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Ayodhya Ram Mandir: बढ़ेगी राम मंदिर की भव्यता, मकराना के सफेद मार्बल से निर्मित होगा रामलला का गर्भगृह

Ayodhya Ram Mandir रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने सोमवार को इंटरनेट मीडिया पर मंदिर निर्माण की अद्यतन जानकारी साझा की। इसके अनुसार मंदिर की प्लिंथ और तराशी गईं शिलाओं के संयोजन का काम एक साथ चलता रहेगा।

By Vikas MishraEdited By: Published: Mon, 23 May 2022 08:54 PM (IST)Updated: Tue, 24 May 2022 12:34 PM (IST)
Ayodhya Ram Mandir: बढ़ेगी राम मंदिर की भव्यता, मकराना के सफेद मार्बल से निर्मित होगा रामलला का गर्भगृह
रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का काम इन दिनों निर्णायक दौर में है।

अयोध्या, जागरण संवाददाता। रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का काम इन दिनों निर्णायक दौर में है। एक जून से निर्धारित मानचित्र के अनुरूप उन शिलाओं का संयोजन शुरू होने जा रहा है, तीन दशक पूर्व जिनकी तराशी शुरू होने के साथ रामभक्त भव्य राम मंदिर का स्वप्न देखने लगे थे। यद्यपि मंदिर निर्माण की शुरुआत गत वर्ष 15 जनवरी को चार सौ गुणे तीन सौ वर्ग फीट के विशाल भू क्षेत्र में नींव खनन से ही हो गई थी, किंतु एक जून से सतह पर वह मंदिर आकार लेने लगेगा, जिसका सपना लंबे समय से रामभक्त देखते आए हैं। पहले से तराश कर रखी गईं शिलाओं के संयोजन की शुरुआत गर्भगृह से होगी। 

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रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने सोमवार को इंटरनेट मीडिया पर मंदिर निर्माण की अद्यतन जानकारी साझा की। इसके अनुसार मंदिर की प्लिंथ और तराशी गईं शिलाओं के संयोजन का काम एक साथ चलता रहेगा। यह शिलाएं गुलाबी बलुआ पत्थर की हैं, जिन्हें राजस्थान के भरतपुर जिले के बंसी-पहाड़पुर क्षेत्र की पहाडिय़ों से लाया गया है। मंदिर में करीब 4.70 लाख क्यूबिक फीट नक्काशीदार पत्थरों का प्रयोग किया जाएगा। अयोध्या के रामघाट स्थित कार्यशाला में पत्थरों की नक्काशी 1991 से ही चल रही है।

एक अन्य कार्यशाला राजस्थान के सिरोही जिले के पिंडवाड़ा कस्बे में भी चल रही है। यहां तराशी गई शिलाएं इन दिनों अयोध्या लाई जा रही हैं। लाल बलुआ पत्थर के साथ गर्भगृह के अंदर राजस्थान की मकराना पहाडिय़ों के सफेद कंचों का प्रयोग किया जाएगा। मकराना में सफेद कंचों की नक्काशी का भी कार्य प्रगति पर है और इनमें से कुछ नक्काशीदार संगमरमर के ब्लाक अयोध्या पहुंचने भी लगे हैं।

आठ एकड़ का होगा परकोटाः राम मंदिर का निर्माण तो 2.7 एकड़ में होना है, किंतु मंदिर का संपूर्ण परकोटा आठ एकड़ का है औैर इसमें परिक्रमा मार्ग भी समाहित होगा। परकोटा भी लाल बलुआ पत्थर से निर्मित किया जाएगा। परकोटा में आठ-नौ लाख घन फीट पत्थर का प्रयोग होगा।

एक साथ अनेक मोर्चों पर हो रहा निर्माणः गर्भगृह के चारों ओर प्लिंथ और नक्काशीदार गुलाबी बलुआ पत्थर के ब्लाकों की स्थापना, पिंडवाड़ा में गुलाबी बलुआ पत्थरों की नक्काशी, मकराना मार्बल्स की नक्काशी, मंदिर की सतह को सरयू के भूगर्भीय प्रवाह से बचाने के लिए रिटेनिंग वाल का निर्माण साथ-साथ चल रहा है।

आठ अन्य मंदिरों का भी होगा निर्माणः करीब 75 एकड़ के परिसर में माता सीता, ऋषि वाल्मीकि, निषादराज, शबरी, जटायु, विघ्नेश्वर (गणेश), गोस्वामी तुलसीदास और शेषावतार (लक्ष्मण) के मंदिर निर्माण की भी योजना है।

विशालता-भव्यता का पर्याय 

  • भूतल पर पूर्व-पश्चिम दिशा में लंबाई - 380 फीट।
  • भूतल पर उत्तर-दक्षिण दिशा में चौड़ाई - 250 फीट।
  • गर्भगृह में जमीन से शिखर की ऊंचाई - 161 फीट
  • बलुआ पत्थर के स्तंभ- भूतल-166; प्रथम तल-144; दूसरा तल-82 (कुल-392)

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