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टेरर फंडिंग के मास्टर माइंड की गिरफ्तारी से सुरक्षा एजेंसियों की टॉप लिस्ट में आया कानपुर

एटीएस ने आतंकी फंडिंग नेटवर्क के मास्टर माइंड रमेश शाह को गिरफ्तार किया। रमेश ने पूछताछ में आतंकी फंडिंग नेटवर्क से जुड़े कई अहम राज उगले हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 21 Jun 2018 10:34 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jun 2018 05:20 PM (IST)
टेरर फंडिंग के मास्टर माइंड की गिरफ्तारी से सुरक्षा एजेंसियों की टॉप लिस्ट में आया कानपुर
टेरर फंडिंग के मास्टर माइंड की गिरफ्तारी से सुरक्षा एजेंसियों की टॉप लिस्ट में आया कानपुर

लखनऊ (जेएनएन)। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने आतंकी फंडिंग नेटवर्क के मास्टर माइंड रमेश शाह को पुणे (महाराष्ट्र) से गिरफ्तार किया। रमेश ने पूछताछ में कई अहम राज उगले हैं, जिनकी मदद से आतंकी फंडिंग नेटवर्क के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन पता लगेगा। रमेश शाह की जड़ें कानपुर परिक्षेत्र में भी होने के पर्याप्त सुबूत मिले हैं। कानपुर एटीएस के डीएसपी मनीष सोनकर की टीम ने इन्हीं सुबूतों व इनपुट के बाद रमेश को पुणे से पकड़ा। इस गिरफ्तारी के बाद कानपुर सुरक्षा एजेंसियों की टॉप लिस्ट में आ गया है। डीजीपी ओपी सिंह ने बताया कि एटीएस रमेश को ट्रांजिट रिमांड पर लखनऊ लाई जहां उसे कोर्ट में पेश किया गया। रमेश शाह को न्यायिक अभिरक्षा में लखनऊ जेल भेजा गया। एटीएस उसे पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है।

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कानपुर में पकड़े गए संदिग्ध आतंकी 

  • 11 सितंबर, 2009 को आइएसआइ एजेंट इम्तियाज सचेंडी से गिरफ्तार। 
  • 27 सितंबर, 2009 को बिठूर से आइएसआइ एजेंट वकास की गिरफ्तारी। 
  • 18 सितंबर, 2011 को आइएसआइ एजेंट फैसल रहमान को किया गिरफ्तार। 
  • जुलाई, 2012 में सेंट्रल स्टेशन से फिरोज नाम के संदिग्ध की गिरफ्तारी। 
  • अप्रैल, 2014 को पटना में विस्फोट करने वाले संदिग्ध को पनकी स्टेशन के पास से एटीएस ने पकड़ा। 
  • मार्च, 2017 में भोपाल ट्रेन ब्लास्ट करने वाले गिरोह खुरासान माड्यूल के तीन आतंकी गिरफ्तार।

बिहार के मूल निवासी रमेश का गोरखपुर ठिकाना

मूलरूप से बिहार निवासी रमेश शाह यहां गोरखपुर के थाना शाहपुर क्षेत्र स्थित सर्वोदयनगर में रहता है। गोरखपुर में उसका असुरन चुंगी क्षेत्र में सत्यम शापिंग मार्ट है। उल्लेखनीय है कि एटीएस ने मार्च में 10 आरोपितों को गिरफ्तार कर आतंकी फंडिंग के नेटवर्क का राजफाश किया था। आरोपितों के कब्जे से बड़ी संख्या में एटीएम डेबिट कार्ड, मैग्नेटिक कार्ड रीडर, स्वैप मशीन सहित 52 लाख रुपये नकद बरामद हुए थे। पूरा नेटवर्क लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी पाकिस्तान से चला रहा था। वह लाहौर से इंटरनेट के जरिये सदस्यों के संपर्क में रहता था। नेटवर्क के तार मध्य प्रदेश व नेपाल से जुड़े थे। इनमें प्रतापगढ़ निवासी संजय सरोज, नीरज मिश्रा, लखनऊ निवासी साहिल मसीह, मध्य प्रदेश निवासी उमा प्रताप सिंह, बिहार निवासी मुकेश प्रसाद, कुशीनगर निवासी निखिल राय, आजमगढ़ निवासी अंकुर राय, गोरखपुर निवासी दयानंद यादव, नसीम अहमद व नईम अरशद को गिरफ्तार किया गया था। 24 मार्च को गोरखपुर से पकड़े छह आरोपितों ने पूछताछ में गिरोह के मास्टर माइंड रमेश शाह का नाम उगला था। तभी से उसकी तलाश की जा रही थी।

