पावर सेक्टर इम्प्लाइज ट्रस्ट का पैसा घोटाले में पूर्व निदेशक वित्त व महाप्रबंधक गिरफ्तार, होगी CBI जांच
बिजलीकर्मियों के पीएफ का 2631.20 करोड़ रुपये निजी क्षेत्र की कंपनी में नियम विरुद्ध तरीके से जमा करने का है आरोप।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। बिजली इंजीनियरों व कर्मचारियों के भविष्य निधि की रकम असुरक्षित ढंग से निजी कंपनी डीएचएफसीएल में लगाए जाने के घोटाले में पुलिस ने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी और महाप्रबंधक व सचिव ट्रस्ट प्रवीण कुमार गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया है।
प्रकरण की गंभीरता को देखते राज्य सरकार ने सीबीआइ जांच कराने का फैसला भी किया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने ऊर्जा विभाग में 45000 कर्मचारियों के 2268 करोड़ रुपए के पीएफ घोटाले मामले की जांच रविवार को सीबीआई को सौंप दी है। सीएम ऑफिस ने सीबीआई जांच कराने का पत्र केंद्र सरकार को भेज दिया है। इसके साथ ही पूरे मामले की जांच डीजी ईओडब्ल्यू करेंगे। इससे पहले शनिवार को कर्मियों का पीएफ प्राइवेट कंपनी में जमा कराने वाले तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी और महानिदेशक पीके गुप्ता के खिलाफ न सिर्फ केस दर्ज कराया गया, बल्कि पुलिस ने दोनों को तत्काल गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
सीबीआइ जब तक जांच शुरू नहीं करती तब तक लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में दर्ज कराई गई एफआइआर की विवेचना डीजी आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) डॉ.आरपी सिंह की देखरेख में होगी। इस बीच गृह विभाग सीबीआइ जांच की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजने की तैयारियों में भी जुट गया है। घोटाले में बिजलीकर्मियों के करीब 2267.90 करोड़ रुपये फंस गए हैैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) डीएचएफसीएल मामले की जांच पहले से ही कर रहा है।
बिजली विभाग में जिन पर इंजीनियरों व कर्मचारियों के सामान्य व अंशदायी भविष्य निधि की रकम को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने इस निधि के 4122.70 करोड़ रुपये को असुरक्षित निजी कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफसीएल) में नियमों का उल्लंघन करके लगा दिया। मार्च 2017 से दिसंबर 2018 तक यूपी स्टेट सेक्टर पावर इंप्लाइज ट्रस्ट और यूपीपीसीएल सीपीएफ (कंट्रीब्यूटरी प्रॉविडेंट फंड) ट्रस्ट की निधि के कुल 4122.70 करोड़ रुपये डीएचएफसीएल में फिक्स्ड डिपॉजिट करा दिए गए। मुंबई हाईकोर्ट द्वारा डीएचएफसीएल के भुगतान करने पर रोक लगाने के बाद बिजलीकर्मियों के भविष्य निधि का 2267.90 करोड़ रुपये (मूलधन) फंस गया है। इसमें जीपीएफ का 1445.70 करोड़ व सीपीएफ का 822.20 करोड़ रुपये है।
भविष्य निधि के अरबों फंसने पर बिजलीकर्मियों की बढ़ती नाराजगी और विपक्षी दलों द्वारा सरकार को घेरने के मद्देनजर राज्य सरकार ने शनिवार को मामले को गंभीरता से लेते हुए कड़ी कार्रवाई की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर कारपोरेशन प्रबंधन ने शनिवार रात ही लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी और ट्रस्ट के सचिव रहे महाप्रबंधक प्रवीण कुमार गुप्ता के खिलाफ धोखाधड़ी व गबन की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करा दी। कारपोरेशन के मौजूदा सचिव ट्रस्ट आइएम कौशल की ओर से रिपोर्ट लिखाते ही सुधांशु को लखनऊ से और प्रवीण को आगरा से गिरफ्तार भी कर लिया गया। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और हजारों बिजलीकर्मियों से जुड़े इस मामले की सीबीआइ से जांच कराने का अनुरोध पत्र सौंपा। इस पर देर रात मुख्यमंत्री ने सीबीआइ जांच कराने के भी निर्देश दे दिए।
