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भीतर ही भीतर धधक रहा उत्तर प्रदेश, माहौल बिगाड़ने के लिए आतंकी संगठन समेत कई ताकतें लगातार सक्रिय

उत्तर प्रदेश में आतंकी संगठनों के बढ़ते दखल के साथ रोहिंग्या की घुसपैठ ने सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौतियां खड़ी की हैं। अलकायदा के दो आतंकियों के लखनऊ से पकड़े जाने के बाद प्रदेश की सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर एक बार फिर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 12 Jul 2021 05:26 PM (IST)Updated: Mon, 12 Jul 2021 05:28 PM (IST)
भीतर ही भीतर धधक रहा उत्तर प्रदेश, माहौल बिगाड़ने के लिए आतंकी संगठन समेत कई ताकतें लगातार सक्रिय
यूपी में माहौल बिगाड़ने के लिए आतंकी संगठन समेत कई ताकतें लगातार सक्रिय हैं।

लखनऊ [आलोक मिश्र]। उत्तर प्रदेश भीतर ही भीतर धधक रहा है। यहां माहौल बिगाड़ने के लिए कई ताकतें लगातार सक्रिय हैं। आतंकी संगठनों के बढ़ते दखल के साथ रोहिंग्या की घुसपैठ ने सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौतियां खड़ी की हैं। अलकायदा के दो आतंकियों के लखनऊ से पकड़े जाने के बाद प्रदेश की सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर एक बार फिर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। कई शहरों में न सिर्फ सतर्कता बढ़ाई गई है, कई संदिग्धों की सरगर्मी से तलाश की जा रही हैं। जिससे आतंकी मंसूबों को पूरी तरह से निस्तेनाबूत किया जा सके।

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हाथरस कांड के बाद यूपी में जातीय हिंसा की बड़ी साजिश सामने आई थी, जिसके लिए विदेश से फंडिंग तक की जा रही थी। तब पहली बार पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) और उसकी स्टूडेंट विंग कैंपस फ्रंट आफ इंडिया (सीएफआइ) की भूमिका भी खुलकर सामने आई थी। प्रदेश में लगातार हो रही यह गतिविधियां भविष्य में किसी बड़े खतरे की ओर साफ इशारा करती हैं। यही वजह है कि एटीएस व एसटीएफ समेत अन्य जांच एजेंसियों ने अपनी सक्रियता को लगातार बढ़ाया है।

नतीजा है कि लखनऊ से दो आतंकियों के पकड़े जाने से पहले एसटीएफ ने बीते दिनों लखनऊ में पीएफआइ कमांडर अंसद बदरुद्दीन व ट्रेनर फिरोज खान को गिरफ्तार कर देश को दहलाने की बड़ी साजिश को नाकाम किया था। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ इंटरनेट मीडिया के जरिए प्रदेश के युवकों को सीधे निशाना बना रही हैं। आतंक के पांव जमाने के लिए जेहाद को हथियार बनाया जा रहा है। यह ट्रेंड पहले ही बड़े खतरे के रूप में सामने आ चुका है।

अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी (एएमयू) के पीएचडी छात्र मन्नान के हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल होने के बाद उत्तर प्रदेश में आतंकी संगठनों की गहराती जड़ों का सवाल खड़ा हुआ था। यह पहला मौका भी नहीं था। वर्ष 2018 में कानपुर में आतंकी कमरुज्जमा पकड़ा गया था, जो गणेश चतुर्थी के मौके पर बड़ी घटना करने वाला था। देवबंद (सहारनपुर) में विभिन्न आतंकी संगठनों का दखल बेहद गहरा रहा है। कई शहरों में आतंकी संगठनों के स्लीपिंग माड्यूल जांच एजेंसियों के लिए हमेशा से बड़ी चुनौती रहे हैं।

दो-तीन सालों में 20 से अधिक आतंकी उत्तर प्रदेश में पकड़े जा चुके हैं। अंसारुल बंग्ला टीम (एबीटी) के संदिग्ध आतंकियों की पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में खासी सक्रिय रहे हैं। ऐसे में बीते दिनों जब बांग्लादेशी नागरिकों व रोहिंग्या को प्रदेश के कई जिलों में फर्जी दस्तावेजों के जरिये पासपोर्ट तक हासिल करने का सच सामने आया तो सुरक्षा एजेंसियां सकते में आ गईं। आतंकी संगठनों के लिए घुसपैठ कर आए बांग्लादेशियों व रोहिंग्या को निशाना बनाना बेहद आसान है। इसके आशंका के चलते ही सूबे में रोहिंग्या की घुसपैठ को लेकर छानबीन तेज की गई है और अब तक सूबे में पहचान बदलकर रह रहे 15 से अधिक रोहिंग्या पकड़े जा चुके हैं।

बढ़ाई गई है सक्रियता : एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा को लेकर कई तरह की चुनौतियां हैं। एटीएस व अन्य जांच एजेंसियों की मदद से सूबे में संदिग्धों की छानबीन का दायरा बढ़ाए जाने के साथ ही इंटरनेट मीडिया की निगरानी बढ़ाई गई है। आतंकी गतिविधियों की जांच के लिए सक्रियता बढ़ाई गई है।

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