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नापाक इरादों को अंजाम देने के बाद अफगानिस्तान भागने की फिराक में था ISIS आतंकी मुस्तकीम

ड्रोन हमले में हैंडलर की मौत से टल गई अफगानिस्तान जाने की योजना हर हरकत की राजदार है पत्नी आयशा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2020 07:11 PM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2020 08:36 PM (IST)
नापाक इरादों को अंजाम देने के बाद अफगानिस्तान भागने की फिराक में था ISIS आतंकी मुस्तकीम

बलरामपुर, (रमन मिश्र)। उतरौला के बढ़या भैसाही गांव में रहने वाला अंतर्मुखी स्वभाव का मुस्तकीम दहशत की दुनिया में अबू यूसुफ के नाम से मशहूर हो गया। अपने नापाक इरादों को अंजाम देने के बाद वह अफगानिस्तान भागने की फिराक में था। यूं तो दो साल पहले ही वह दहशत का बिगुल फूंकना चाहता था, लेकिन अफगानिस्तान में बैठा हैंडलर ड्रोन हमले में मारा गया। इसके बाद भी मुस्तकीम बराबर अफगानिस्तान में बैठे अपने दूसरे आकाओं के संपर्क में था। घर से बरामद आइएसआइएस का झंडा भी उसकी गवाही दे रहा है। मुस्तकीम ने पत्नी व बच्चों का पासपोर्ट पहले ही तैयार करा लिया था। पत्नी आयशा उसकी बराबर राजदार रही, लेकिन मां-बाप को घर में रहकर कुछ पता न चला।

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हैंडलर के मारे जाने से धरी रह गई योजना

दिल्ली में गिरफ्तार होने से पहले तक संदिग्ध आतंकी अबू यूसुफ गांव के एक अंतर्मुखी स्वभाव के युवक मुस्तकीम के नाम से जाना जाता था। मुस्तकीम के आतंकी अबू यूसुफ बनने की कहानी में कई मोड़ है़। 2010 में दुबई से लौटने के बाद मुस्तकीम कट्टरपंथ की राह पर चल पड़ा था। 2017 में मुस्तकीम ने अपनी पत्नी व चार बच्चों का पासपोर्ट बनवाया था। उसने अफगानिस्तान में आइएसआइएस के हैंडलर के पास जाने की तैयारी पूरी कर ली थी। इसी बीच ड्रोन हमले में हैंडलर के मारे जाने के बाद मुस्तकीम की अफगानिस्तान जाने की योजना धरी की धरी रह गई।

रिश्तेदार व करीबी भेजते थे पैसे

अफगानिस्तान जाने की योजना पूरी न हो सकी, तो मुस्तकीम ने अपने गांव में घर की कोठरी को ही आतंक का मुख्यालय बना लिया। मुस्तकीम की बीबी आयशा इसके आतंक के राह की राजदार थी। मुस्तकीम ने अबू यूसुफ के नाम से सोशल मीडिया पर अपनी आइडी बनाकर आतंक की दुनिया में मशहूर हुआ। मुस्तकीम को पैसे कहां से और कौन भेजता था। इसकी जानकारी अभी खुफिया एजेंसियों को भी नहीं है।

आइएसआएस के संपर्क में था मुस्तकीम

सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म के जरिए मुस्तकीम आइएसआइएस के संपर्क में था। उसके घर में मिला आइएसआइएस का झंडा भी इसकी गवाही देता है। मुस्तकीम अपने मामा द्वारा भेजे गए जकात के पैसे से ऑनलाइन उपकरण मंगवाता था। यह पैसे उस तक किस माध्यम से पहुंचते थे, यह जांच का विषय है। 


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