Chinmayanand Case : दुष्कर्म पीड़िता की जमानत अर्जी पर जल्द सुनवाई की मांग हाई कोर्ट में खारिज
हाई कोर्ट ने स्वामी चिन्मयानंद से पांच करोड़ रुपये की ब्लैकमेलिंग में आरोपित एलएलएम छात्रा की जमानत पर जल्द सुनवाई की मांग को लेकर दाखिल अर्जी खारिज कर दी।
लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद से पांच करोड़ रुपये की ब्लैकमेलिंग में आरोपित एलएलएम छात्रा की जमानत पर जल्द सुनवाई की मांग को लेकर दाखिल अर्जी खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने दिया है।
चिन्मयानंद पर दुष्कर्म और शारीरिक शोषण का आरोप लगाने वाली पीड़ित छात्रा की ओर से कहा गया था कि उसकी जमानत अर्जी पर सुनवाई के लिए कोर्ट ने 29 नवंबर की तारीख लगाई है। उस अर्जी पर 22 नवंबर को सुनवाई कर ली जाए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने जल्द सुनवाई की मांग नामंजूर करते हुए अर्जी खारिज कर दी।दुष्कर्म पीड़िता ने इसके पूर्व इस मामले की एसआइटी जांच की मॉनीटरिंग कर रही खंडपीठ के समक्ष जमानत अर्जी दाखिल करके सुनवाई का आग्रह किया था। खंडपीठ ने उसका आग्रह यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि उसे केवल जांच की मॉनीटरिंग का ही क्षेत्राधिकार है। जमानत अर्जी को जमानत पर सुनवाई के क्षेत्राधिकार वाली पीठ के समक्ष दाखिल किया जाए। गौरतलब है कि दुष्कर्म पीड़िता की जमानत अर्जी पर कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
चिन्मयानंद की जमानत अर्जी पर शुरू हुई सुनवाई
एलएलएम छात्रा से दुष्कर्म के आरोपी पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद की जमानत अर्जी पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी की कोर्ट में शुक्रवार को भी सुनवाई जारी रहेगी। याची अधिवक्ता का कहना है कि स्वामी चिन्मयानंद से ब्लैकमेलिंग की गई है। जब उन्होंने मांग नहीं मानी तो दुष्कर्म के फर्जी केस में फंसाया गया है। पीड़िता के पिता ने लापता होने की प्राथमिकी दर्ज कराई है, जबकि वह अपने दोस्तों के साथ स्वयं रक्षाबंधन से पहले शाहजहापुर छोड़ चुकी थी। वह लगातार फोन पर परिवार के संपर्क में थी। साथ ही ब्लैकमेलिंग कर पांच करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी। अधिवक्ता का यह भी कहना है कि हिंदू संतों को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए स्वामी चिन्मयानंद पर झूठा आरोप लगाया गया है। वहीं पीडि़ता के अधिवक्ता का कहना था कि स्वामी चिन्मयानंद ने जघन्य अपराध किया है। उन्होंने जो किया उसका वीडियो साक्ष्य है। एक साध्वी ने भी चिन्मयानंद पर ऐसा आरोप लगाया था। आरोपी के प्रभाव के कारण उसे झूठे आरोप में फंसा दिया गया है।
भाजपा नेताओं को नहीं भेजे जा सके समन
उधर, शाहजहांपुर में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) ओमवीर सिंह के अवकाश पर होने के कारण चिन्मयानंद से ब्लैकमेलिंग के आरोपित भाजपा नेताओं को कोर्ट से समन जारी नहीं हो सके। चिन्मयानंद प्रकरण में एसआइटी ने भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष जेपीएस राठौर के भाई और भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री डीपीएस राठौर के साथ ही युवा मोर्चा के पूर्व महामंत्री अजीत सिंह के नाम चार्जशीट में शामिल किए थे। दोनों भाजपा नेता पर चिन्मयानंद को ब्लैकमेल कर सवा करोड़ रुपये मांगने का आरोप है। जमानतीय धाराओं में गिरफ्तारी न होने के कारण बुधवार को भाजपा नेताओं को कोर्ट से समन जारी किए जाने थे, लेकिन सीजेएम अवकाश पर थे, जिस कारण समन जारी करने की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी।