यूपी में पशुपालन विभाग में घटिया दवाओं की आपूर्ति, निदेशक रोग नियंत्रण बोले- दवा खरीदने की धनराशि वापस करें अन्यथा होगी वसूली
उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग में जम्मू व उत्तराखंड की कंपनियों से घटिया दवाओं की आपूर्ति पर निदेशक रोग नियंत्रण व प्रक्षेत्र सख्त हैं। उन्होंने जम्मू व उत्तराखंड की कंपनियों को पत्र भेजकर कहा है कि दवा खरीदने की पूरी धनराशि वापस करें अन्यथा भू-राजस्व की तरह वसूली होगी।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। पशुपालन विभाग में घटिया दवाओं की आपूर्ति की गई है। जम्मू व उत्तराखंड की दवा आपूर्ति कंपनियों से इस संबंध में जवाब तलब किया गया है, हालत यह है कि कुछ कंपनियां इस संबंध में जवाब नहीं दे रही हैं, एक कंपनी ने तथ्यहीन स्पष्टीकरण सौंपा है। निदेशक रोग नियंत्रण व प्रक्षेत्र ने दवा आपूर्ति करने वाली कंपनियों को अल्टीमेटम दिया है कि दवा खरीदने की पूरी धनराशि वापस करें अन्यथा भू-राजस्व की तरह वसूली होगी।
पशुपालन विभाग का रोग नियंत्रण व प्रक्षेत्र महकमा पशुओं का इलाज करता है। पशुओं में होने वाली बीमारियों किलनी, चपटी, पेट में कीड़े आदि से संबंधित दवाएं अलग-अलग कंपनियों से करोड़ों रुपये की दवा खरीदी गई। विभाग ने खरीदी गई दवाओं का सैंपल भेजकर राजकीय विश्लेषक उत्तर प्रदेश से जांच कराई।
जांच रिपोर्ट में सामने आया कि दवाएं अधोमानक यानी घटिया हैं। निदेशक रोग नियंत्रण व प्रक्षेत्र डा. जीवन दत्त ने मेसर्स मिलिन लेबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड इंड्रस्ट्रियल स्टेट जम्मू को स्पष्टीकरण मांगा। कंपनी की ओर से दिए गए जवाब को भी तथ्यहीन व साक्ष्यहीन माना है। निदेशक ने इस कंपनी को दो वर्ष के लिए पशुपालन विभाग से व्यापार करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
निदेशक ने यह भी लिखा है कि यदि इस कंपनी की कोई और दवा घटिया पाई गई तो फर्म पर नियमानुसार कार्रवाई होगी। साथ ही घटिया मिली दवा की आपूर्ति में जो धनराशि ली गई है उसे वापस लौटाने के निर्देश दिए गए हैं, अन्यथा भू-राजस्व की तरह वसूली करने का भी अल्टीमेटम दिया गया है। इसी तरह से मेसर्स सेफकान लाइफ साइंसेस किच्छा रुद्रपुर उत्तराखंड से भी विभाग को स्पष्टीकरण सही नहीं मिला है।
फर्म को निर्देश दिया है कि अभिलेखीय साक्ष्य के साथ स्पष्टीकरण भेजें। ऐसे ही मेसर्स इथिकेयर लेबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड जम्मू से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है। कहा जा रहा है कि इसी तरह कुछ और भी कंपनियों को नोटिस भेजा जा रहा है। निदेशक ने जिलों के मुख्य पशुपालन अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इन दवाओं का उपयोग न करें और अवशेष मात्रा को संबंधित फर्म को भेजा जाए।