उप्र राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम में नहीं थमी धांधली...फिर घोटालेबाजों के हाथ में सरकारी राशन
राशन चोरी के कई मामलों में नामजद ठेकेदार के लिए फिर से विभाग में वापसी का रास्ता खोल दिया है।
लखनऊ [अमित मिश्र]। सरकारी राशन से भरा ट्रक एक निजी राइस मिल में पकड़ा गया तो गोदाम प्रभारी पर एफआइआर हुई, जिला प्रभारी को निलंबित किया गया और नामजद ठेकेदार के पूरे परिवार को भी ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया। चूंकि मामला राजधानी का था, इसलिए उप्र राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम (एसएफसी) से लखनऊ में सरकारी खाद्यान्न की उठान का काम भी छीन लिया गया।
यह तो हुआ वह काम, जो 30 मार्च, 2018 को राशन चोरी पकड़े जाने के बाद कार्रवाई के तौर पर कागजों में किया गया। अब देखिये कि खाद्य रसद विभाग की भ्रष्ट व्यवस्था ने कैसे इस कार्रवाई को निष्प्रभावी बना दिया। निलंबित और नामजद गोदाम प्रभारी को जेल भेजने की बजाय चार दिन में बहाल कर हरदोई में एक गोदाम का प्रभारी बना दिया। जिला प्रभारी को भी हफ्ते भर में बहाल कर रायबरेली का जिला प्रभारी बना दिया।
इतना ही नहीं, एसएफसी के प्रबंध निदेशक शीतला प्रसाद ने जिस ठेकेदार के पूरे परिवार को लखनऊ के मोहनलालगंज में राशन चोरी के तुरंत बाद 2 अप्रैल, 2018 को ब्लैक लिस्टेड किया था, उसी के लिए खुद उन्होंने केवल तीन महीने बाद जुलाई, 2018 में ठेके देने का पत्र जारी कर दिया। इस पत्र ने राशन चोरी के कई मामलों में नामजद ठेकेदार के लिए फिर से विभाग में वापसी का रास्ता खोल दिया। अधिकारियों की मेहरबानी से यह गठजोड़ रायबरेली से उन्नाव भी पहुंच गया। पिछले महीने यहां कई ब्लॉकों के राशन की चाबी भी अधिकारियों ने राशन चोरों को सौंप दी है।
फिर लखनऊ पहुंची समस्या
लखनऊ में सरकारी राशन की उठान का काम एसएफसी से छीनकर आरएफसी (संभागीय खाद्य नियंत्रक) शाखा को इस उम्मीद से दिया गया था कि अब राजधानी की सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार का दीमक नहीं लगेगा लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। एसएफसी की तरह आरएफसी ने भी पुराने दागियों को चुनते हुए लखनऊ में तीन ब्लॉक का काम सौंप दिया। खास बात है कि इसमें वह मोहनलालगंज ब्लॉक भी शामिल है, जहां उसी ठेकेदार के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई थी।
अब कतरा रहे अफसर
एसएफसी के एमडी शीतला प्रसाद यह तो मान रहे हैं कि पिछले साल अप्रैल में उन्होंने ठेकेदार को काली सूची में डालने का आदेश जारी किया था, लेकिन जुलाई में जारी अपने पत्र और प्रतिबंध के बावजूद ठेकेदार को काम मिलने की बात उन्हें याद नहीं। बकौल शीतला प्रसाद- 'यह सब फाइलों में है, देखना पड़ेगा।' दूसरी खाद्य आयुक्त आलोक कुमार ने आरएफसी के जरिए दागियों के हाथ में सरकारी राशन सौंपे जाने की जांच कराने की बात कही है।