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गोंडा की हैरतअंगेज कहानी, मनरेगा में काम करता मिला भूत तो अधिकारियों के उड़ गए होश

गोंडा में सामने आए एक अजीबोगरीब मामले ने सभी अधिकारियों के होश उड़ा दिए हैं। दरअसल यहां मनरेगा में एक मुर्दा काम करता पाया गया। वह बराबर हर माह वेतन भी ले रहा था और काम में एक्टिव था। यह जानकारी होने पर अधिकारियों को भी भरोसा नहीं हुआ।

By Dharmendra MishraEdited By: Published: Wed, 09 Feb 2022 05:26 PM (IST)Updated: Wed, 09 Feb 2022 11:47 PM (IST)
गोंडा की हैरतअंगेज कहानी, मनरेगा में काम करता मिला भूत तो अधिकारियों के उड़ गए होश
गोंडा में मनरेगा में काम करता मिला भूत।

गोंडा, संवादसूत्र ।  गोंडा में सामने आए एक अजीबोगरीब मामले ने सभी अधिकारियों के होश उड़ा दिए हैं। दरअसल यहां मनरेगा में एक मुर्दा काम करता पाया गया। वह बराबर हर माह वेतन भी ले रहा था और पूरी तरह काम में एक्टिव था। यह जानकारी होने पर अधिकारियों को भी भरोसा नहीं हुआ, लेकिन जब मामले की पड़ताल शुरू हुई तो सच्चाई सामने आ गई। अधिकारियों ने पाया कि मनरेगा के तहत मुर्दे को रोजगार देने वाले कुछ विभागीय अफसर ही हैं। फिर क्या था इस घटना में तत्कालीन बीडीओ समेत चार कर्मियों पर डीएम के आदेश पर कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा ने वजीरगंज थाने में एफआइआर दर्ज करा दी है।

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मामला विकासखंड वजीरगंज की ग्राम पंचायत हजरतपुर का है। मनरेगा के तहत वित्तीय वर्ष 2020-21 में गोशाला की सुरक्षा के लिए परिसर के चारों तरफ सुरक्षा खाईं बनाने की परियोजना स्वीकृति हुई थी। खंड विकास अधिकारी कार्यालय से परियोजना पर कार्य कराने के लिए चार से 15 अक्टूबर 2020 के मध्य 68 श्रमिकों के नाम से मस्टर रोल जारी किया गया। सात मस्टर रोल पर श्रमिकों की हाजिरी दर्ज करने के बाद 1.38 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया। विभागीय सूत्र के अनुसार 14 अक्टूबर को ग्राम पंचायत स्तरीय आडिट टीम जब कार्यस्थल पर पहुंची तो कोई भी श्रमिक उपस्थित नहीं था। इसके बावजूद उक्त दिवस में सात श्रमिकों की हाजिरी दर्ज कर दी गई। विभागीय पड़ताल में पाया गया कि मनरेगा के तहत 11-11 दिन का भुगतान लेने वाले श्रमिक रामकृपाल व मेहीलाल की मृत्यु काफी पहले हो चुकी है। मेहीलाल का जाबकार्ड भी मनरेगा की वेबसाइट से 20 मई 2020 को डिलीट कर दिया गया था।

यही नहीं, जिन सात मस्टर रोल पर कार्य दिखाकर भुगतान किया गया उन पर प्रधान, सचिव व रोजगार सेवक के न तो हस्ताक्षर हैं और न ही उन्होंने कार्य कराने के लिए कोई डिमांड की है। डीएम मार्कण्डेय शाही ने गबन के दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ एफआइआर के आदेश दिए थे। कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा वजीरगंज राघवेंद्र प्रताप सिंह ने वजीरगंज थाने में तत्कालीन बीडीओ शेर बहादुर सिंह, लेखाकार नीरज श्रीवास्तव, सहायक लेखाकार सुनील कुमार वर्मा व कंप्यूटर आपरेटर दयाशंकर सरस्वती के खिलाफ गबन की एफआइआर कराई है।


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