UP agitation: उत्तर प्रदेश के जिलों में फिर अंगड़ाई ले रहा पुरानी पेंशन का आंदोलन
बीते अक्टूबर में प्रदेश भर से लखनऊ पहुंचे लाखों राज्य कर्मचारियों ने जिस तरह पुरानी पेंशन के लिए ताकत दिखाई थी, उसी तर्ज पर अब फिर यह आंदोलन जिलों में अंगड़ाई लेने लगा है।
लखनऊ, जेएनएन। बीते अक्टूबर में प्रदेश भर से लखनऊ पहुंचे लाखों राज्य कर्मचारियों और शिक्षकों ने जिस तरह पुरानी पेंशन के लिए अपनी ताकत और मंशा दिखाई थी, उसी तर्ज पर अब फिर यह आंदोलन जिलों में अंगड़ाई लेने लगा है। पेंशन के लिए एक हफ्ते की हड़ताल तो छह फरवरी से होनी है लेकिन उससे पहले 21 जनवरी को प्रदेश के सभी जिलों में धरना और 28 फरवरी को मशाल जुलूस निकालने की तैयारी तेज हो गई है।
आंदोलन की आग मंद लेकिन बुझी नहीं
शासन द्वारा पुरानी पेंशन बहाली पर विचार के लिए गठित उच्चाधिकार समिति की बैठकों में दो महीने का समय बेकार जाने से कर्मचारी आंदोलन की आग मंद तो पड़ी है लेकिन, बुझी नहीं है। इस मुद्दे पर करीब डेढ़ सौ संगठन मिलाकर बनाए गए कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच ने भी आंदोलन को धार देने के लिए कर्मचारियों में वैसा ही जोश भरने का प्रयास शुरू कर दिया है, जैसा आठ अक्टूबर को राजधानी में आयोजित रैली में दिखा था। इस रैली में भारी संख्या में कर्मचारियों व शिक्षकों की मौजूदगी देख शासन ने बिना वक्त गंवाए वार्ता शुरू कर दी थी। इसी क्रम में शासन ने समिति का गठन किया था लेकिन, यह बेनतीजा ही खत्म हो गई।
समिति का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही कर्मचारियों में इस मुद्दे पर नाराजगी भी गहरा गई है।
सरकार कर रही केवल टाइमपास
समिति में सदस्य के तौर पर शामिल किए गए विभिन्न विभागों के प्रमुख सचिव व अपर मुख्य सचिवों के बैठकों में शामिल न होने से जहां कर्मचारियों में असंतोष है, वहीं बैठकों के दौरान पुरानी पेंशन जैसे लाभ देने के तरीके तलाशने की बजाए विभिन्न संगठनों व आम कर्मचारियों की राय जुटाने से भी कर्मचारियों में यह संदेश गया है कि सरकार इस मामले में केवल टाइमपास कर रही है। पुरानी पेंशन बहाली मंच के संयोजक हरिकिशोर तिवारी ने बताया कि अब एक बार फिर कर्मचारियों ने इस मुद्दे पर सरकार को चुनौती देने की तैयारी कर ली है। बुंदेलखंड व पूर्वांचल के जिलों में कर्मचारी हड़ताल के लिए एकजुट हो चुके हैैं। बाकी जगह भी तैयारियां तेज कर दी गई हैैं।