सुनील ने सबसे पहले देखा इंदिरा डैम का लीकेज
नोट::सुनील की फोटो के साथ ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव
नोट::सुनील की फोटो के साथ ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव की फोटो भी है
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-12 जनवरी रात्रि 11 बजे पड़ी नजर तो मच गई खलबली
-सिंचाई विभाग के कर्मचारियों को किया अलर्ट
जागरण संवाददाता, लखनऊ: सिंचाई विभाग के जिन कर्मचारियों पर रात में इंदिरा डैम की देखभाल की जिम्मेदारी थी, वह बेखबर ही बने रहे। जबकि उनकी जिम्मेदारी उप्र सेतु निगम के कर्मचारी सुनील ने निभाई। 12 जनवरी की रात करीब 11 बजे सुनील की नजर सबसे पहले डैम के रिसाव पर पड़ी तो उसने इसकी सूचना सिंचाई विभाग के कर्मचारियों को दी तो अफरातफरी मच गई। मौके पर पहुंचे सिंचाई विभाग के एई आरके यादव ने लीकेज को बंद करने का प्रयास किया, लेकिन वह नाकाफी साबित हुआ। सुबह होते-होते अधिकारियों का जमावड़ा लग गया। राजधानी समेत सीतापुर और लखीमपुर के अधिकारियों को भी डैमेज कंट्रोल के लिए बुला लिया गया।
खाली कराया गया सेतु निगम का कार्यालय
डैम के लीकेज को दुरुस्त करने के लिए पास में बनाए गए सेतु निगम के अस्थाई कार्यालय को भी खाली करा दिया गया। गोमती तट के पास लगे पेड़ों को भी काटकर रास्ता बनाया जा रहा है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि काम तेजी से होना है। ऐसे में कोई बाधा न हो इसके लिए निर्माण को हटाया जाएगा। इसके साथ ही डैम के एक हिस्से को आवागमन के लिए रोक दिया गया है।
इंदिरा गांधी ने किया था डैम का शिलान्यास
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 17 नवंबर 1973 में इंदिरा डैम का शिलान्यास किया था। पांच साल बाद इसका निर्माण पूरा हुआ और 26 जनवरी 1975 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रामनरेश यादव ने डैम का उद्घाटन किया था। 256 किमी लंबाई वाली इंदिरा नहर के देवा रोड से गोसाईगंज जेल रोड तक 19 किमी का हिस्सा पूरे हिस्से से ढाई मीटर अधिक गहरा है। पानी का बहाव बंद होने के बावजूद यहां पानी भरा रहता है। नहर से राजधानी ही नहीं लखीमपुर, सीतापुर, रायबरेली, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, वाराणसी, जौनपुर, बाराबंकी, फैजाबाद, अंबेडकर नगर, टांडा, आजमगढ़, सुलतानपुर सहित 16 जिलों में सिंचाई का पानी पहुंचता है। पानी बंद होने से इन जिलों पर भी प्रभाव पड़ेगा।
अप्रैल-मई में होती है सफाई
सिंचाई विभाग की ओर से हर वर्ष 15 अप्रैल से मई तक नहर का पानी बंद कर दिया जाता है। इस बीच नहर की सफाई की जाती है। क्षतिग्रस्त होने पर उसे दुरुस्त भी किया जाता है। अब सवाल उठता है कि इतनी बड़ी लीकेज कई वर्षो बाद हुई होगी तो जिम्मेदारों की नजर इस पर क्यों नहीं पड़ी? इस सवाल का जवाब देने से अधिकारी बचते रहे और डैमेज कंट्रोल की बात कहते रहे।