200 वर्षो से देता रहा छांव-आज खुद सहारे की तलाश में, बूढ़े दरख्त की दुख भरी दास्ता.
तेलीबाग में सड़क चौड़ीकरण की भेंट चढ़ गए 50 से ज्यादा हरे पेड़। करीब 200 वर्ष पुराने पेड़ को बचाने के लिए आगे आए लोग।
लखनऊ[विनय तिवारी ]। ये एक दरख्त जो करीब 200 वर्षो से मजबूती से खड़ा है। इसकी छाव तले न जाने कितनों का बचपन बीता। तपती धूप में राहगीरों का सहारा बना, आज खुद सहारे की तलाश में है। ऐसा सहारा, जो उसके जीवन को बचा ले। तेलीबाग स्थित सुभानी खेड़ा से कैंट मार्ग पर यह बूढ़ा दरख्त अपनी दुख भरी दास्ता सुना रहा है। दरअसल, तेलीबाग में 50 से ज्यादा हरे पेड़ सड़क चौड़ीकरण की भेंट चढ़ गए हैं। अब इस पुराने पेड़ को भी काटे जाने की तैयारी है। स्थानीय निवासी इसे बचाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है, विकास जरूरी है लेकिन हरियाली की कीमत पर नहीं। पेड़ को काटने के बजाय उसे कहीं शिफ्ट करने के उपाय सोचने चाहिए। हाल ही में स्थानीय निवासियों ने श्रद्धाजलि सभा कर पेड़ बचाने की अपील भी की थी।
पेड़ के पास श्रद्धाजलि सभा का बैनर लगा है, इसमें संदेश लिखा है. हमारा विकास तुम्हारे विनाश से ही संभव है। शायद तुमने पिछले 200 साल से न जाने कितनी पीढि़यों को बिना मागे बहुत कुछ दिया। सैकड़ों आधी, तूफान, धूप और बरसात, न जाने कितनी तकलीफों से जूझकर तुम्हारा अस्तित्व सिर्फ हमारे लिए जिंदा रहा पर हम कुछ न कर सके। हमें माफ करना। सोशल साइट्स पर भी चल रही मुहिम:
पर्यावरण बचाओ संस्था स्थानीय निवासियों की मुहिम से जुड़ी है। फेसबुक और ट्विटर पर पेड़ बचाने संबंधित संदेश चलाए जा रहे हैं।
हरियाली पर आरा:
- तेलीबाग में सड़क चौड़ीकरण की भेंट चढ़ गए 50 से ज्यादा हरे पेड़
- करीब 200 वर्ष पुराने पाकड़ के पेड़ को बचाने के लिए आगे आए लोग
स्थानीय निवासी बोले, पेड़ बचाओ:
- जहीर अहमद ने कहा कि मैं बचपन से इस पेड़ को देख रहा हूं। मेरे पिता और बाबा का समय भी इस पेड़ के नीचे बीता है। अधिकारियों को इस पेड़ को बचाने की दिशा में सोचना चाहिए। पेड़ कटान की कीमत पर विकास के भयानक परिणाम होंगे।
- अनीस ने कहा कि विभागीय अधिकारियों की ओर से बताया गया कि सड़क चौड़ीकरण के चलते पेड़ काटना जरूरी है। मैं कहता हूं कि अगर इसी तरह से हरियाली को उजाड़ते गए तो एक दिन सड़कें ही रह जाएंगी पेड़ नहीं। क्या हम एक पेड़ को नहीं बचा सकते?