बैसाखी पर बैंकों का सर्विलांस सिस्टम, साइबर अपराधी लगातार लगा रहे सेंध
आरबीआइ के निर्देश बैंकों को हर समय दुरुस्त रखना चाहिए सर्विलांस सिस्टम। साइबर अपराध को रोकने में सक्षम नहीं है बैंकों का सर्विलांस सिस्टम ।
लखनऊ, (पुलक त्रिपाठी)। साइबर अपराध को लेकर आरबीआइ की गाइडलाइंस से भले ही फाइलें भरी पड़ी हों, लेकिन ठग लगातार लोगों के खाते खाली कर रहे हैं। साइबर क्राइम से निपटने के लिए आरबीआइ के सख्त निर्देश हैं। इसके तहत बैंकों को एटीएम से ट्रांजेक्शन हो या ऑनलाइन ट्रांजेक्शन। सभी की निगरानी के लिए 24 घंटे, सातों दिन सर्विलांस सिस्टम विकसित करना है। इसके बावजूद बैंकों का सर्विलांस सिस्टम बैसाखी पर है। तमाम गाइडलाइंस सिर्फ कागजों का हिस्सा बनकर रह गईं हैं। आरबीआइ की ओर से बैंकों को दिए गए निर्देशों पर पुख्ता अमल नहीं हो रहा है। बैंकों को सप्ताह के सातों दिन और 24 घंटे बैंकिंग सिस्टम की निगरानी करनी होती है। मगर बैंकों ने इस ओर मजबूत इंतजाम करने से परहेज बनाए रखा है।
कागजी दावे से नहीं रुकेंगे साइबर छलावे
साइबर अपराध पर अंकुश लगाने में बैंक फेल साबित हो रहे हैं। बैंक सिक्योरिटी सिस्टम को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं, पर हकीकत में सब महज गाइडलाइंस तक सीमित है। नतीजतन अपराधी आए दिन बैंक ग्राहक की गाढ़ी कमाई पार कर ले रहे हैं। गंभीर बात है कि सिक्योरिटी सिस्टम में खामी के बावजूद बैंक न तो अपनी गलती स्वीकार करते हैं और न ही आसानी से ग्राहक की रकम वापस करते हैं। आए दिन बैंकिंग फ्रॉड की घटनाओं के चलते लोगों में असुरक्षा बढ़ी है, इसके चलते अब लोगों में बैंकों के प्रति भरोसा कम होता जा रहा है।
बैंकों में नहीं है साइबर क्राइम डिपार्टमेंट
देश में सरकारी व निजी क्षेत्र के करीब दो दर्जन से अधिक बैंक हैं। इसमें से किसी भी बैंक में अलग से साइबर सिक्योरिटी डिपार्टमेंट नहीं हैं। साइबर अपराध की घटना के बाद बैंक शाखाओं में ग्राहक को पुलिस में रिपोर्ट कराने की बात कहकर टरका दिया जाता है। अधिकांश जानकारी बैंक के पास होते हुए भी वे पीडि़त ग्राहक को इसे मुहैया नहीं कराते, जबकि ग्राहकों के जुड़े मामले में बैंकों की सीधे तौर पर जवाबदेही बनती है।
क्या बताते हैं आंकड़े
- प्रदेश में कुल 6600 बैंक शाखाएं
- 6900 एटीएम
- विभिन्न सरकारी क्षेत्र के 17 बैंक
- विभिन्न निजी क्षेत्र के 10 बैंक
- बैंक अधिकारी व कर्मचारियों की संख्या 84000
- 972 शाखा में सीसीटीवी कैमरे खराब
- 2100 से अधिक एटीएम के कैमरे फेल
- 4100 से अधिक एटीएम पर गार्डों नहीं
- 30 फीसद एटीएम की नियमित मॉनीटरिंंग नहीं
गाइडलाइंस तमाम मगर सिर्फ कागजों पर..
ग्राहक की सुरक्षा को लेकर आरबीआइ और भारत सरकार के वित्त मंत्रालय की ओर से साइबर अपराध की घटनाओं से निपटने के लिए समय समय पर दिशा निर्देश जारी किए जाते हैं, मगर बैंक उन दिशा निर्देशों को ग्राहकों तक पहुंचाने में अक्सर खानापूरी ही करते हैं। बैंकों की लापरवाही के चलते हुए नुकसान में जुर्माने की बड़ी रकम का प्रावधान भी है। कई बार दंड के रूप में मोटी रकम वसूली भी गई है। बावजूद इसके ग्राहकों की सुरक्षा के प्रति बैंकों का रवैया बेहद गैरजिम्मेदाराना है।
यह हैं निर्देश
- साइबर सिक्योरिटी पर बैंक समग्रता के साथ व एकजुट होकर निर्णय लें
- साइबर सिक्योरिटी के पैमाने को और दुरुस्त करें
- भविष्य के खतरों से निपटने के लिए बोर्ड बैठक करें
- बेहद जरूरी है कि साइबर सुरक्षा को लेकर सावधानियां बरती जाएं
- बैंक ग्राहकों के डाटा की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए
- साइबर अपराध की घटनाओं को रोकने लिए बैंक ग्राहकों को जागरूक किया जाए
क्या कहते हैं जिम्मेदार
भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य महाप्रबंधक सलोनी नारायण ने बताया कि अब रात दस बजे के बाद ट्रांजेक्शन पूरा करने के लिए ओटीपी की जरूरत पड़ेगी। कार्ड क्लोनिंग खत्म करने के लिए 700 मशीनें बदली जा चुकी हैं। ओटीपी ग्राहक के मोबाइल पर ही आएगा। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की मॉनीटङ्क्षरग के लिए एक अलग से पूरा डिपार्टमेंट काम करता है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के उपमहाप्रबंधक एके सिंह ने बताया कि बैंक के सभी एटीएम सर्विलांस पर हैं। कैमरा खराब होने की स्थिति में तुरंत जानकारी हो जाती है। संदिग्ध ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की भी गंभीरता से निगरानी की जाती है।
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के फील्ड महाप्रबंधक नरेंद्र सिंह ने बताया कि कार्ड क्लोनिंग रोकने के लिए ईएमवी कार्ड रीडर साफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है। सभी ट्रांजेक्शन चैनल सर्विलांस पर हैं। ऑनलाइन फ्राड रोकने के लिए कई अन्य सिक्योरिटी फीचर शुरू किए गए हैं।
पंजाब नेशनल बैंक केे महाप्रबंधक समीर बाजपेयी नेे बताया कि एटीएम की नियमित मॉनीटिरिंग हो रही है। इसके अलावा किसी ट्रांजेक्शन का एसएमएस आने पर यदि यह लगता है कि गलत/ फ्रॉड ट्रांजेक्शन है तो अपने मोबाइल से 9264092640 पर तुरंत एक मैसेज भेज दें।