इलाहाबाद कुंभ में दिखेगी गंगाजल व गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन
लखनऊ में परमार्थ निकेतन, ऋषिकेष के स्वामी चिदानंद ने बताया कुंभ में वह गंगाजल और गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन लोगों के सामने लाएंगे। उनके आश्रम के एक सदस्य ने यह मशीन तैयार की है।
लखनऊ [अमित मिश्र]। अध्यात्म और परमार्थ का संदेश देने वाले स्वामी चिदानंद सरस्वती के इस बार इलाहाबाद के कुंभ शिविर में बड़ा संदेश निकलेगा। उनके शिविर से इस बार परंपराओं के निवर्हन के साथ प्रगतिशीलता और पर्यावरण संरक्षण का ऐसा संदेेश निकलेगा, जो भविष्य में पेड़-पौधों को ही नहीं, प्राण-पीढ़ी और पृथ्वी की भी सांसें बचाये रखेगा।
सांस्कृतिक व वैचारिक आधार पर आयोजित होने वाले इलाहाबाद के कुंभ को उन्होंने स्वच्छता, समरसता और सद्भाव के साथ योग से भी जोडऩे का एक वृहद कार्यक्रम तैयार किया है। लखनऊ में आज परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के स्वामी चिदानंद ने बताया कि कुंभ में वह गंगाजल और गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन लोगों के सामने लाएंगे। उनके आश्रम के एक सदस्य ने यह मशीन तैयार की है।
वह कहते हैैं कि शवदाह के लिए प्रतिवर्ष आठ से दस करोड़ पेड़ काटे जा रहे हैैं लेकिन, गोबर की लकड़ी अब इसका ऐसा विकल्प बनेगी, जिसमें वही मंत्र वही परंपरा और वही मान्यता होगी, बस प्रक्रिया बदल जाएगी। शवदाह में इसकी स्वीकार्यता के लिए गोबर की लकड़ी के इस्तेमाल की बात वह कुंभ में संतों के मुख से कहलाएंगे।
अस्थि विसर्जन-आस्था का सर्जन
स्वामी चिदानंद कुंभ में 'अस्थि विसर्जन-आस्था का सर्जन' के मंत्र के साथ एक और नई अवधारणा लाने जा रहे हैैं। वह कहते हैैं कि परंपराओं का पालन करते हुए ऐसा अस्थि विसर्जन हो, जिसमें मान्यता के साथ पर्यावरण भी बचेे।
कुंभ में इसका मॉडल वह लोगों के सामने रख कर बतायेंगे कि गंगा में प्रतीक के तौर पर थोड़ी अस्थियां विसर्जित करें और बाकी अस्थियों को वहीं खाद के तौर पर प्रयोग कर मिट्टी के साथ बीज रोप दें तो पिता या प्रियजन पेेड़ बनकर फिर लौट आएंगे। घाट पर शोक में डूबे लोग वहीं अस्थियों से अशोक रोप दें तो प्रियजन वहीं हमारे साथ रहेंगे। यह मंत्र भी वह संतों से दिलाएंगे।
जुटेंगे 37 देशों के जनजातीय प्रतिनिधि
स्वामी चिंदानंद बताते हैं कि कुंभ में इस बार उनके शिविर में जहां 37 देशों की जनजाति के प्रतिनिधि जुटेंगे, वहीं 121 देशों के लोगों के साथ योग कुंभ भी साकार होगा। वह कहते हैैं कि जल संरक्षण का संदेेश देकर इस बार जन कुंभ को जल कुंभ बनाने की तैयारी है।