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विवाद में कूदे विमलदेव : ज्योतिषपीठ की गुरु परंपरा से नहीं स्वरूपानंद

आदिशंकराचार्य की तपस्थली एवं उनके द्वारा स्थापित ज्योतिषपीठ (बद्रिका आश्रम) के पीठाधीश्वर (शंकराचार्य) के विवाद में मठ मछली बंदर के मुखिया व दंडी संन्यासी समाज प्रबंधन समिति के अध्यक्ष स्वामी विमलदेव आश्रम भी कूद पड़े हैं। आज उन्होंने इलाहाबाद में दावा किया कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ज्योतिषपीठ की गुरु

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 13 May 2015 08:08 PM (IST)Updated: Wed, 13 May 2015 08:11 PM (IST)

लखनऊ। आदिशंकराचार्य की तपस्थली एवं उनके द्वारा स्थापित ज्योतिषपीठ (बद्रिका आश्रम) के पीठाधीश्वर (शंकराचार्य) के विवाद में मठ मछली बंदर के मुखिया व दंडी संन्यासी समाज प्रबंधन समिति के अध्यक्ष स्वामी विमलदेव आश्रम भी कूद पड़े हैं। आज उन्होंने इलाहाबाद में दावा किया कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ज्योतिषपीठ की गुरु परंपरा से कभी जुड़े ही नहीं हैं। गुरु-शिष्य परंपरा एवं वसीयत के अनुसार भी स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ही पीठाधीश्वर हैं। पिछले दिनों सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत के आदेश की याद दिलाने पर उनका कहना था कि वासुदेवानंद के पक्ष में भी कोर्ट के कई फैसले आ चुके हैं।

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विमलदेव आश्रम ने ज्योतिषपीठ का निर्णय न्याय व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार करने पर जोर दिया। वह मंगलवार की रात अलोपीबाग स्थित शंकराचार्य आश्रम पहुंचे थे। बुधवार को स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के प्रवक्ता ओंकारनाथ त्रिपाठी ने उनके समक्ष अपना पक्ष रखा। लगभग 90 मिनट की वार्ता के बाद स्वामी विमलदेव ने स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती का खुलकर समर्थन किया। स्वामी विमलदेव ने कहा कि ज्योतिषपीठ का फैसला गुरु परंपरा एवं कोर्ट द्वारा दिए गए सारे फैसलों के आधार पर होना चाहिए। इस मुद्दे पर अनायास विवाद आगे नहीं बढऩा चाहिए। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद की दावेदारी को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि वह स्वयं को स्वामी कृष्णबोधाश्रम का शिष्य बताते हैं, जबकि स्वामी कृष्णबोधाश्रम जी महाराज कभी जगद्गुरु शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती के शिष्य नहीं थे। ऐसे में शंकराचार्य बद्रिकाश्रम के पीठाधीश्वर कैसे हो सकते हैं।


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