विद्यार्थी परिषद ने सरकार को भेजा नारी उत्थान के लिए 14 सूत्री प्रस्ताव
एबीवीपी की छात्रा सम्मेलन सरकार के ध्यानार्थ 14 बिंदुओं पर प्रस्ताव तैयार करने का साथ सम्पन्न हो गया। प्रस्ताव को आगे बढ़ाया गया है।
लखनऊ (जेएनएन)। एबीवीपी की छात्रा सम्मेलन सरकार के ध्यानार्थ 14 बिंदुओं पर प्रस्ताव तैयार करने का साथ सम्पन्न हो गया। प्रस्ताव को संगठन के पदाधिकारियों ने आगे बढ़ा दिया है। आगे का काम सरकार को करना है। इसमें पहुंची यूपी सरकार की मंत्री स्वाती सिंह भारतीय नारी की व्यथा किताबों में लिखकर दूर नहीं होगी। समाज में जब तक बेटियों के लिए सही सोच और मानसिकता नहीं स्थापित होगी, महिला सशक्तिकरण की बात सार्थक नहीं होगी। एक मानसिकता है कि बेटे ही घर का व माता पिता का सहारा बनेंगी। जबकि हकीकत यह है कि 70 प्रतिशत बेटियों ही घर में मां बाप की सेवा कर रही हैं।
स्वाती सिंह आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की प्रांतीय छात्रा सम्मेलन में बोल रही थी। यहां एबीवीपी के सम्मेलन में मंत्री स्वाती सिंह ने छात्राओं से छेड़छाड़ व उत्पीडऩ जैसी घटनाओं को किसी भी दशा में बर्दाश्त न करने को कहा। बेटियों को हर मुद्दे पर आगे आना होगा। छेड़छाड़ की घटनाओं का खुलकर विरोध करना होगा। चुप्पी तोडऩी होगी। अगर आज नहीं बोलेगी तो शादी के बाद और हिम्मत नहीं जुटा सकेंगी। एबीवीपी की छात्रा सम्मेलन में 14 बिंदुओं पर प्रस्ताव तैयार हुआ। जिसे संगठन के पदाधिकारियों ने सरकार के ध्यानार्थ मंजूरी के लिए भेजा।
14 बिंदुओं पर प्रस्ताव
- महिलाओं की शिक्षा, समानता,स्वास्थ्य एवं सुरक्षा से संबंधित केंद्र और राज्य सरकारों की समस्त योजनाओं एवं कानूनों का अक्षरश कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।
- छात्राओं के लिए मुफ्त शिक्षा ,छात्रावास, एवं पौष्टिक आहार की व्यवस्था की जाए।
- छात्रवृत्ति एवं प्रोत्साहन पुरस्कार दिए जाएं।
- महिलाओं के लिए ब्लॉक स्तर पर इंटर कॉलेज, जिला स्तर पर राजकीय, महाविद्यालय एवं प्रदेश स्तर पर महिला विश्वविद्यालय, स्पोट्र्स कॉलेज, कृषि, तकनीक, प्रबंधन एवं चिकित्सा संस्थानों की विशेष व्यवस्था की जाए।
- हर संस्थान में महिला उत्पीडऩ निवारण सेल बनाने के बाद उनकी कार्यप्रणाली की नियमित रिपोर्ट ली जाए।
- हर संस्थान में जेंडर ऑडिट अनिवार्य हो।
- सेवा, विकास और रोजगार के हर क्षेत्र में समान भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
- सेवा, विकास और रोजगार के हर क्षेत्र में समान भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
- उनकी विशेष आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए कार्यालयों और संस्थानों में शिशु गृह, कैंटीन, कॉमन रूम, जिम, टॉयलेट इत्यादि अवश्य बनाएं जाएं।
- छात्राओं के लिए विशेष नेतृत्व विकास, कौशल विकास, जागरुकता अभियान, स्वरक्षा कार्यक्रम आदि आयोजित किए जाएं।
- महिलाओं के प्रति परिवार और समाज का नजरिया बदलने के लिए लैंगिक संवेदनशीलता बढ़ाने का प्रयास किए जाएं।
- शिक्षा पाठ्यक्रम में लैंगिक समानता, संवेदनशीलता और मानवीय मूल्य तथा भारतीय संस्कृति के विषय अनिवार्य रूप से शामिल किए जाएं।
- विदेशी महिला आंदोलन पर आधारित समाधान के बजाय अपने भारतीय परिवेश से निकले, भारतीय महिलाओं की भागीदारी से निकले समाधान को लागू किया जाए।
- निर्णायक पदों पर अनुभवी, संवेदनशील और योग्य महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
- महिलाओं को उनके कानून प्रदत्त अधिकारों की जानकारी दी जाए साथ ही मुफ्त विधिक सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं।
- मुफ्त और अच्छी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जाए।