ट्रांसफर की थी एक करोड़ से अधिक रकम 

आइजी एटीएस असीम अरुण ने बताया कि रमेश पाकिस्तान में बैठे हैंडलर के सीधे संपर्क में था। उसके जरिये ही विभिन्न बैंक खातों से पाकिस्तान में बैठे हैंडलर को भेजा जाता था। रमेश को मध्य-पूर्व के राष्ट्रों, जम्मू-कश्मीर, केरल व पूर्वोत्तर राज्यों से एक करोड़ से अधिक रकम हासिल हुई थी, जिसे उसने भिन्न स्थानों पर भेजा था। रमेश को इंटरनेट कॉल के जरिये रकम का चलता था। फिर वह मुकेश व रमेश के कहने पर खाताधारकों को फोन करके रुपये आने की पुष्टि करता था और खाताधारकों को कमीशन देकर शेष रकम निकलता था। उस रकम को रमेश के बताए लोगों को ही वितरित किया जाता था। रमेश से पूछताछ में नेटवर्क की अहम कडिय़ां खुलेंगी। 

पत्थरबाजों को भी फंडिंग की आशंका 

आतंकी फंडिंग के इस नेटवर्क के तार जम्मू-कश्मीर के पत्थरबाजों से भी जुड़े होने की आशंका है। बताया गया कि इनके द्वारा जम्मू-कश्मीर के कई खातों में भी रकम भेजी गई थी। आशंका है कि वह रकम पत्थरबाजों की फंडिंग में इस्तेमाल होती थी। हालांकि डीजीपी ओपी सिंह का कहना है कि अभी इसके पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं। इसकी भी जांच होगी। 

रमेश करता लश्कर-ए-तैयबा का काम

गिरफ्तार रमेश लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम कर रहा था। कानपुर में आतंकियों के पुराने कनेक्शन के चलते महाराष्ट्र से रमेश शाह के पकड़े जाने के बाद स्थानीय खुफिया को अलर्ट कर दिया गया है। वैसे भी आयुध निर्माणियों के साथ ही प्रौद्योगिकी संस्थान, एयरपोर्ट और गैस प्लांट सरीखे अहम संस्थानों की वजह से कानपुर स्लीपिंग माड्यूल्स की सक्रियता का केंद्र बन गया है। खुफिया रिपोर्ट और शहर में पकड़े गए आतंकी, पाकिस्तान एजेंट और नक्सली से इसकी पुष्टि भी होती है। रमेश भी आतंकी गतिविधियों में संलिप्त लोगों को पैसा व उनकी जरूरत का सामान उपलब्ध कराता था। कानपुर परिक्षेत्र में उसकी सक्रियता की बात खुरासान माड्यूल पकड़े जाने के बाद सामने आई। 

टेरर फंडिंग के पुख्ता सुबूत 

एटीएस सूत्रों के मुताबिक कानपुर में पाकिस्तानी एजेंट, स्लीपिंग मॉड्यूल्स की गतिविधियों और टेरर फंडिंग के पुख्ता सुबूत के बाद एंटी टेररिस्ट स्क्वायड (एटीएस) टीम की गतिविधियां बढ़ा दी गई हैं। सात मार्च, 2017 को भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में जबड़ी रेलवे स्टेशन के पास हुए विस्फोट का मास्टरमाइंड गौस मोहम्मद, मो. दानिश व आतिफ जाजमऊ के रहने वाले हैं। मुठभेड़ में मारा गया सैफुल्लाह भी इसी इलाके का था। इनके साथियों में सैयद मीर हुसैन कन्नौज का है। गौस शहर में खुरासान माड्यूल के माध्यम से आतंकियों की पाठशाला चला रहा था, जिसमें शहर व आसपास के करीब 75 लोग शामिल हो रहे थे। हालांकि एटीएस उन्हें मुख्यधारा में वापस ले आई। इसके बाद से एटीएस शहर के मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों और सुनसान स्थानों पर बने धार्मिक स्थलों पर नजर बनाए हुए हैं। 


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