नहीं गई पर अंधविश्वास के चलते मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने चार वर्ष के कार्यकाल में नोएडा और ग्रेटर नोएडा नहीं आए। राष्ट्रपति पिछले एक वर्ष में तीन बार ग्रेटर नोएडा आ चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पिछले तीन माह में दो बार नोएडा आ चुके हैं।