पापा पीटेंगे, प्लीज बता दीजिए चालान तो नहीं हुआ... lucknow news
टीपी लाइन में चालान जमा करने वालों के साथ ही अपने चालान की जानकारी जुटाने वालों की भी संख्या बहुत है।
लखनऊ, जेएनएन। किशोर : अंकल मेरी स्कूटी का नंबर यूपी 32 एक्सवाई है, इसका चालान भरना है..., आपरेटर : ई-चालन का प्रिंटआउट या मोबाइल पर आए मैसेज को दिखाओ। किशोर : अंकल वो तो नहीं है। आपरेटर : फिर नहीं जमा होगा। किशोर : पापा बुहत पीटेंगे, अंकल प्लीज देखकर बता दीजिए, हुआ कि नहीं... इस तरह के संवाद आजकल रोजाना टीपी लाइन में ई-चालान जमा करते वक्त सुनने को मिल रहे हैं। यहां पर चालान जमा करने वालों के साथ ही अपने चालान की जानकारी जुटाने वालों की भी संख्या बहुत है।
यातायात विभाग इसे सकारात्मक रूप से देख रहा है कि नियमों की सख्ती और चालान राशि के बढऩे से नाबालिग वाहन चालक यातायात नियमों के प्रति संवेदनशील हो रहे हैं। वह पापा की डांट और कानूनी कार्रवाई के डर से वाहन चलाने में कतराने लगे हैं। यही वजह है कि चोरी छुपे पिछले दिनों बाइक चलाने के चलते कहीं चालान तो नहीं कट गया, इसके लिए टीपी लाइन जाकर इसकी पड़ताल कर रहे हैं।
नाबालिग के वाहन चलाने के भी हो रहे चालान
नाबालिगों के वाहन चलाने पर चालान तो हो रहे हैं, लेकिन पुरानी वाली ही दर से। वहीं अभिभावक नाबालिग बेटे के चलान होने पर बिना कोई बहस किए चालान भरकर निकल जा रहे हैं। उन्हें डर है कि यदि चालान का शमन शुल्क नहीं भरा तो कोर्ट में नए नियम के तहत कार्रवाई न हो जाए। साथ ही बच्चों को दोबारा ऐसा करने पर बालिग होने पर भी वाहन न देने तक की चेतावनी दे रहे हैं।
ऐसे ही राजेंद्रनगर निवासी एक पिता ने बेटे के बिना बताए बाइक लेकर नरही निवासी दोस्त के घर चले आने पर हुए तीन हजार के चालान को चुपचाप भर दिया। उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ई-चालान से बेटे के नाबालिग होने का आकलन कैसे किया पता नहीं, लेकिन कानूनी प्रक्रिया के चक्कर में न पडऩा पड़े, इसलिए शमन शुल्क भर दिया।