मुंबई हाईकोर्ट द्वारा डीएचएफसीएल के असुरक्षित ऋणदाताओं को भुगतान पर रोक लगाने के बाद कर्मचारियों के भविष्य निधि का 2267.90 करोड़ रुपये (मूलधन) की रकम फंस गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गृह विभाग और पुलिस महानिदेशक को दोषियों के खिलाफ तत्काल कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर हरकत में आए कारपोरेशन प्रबंधन ने शनिवार रात में ही राजधानी लखनऊ के हजरतगंज थाने में तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी और ट्रस्ट के सचिव रहे महाप्रबंधक प्रवीण कुमार गुप्ता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी।
कारपोरेशन के मौजूदा सचिव ट्रस्ट आईएम कौशल की ओर से रिपोर्ट लिखाते ही सुधांशु को लखनऊ से और प्रवीण को आगरा से गिरफ्तार भी कर लिया गया। दोनों पर धोखाधड़ी और गबन की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। पीएफ के पैसे फंसने की भनक लगने पर कर्मचारी संगठनों ने कारपोरेशन प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया है। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने पावर कारपोरेशन की ओर से कार्मिकों को भुगतान के लिए आश्वस्त किया है, वहीं भविष्य निधि की राशि के बेहतर प्रबंधन व सुरक्षा के लिए ट्रस्ट की जगह अब इंप्लाइज प्राविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन को जिम्मा सौंपने का निर्णय किया गया है।
प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार ने बताया कि निजी कंपनी के पास बची रकम को वापस लाने के लिए सभी जरूरी वैधानिक कदम उठाए जाएंगे। कुमार ने बताया कि निवेश में अनियमितताओं पर ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव व महाप्रबंधक वित्त प्रवीण कुमार गुप्ता को 10 अक्टूबर को ही निलंबित कर दिया गया था। वह इनदिनों आगरा के दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में महाप्रबंधक (लेखा एवं सम्प्रेक्षा) के पद पर कार्यरत थे।
ऐसे खुला मामला
10 जुलाई को एक गुमनाम शिकायत आने पर कारपोरेशन अध्यक्ष ने 12 जुलाई को जांच समिति गठित की थी। 29 अगस्त को आई जांच रिपोर्ट में पता चला कि बड़े पैमाने पर अनियमितता करते हुए ट्रस्ट ने 99 फीसद से अधिक निधि का निवेश केवल तीन हाउसिंग फाइनेंस कंपनी में कर रखा था, जिसमें 65 फीसद से अधिक हिस्सा दीवान हाउसिंग फाइनेंस में था। खास बात यह कि गैर सरकारी कंपनी में निवेश करने के संबंध में तत्कालीन निदेशक वित्त व सचिव ट्रस्ट ने अध्यक्ष या प्रबंध निदेशक का अनुमोदन नहीं लिया जबकि पूर्व में तत्कालीन प्रबंध निदेशक एपी मिश्र ने पीएनबी हाउसिंग में निवेश करने का फैसला किया था। नियमों के तहत प्रतिभूति में निवेश किया जाना था लेकिन, भविष्य निधि की रकम फिक्स्ड डिपॉजिट में लगा दी गई। जांच के लिए यह मामला पावर कारपोरेशन के सतर्कता विंग को एक अक्टूबर को सौंपा गया था।
भुगतान की मांगी गारंटी
भविष्य निधि की रकम फंसने की खबर फैलते ही ऊर्जा क्षेत्र के कर्मचारियों में बेचैनी बढ़ गई है। उप्र पावर ऑफीसर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा की अध्यक्षता में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से मुलाकात कर उच्चस्तरीय जांच कराने और दोषियों पर कठोर कार्रवाई करने की मांग की है तो उधर उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के महासचिव राजीव कुमार सिंह ने भी पावर कारपोरेशन प्रबंधन से भुगतान की गारंटी मांगी है।